Author Topic: Narendra Singh Negi: Legend Singer Of Uttarakhand - नरेन्द्र सिंह नेगी  (Read 82970 times)

हेम पन्त

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नेगी जी सैकडों गानों को अपनी आवाज दे चुके हैं. लेकिन उनका यह गाना अपने आप में अनूठा है. एक आदमी अपनी बिमारी का इलाज कराने डाक्टर के पास पहुंच गया है. बिमारी के लक्षण बताने के साथ ही वह यह भी बताना नहीं भूलता कि वह इसके इलाज के लिये वैद्य से लेकर देवपूजा तक सब उपाय अपना कर हार चुका है और अब डाक्टर के हाथ से ही उसका इलाज होना है.

लेकिन मरीज जी चाहते हैं कि इलाज शुरु करने से पहले डाक्टर उनका मिजाज समझ ले. वो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि चाय, तम्बाकू और मांसाहार नहीं छोड पायेंगे और दलिया वगैरा खाना उनके वश की बात नहीं है. गोलियां, कैप्सूल, इंजेक्शन और ग्लूकोज वाला इलाज भी वो नहीं करवायेंगे. उनकी पाचन शक्ति ठीक नहीं है लेकिन वो बिना खाये भी रह नहीं पाते हैं.

दवाई के स्वाद बारे में उन्हें पहले से ही अहसास है कि डॉक्टर मीठी दवाई तो देगा ही नही, लेकिन डॉक्टर को वो खुले शब्दों में कहते हैं कि कड़वी दवाई वो पियेंगे ही नही..
इसके साथ ही वह बार-बार डॉक्टर से यह भी कहते रहते हैं कि मेरा इलाज अब तुम्हारे हाथों ही होना है...

गाने के बोल देखने के लिये अगली पोस्ट पर जायें

सामान्य आदमी के मनोविज्ञान को दर्शाने वाला यह गाना लगता तो एक व्यंग की तरह है, लेकिन असल में यह एक कड़वी सच्चाई को उजागर करता है.. गाने के अंत में मरीज अपने रोग का कारण स्वयम ही बताता है... असल में वह इस बात से व्यथित है कि उसके मरने के बाद सारे रिश्तेदार और संपत्ति छोड़कर उसे जाना पड़ेगा...


हेम पन्त

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परसी बटि लगातार, बार-बार कू बुखार, चड्यू छ रे डाग्टार, मर्दु छो उतार-तार-2
कुछ ना कुछ त कर जतन तेरे हाथ छ बच नै मन-2
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

बैध धामि हारि गैनि, खीसा बटुवा झाडि गैनि-2
मेरि मारि खाडु कचैरि, खबेस पूजि देवता नचे
हरक फरक कुछ नि पडि-2
एक जूगु तक नि छडि
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

तब करि इलाज मेरु समझि ले मिजाज मेरू-2
चा कु ढब्ज टुटदु नि, तंबाकु मैथे छुटदु नि
दलिया खिचडि खै नि सकदु-2
शिकरि बिना रै नि सकदु
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

सफेद गोलि खपदि नी, लाल पिंगलि पचदि नी-2
ग्लुकोज शीशि चडदि नी, पिसी पुडिया लडदि नी
कैप्पसूल खै नि सकदु-2
इंजक्शन मैं सै नि सकदु
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

खान्दु छौं पचै नि सकदुं, बिना खाया मि रै नि सकदुं-2
उन्द, उब्ब बगत-बगत, गरम-ठण्ड मैं नि खबद
मिठि दवै तैलें दैणि नी, कडि दवै मिल पैणि नि
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

नाती-नातिना माया ममता, जर जजैता फैलि संगदा,
कूडि-पुंगदि गौरु भैंसा, यख्खि छुट्दा रुप्या-पैसा
मन को भैम त्वै बतांदु, डाग्टर मैं बोल नि चांदु
झूट त्वै में किले ब्वन, तेरे हाथ छ बचनै मन,
जै कुछ कन आब तिने कन, तिने कन, तिने कन
परसी बटि लगातार……………….

हेम पन्त

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #42 on: May 23, 2008, 05:23:33 PM »
इस गाने के बोल पढने के आप शायद इस गाने को सुनना भी चाहेंगे? तो ये लीजिये लिंक

http://www.esnips.com/web/hempanttsOtherStuff

हेम पन्त

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पहाड़ जितना बड़ा है उसके दुःख भी उतने ही बड़े हैं. इन दुखो को व्यक्त करना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है...उन माँ-बाप की पीडा को दर्शाता है नेगी जी का यह गाना... जिनका बेटा रोजी-रोटी कमाने सपत्नीक शहर चला गया है. परिवार में सिर्फ २ बूढी जान रह गई हैं और कुछ मवेशी...

ऐसे चरित्र पहाड़ के हर गाँव में हैं.. इन बुढे माँ-बाप को इस उम्र में यह आंकलन करना बड़ा दर्द देता है कि जिस बेटे को पढाने के लिए माँ ने गहने और बाप ने जमीन की माया न करते हुए इन्हे बेच दिया,  वह उन्हें दाने-२ का मोहताज रख कर बहू के मायके को मनीओर्डर भेजता है... 

जितना मर्मस्पर्शी नेगी जी का यह गाना है... उतना ही सुंदर फिल्मांकन इसके वीडियो का भी है..


कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खेरी की-2

नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई-2
पुन्गङि बेची की मिल ब्वारी काई
सोची थ्यो ब्वारी को सुख द्येखुलू
डोला बाटी ब्वारी भवे भी नि आई
नौना दगाड़ि चल गी देस बौगा मारी की

कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-4


ब्वारी बिचारी इन जाप काई-2
सैन्त्युं नौनु भी बस माँ नि राई
अब त हमते पचेंदु बी नि छ
अप्नु ही सोनू खोटू हवे ग्याई
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मारी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2

भली बुरी चीज लोगु की ऐनी   -2
मिल दवी दानी चनो की नि पैनी
मेकुनी सेवा सौन्ली भी हर्ची
सम्धानियुं तेनी मनीओर्डर गैनी
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मरी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2

Risky Pathak

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #44 on: June 14, 2008, 04:21:35 PM »
Bdaa hi amrmsparshi geet hai ye.. or pahaad ki real life ka Katu satya bhi
पहाड़ जितना बड़ा है उसके दुःख भी उतने ही बड़े हैं. इन दुखो को व्यक्त करना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है...उन माँ-बाप की पीडा को दर्शाता है नेगी जी का यह गाना... जिनका बेटा रोजी-रोटी कमाने सपत्नीक शहर चला गया है. परिवार में सिर्फ २ बूढी जान रह गई हैं और कुछ मवेशी...

ऐसे चरित्र पहाड़ के हर गाँव में हैं.. इन बुढे माँ-बाप को इस उम्र में यह आंकलन करना बड़ा दर्द देता है कि जिस बेटे को पढाने के लिए माँ ने गहने और बाप ने जमीन की माया न करते हुए इन्हे बेच दिया,  वह उन्हें दाने-२ का मोहताज रख कर बहू के मायके को मनीओर्डर भेजता है... 

जितना मर्मस्पर्शी नेगी जी का यह गाना है... उतना ही सुंदर फिल्मांकन इसके वीडियो का भी है..


कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खेरी की-2

नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई-2
पुन्गङि बेची की मिल ब्वारी काई
सोची थ्यो ब्वारी को सुख द्येखुलू
डोला बाटी ब्वारी भवे भी नि आई
नौना दगाड़ि चल गी देस बौगा मारी की

कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-4


ब्वारी बिचारी इन जाप काई-2
सैन्त्युं नौनु भी बस माँ नि राई
अब त हमते पचेंदु बी नि छ
अप्नु ही सोनू खोटू हवे ग्याई
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मारी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2

भली बुरी चीज लोगु की ऐनी   -2
मिल दवी दानी चनो की नि पैनी
मेकुनी सेवा सौन्ली भी हर्ची
सम्धानियुं तेनी मनीओर्डर गैनी
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मरी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2


हेम पन्त

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #45 on: June 14, 2008, 04:56:27 PM »
नेगी जी का गया हुआ एक विवाह पर आधारित गीत....

बरात के दौरान भाभी और देवर के बीच सामान्य हँसी मजाक के साथ ही पहला परिचय हो रहा है...


घाघरी का घैर, ब्योली बो सैमन्या बो-2
घाघरी का घैर-2, दयूर छू तुमारो ख़ास जरा इथे भी हैर ……
ब्योली बो सैमन्या बो.......

ब्योला बाँधी सेहरा ,पौना दयूर राजी रो -2
ब्योला बाँधी सेहरा-2,  नाता जब लगान्दी रैल्या फेरन त दयावा फेरा
पौना दयूर राजी रो........



शेष भाग फ़िर कभी...

पंकज सिंह महर

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #46 on: June 16, 2008, 11:27:24 AM »
पहाड़ जितना बड़ा है उसके दुःख भी उतने ही बड़े हैं. इन दुखो को व्यक्त करना अपने आप में एक बहुत बड़ा काम है...उन माँ-बाप की पीडा को दर्शाता है नेगी जी का यह गाना... जिनका बेटा रोजी-रोटी कमाने सपत्नीक शहर चला गया है. परिवार में सिर्फ २ बूढी जान रह गई हैं और कुछ मवेशी...

ऐसे चरित्र पहाड़ के हर गाँव में हैं.. इन बुढे माँ-बाप को इस उम्र में यह आंकलन करना बड़ा दर्द देता है कि जिस बेटे को पढाने के लिए माँ ने गहने और बाप ने जमीन की माया न करते हुए इन्हे बेच दिया,  वह उन्हें दाने-२ का मोहताज रख कर बहू के मायके को मनीओर्डर भेजता है... 

जितना मर्मस्पर्शी नेगी जी का यह गाना है... उतना ही सुंदर फिल्मांकन इसके वीडियो का भी है..


कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैरी की
केमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खेरी की-2

नथुली बेची पढ़ाई-लिखाई-2
पुन्गङि बेची की मिल ब्वारी काई
सोची थ्यो ब्वारी को सुख द्येखुलू
डोला बाटी ब्वारी भवे भी नि आई
नौना दगाड़ि चल गी देस बौगा मारी की

कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-4


ब्वारी बिचारी इन जाप काई-2
सैन्त्युं नौनु भी बस माँ नि राई
अब त हमते पचेंदु बी नि छ
अप्नु ही सोनू खोटू हवे ग्याई
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मारी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2

भली बुरी चीज लोगु की ऐनी   -2
मिल दवी दानी चनो की नि पैनी
मेकुनी सेवा सौन्ली भी हर्ची
सम्धानियुं तेनी मनीओर्डर गैनी
क्या पायी येका बाना मिल ज्यू मरी की
कैमा लगानीनिं छुई अपनी खैरी की
छुई अपनी खैरी की-2



हेम दा,
       वैसे तो नेगी जी का हर गीत मर्मस्पर्शी ही होता है, लेकिन यह गीत उत्तराखण्ड की वेदना को भी परिलक्षित करता है, आज के परिप्रेक्ष्य में।  इस तरह का एक गीत प्रकाश रावत ने भी लिखा, गाया था, -


    भल-भला भाबर ग्या, जस कसा सिमाल्या,
    तैंले-मैले मेरी बुढी, आंखा चिमल्या।

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #47 on: June 28, 2008, 11:50:41 AM »
नेगी जी के गीतों की व्याख्या करना बहुत ही मुश्किल है एक ही पंक्ति में बहुत कुछ कह जाते हैं
         उत्तराखंड राज्य के संघर्ष काळ के दौरान का ये   गीत होसला देता हुवा

दुई (२) दिनों की होरी च अब खैरी  मूट बोटीकि रख
तेरी हिकम्मत आज्माणु  बैरी मूट बोटीकि रख ,........२
              घणा डालो बीच छिर्की आलो  घाम तेरा मुल्क भी - तेरा मुल्क भी
              सेखी पाले द्वि घड़ी छन होरी मूट बोटी की रख ,
                       तेरी हिकम्मत आज्माणु  बैरी मूट बोटीकि रख ,........२
जोऊ शहीदों  की चीतों थै आग दे की बिसिरी  गे तू
वो  की तस्वीरों जने हेरी मूट बोटी की रख .
तेरी हिकम्मत आज्माणु  बैरी मूट बोटीकि रख ,........२
             सन ५१  बटी ठगों डा छन त्वे सुपिन्या दिखेकी - त्वे सुपिन्या दिखेकी
             ऐसु फ़िर आला चुनोव मा देखि मूट बोटी की रख
             तेरी हिकम्मत आज्माणु  बैरी मूट बोटीकि रख ,........२
गर्जना बादल, चमकनी चाल बरखा हवे की राली -  बरखा हवे की राली
हवे की राली डांडी कंठी हैरी  मूट बोटी की रख
 तेरी हिकम्मत आज्माणु  बैरी मूट बोटीकि रख ,........२

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #48 on: August 06, 2008, 04:30:35 PM »

ऐसा लगता है की मेरे  गाँव का वर्णन नेगी जी के द्वारा ,एक बार पढेगे तो आप को अपने गाँव का वर्णन लगेगा

ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार
गोऊ को बाटू  मेरा गोऊ को बाटू
ऐई जाणो कभी मठु- माठु मठु माठु ...२
भला लोग भलु समाज, कोथिग्यो को रिवाज
खोली -खोल्यो मा गणेश, मोरी नारयण विराज मेरा गोऊ मा
मोरी नारयण विराज मेरा गोऊ मा
देवी देवतों का थान, धर्म -कर्म पुण्य दान
छोटू -बडो सभु मान ,पोणु देवता सामान  मेरा गोऊ मा
पोणु देवता सामान  मेरा गोऊ मा.......
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार ............................
वन-खेत हो खलियान मिली बाटी होंद धाण
क्वी फोजी क्वी किसान एक जिऊ एक प्राण मेरा गोऊ मा
एक जिऊ एक प्राण मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार ..........................
सेरा- उखड़ी अनाज ,वन हरियाली को राज
बाड़ी -सगोडियु मा साग जख -तख कर -काज मेरा गोऊ मा
जख -तख कर -काज मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार .....................
न्वोला -मंगरी को पाणी, कखी अमृत गाणी
लेणी-देणी,खानी -पेणि, रखी मन मा स्याणी मेरा गोऊ मा
रखी मन मा स्याणी मेरा गोऊ मा
गोड़ी - भेसीयू का खरक घियू दूध की छरक
मियारू रोतियालू मुलक ,मै कु यखी च स्वर्ग मेरा गोऊ मा
मै कु यखी च स्वर्ग मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार .....................
कोथिग विरेणा च देर बेटी -ब्वारी कोथिगेर
दाना नचाड गितेर,जुवान माया का सोदेर मेरा गोऊ मा
ज्वान माया का सोदेर मेरा गोऊ मा
काफल बुरांस का फूल ,कफू हिलास की वोण
मीठी -बोली ,मीठी भाषा लीजा गीत समलोंण मेरा गोऊ मा
लीजा गीत समलोंण मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार .....................

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #49 on: August 06, 2008, 04:57:49 PM »

ऐसा लगता है की मेरे  गाँव का वर्णन नेगी जी के द्वारा ,एक बार पढेगे तो आप को अपने गाँव का वर्णन लगेगा

ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार
गोऊ को बाटू  मेरा गोऊ को बाटू
ऐई जाणो कभी मठु- माठु मठु माठु ...२
भला लोग भलु समाज, कोथिग्यो को रिवाज
खोली -खोल्यो मा गणेश, मोरी नारयण विराज मेरा गोऊ मा
मोरी नारयण विराज मेरा गोऊ मा
देवी देवतों का थान, धर्म -कर्म पुण्य दान
छोटू -बडो सभु मान ,पोणु देवता सामान  मेरा गोऊ मा
पोणु देवता सामान  मेरा गोऊ मा.......
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार ............................
वन-खेत हो खलियान मिली बाटी होंद धाण
क्वी फोजी क्वी किसान एक जिऊ एक प्राण मेरा गोऊ मा
एक जिऊ एक प्राण मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार ..........................
सेरा- उखड़ी अनाज ,वन हरियाली को राज
बाड़ी -सगोडियु मा साग जख -तख कर -काज मेरा गोऊ मा
जख -तख कर -काज मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार .....................
न्वोला -मंगरी को पाणी, कखी अमृत गाणी
लेणी-देणी,खानी -पेणि, रखी मन मा स्याणी मेरा गोऊ मा
रखी मन मा स्याणी मेरा गोऊ मा
गोड़ी - भेसीयू का खरक घियू दूध की छरक
मियारू रोतियालू मुलक ,मै कु यखी च स्वर्ग मेरा गोऊ मा
मै कु यखी च स्वर्ग मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार .....................
कोथिग विरेणा च देर बेटी -ब्वारी कोथिगेर
दाना नचाड गितेर,जुवान माया का सोदेर मेरा गोऊ मा
ज्वान माया का सोदेर मेरा गोऊ मा
काफल बुरांस का फूल ,कफू हिलास की वोण
मीठी -बोली ,मीठी भाषा लीजा गीत समलोंण मेरा गोऊ मा
लीजा गीत समलोंण मेरा गोऊ मा
ना उकाल ना उंदार सीधो सेणु  धार -धार .....................

Joshi Ji,

Really this is one the best songs of Negi Ji. Generally, the lyrics of Negi Ji song has a great meaning on social, develomental, cultural issues.

 

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