एक रचना और नेगी जी
वर्णन गढ़वाल का
धरती हमरा गढ़वाल की , कथगा रोतेली स्वाणी चा
धरती हमरा गढ़वाल की , कथगा रोतेली स्वाणी चा ,हो –2
हो
कथगा रोतेली स्वाणी चा , हो - 2
पांच बदरी , पांच केदार , पांच प्रयाग इखी छन्
पांच प्रयाग इखी छन्
पांच पंडोव ऐनी इखी , भाग हमरा धन धन्
भाग हमरा धन धन्
पांच बदरी , पांच केदार , पांच प्रयाग इखी छन्
पांच प्रयाग इखी छन्
पांच पंडोव ऐनी इखी , भाग हमरा धन धन्
भाग हमरा धन धन्
कुण्ड छीन इक ताल छीन , मठ यखे महान छीन
मठ यखे महान छीन
ताल सहस्त्र घाटी , फुलु की असमान छीन
हो...............2
गंगा जमुना , इखी बटी सभु की
भूख तीस बुझानी चा , हो
कथगा रोतेली स्वाणी चा
धरती हमरा गढ़वाल की ....
डांडी कंठीयों का देखा , लैन्जा लग्यान
लैंजा लग्यान
देवतों की धरती मा , मनखी बस्यान
मनखी बस्यान
डांडी कंठीयों का देखा , लैंजा लग्यान
लैन्जा लग्यान
देव्तों की धरती मा , मनखी बस्यान
मनखी बस्यान..................
देवदार बुरांश बाँझा , कुलीन पय्या डाली
देब्तों रोपी , मन्ख्युन पाली
हो ................
भेद देव -देवता मनखी को
डोंरु - थाली मिटानी चा
कथगा रोतेली स्वाणी चा
धरती हमरा गढ़वाल की ....
पति व्रता नारी ईख , बांद कीसान छीन
बंदा कीसान छीन
तीलू रौतेली ईख , रामी बौरान छीन
रामी बौरान छीन
भडू पवाडा सुणा , बीरू का देखा गढ़
बीरू का देखा गढ़
नरसिंह ,नागराजा , पंडों का देखा रण
हो
तुम ते लाकुड , दमो , ढोलकी
धै लगे की , भटियाणी च
कथगा रोतेली स्वाणी चा