Author Topic: Narendra Singh Negi: Legend Singer Of Uttarakhand - नरेन्द्र सिंह नेगी  (Read 83367 times)

हेम पन्त

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #60 on: August 14, 2008, 03:17:15 PM »
यह बात अक्षरश: सत्य है.. जोशी जी आप इन गानों के बोल लिख कर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं... धन्यवाद


बगत की मार चा घेय्ल तलवार चा .....२
खुखरी खुविंडी छन .....................................

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #61 on: August 14, 2008, 04:39:51 PM »
नेगी जी बरखा ( बारिश) पर यह बहुत अच्छा गाना रचा है !

गा रा रा रे आगे रे बरखा झुकी आ गे.
सा रा - रे डाणु कुरेडी छा गे !

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #62 on: August 22, 2008, 11:02:22 AM »



यु दानी आंखी मा छम -छम पाणी
यु बुढ़िया आंखी मा दन- मन पाणी
आज किले होलू आणु कोजाणी
यु .........................................
घर-वन  खोला अपना पराया
जो छोड़ी परदेश आयु मी
जो डांडी कंठी यु मा बाला पन बीती
सुख सुविधो मा बिसरी गयो मी
 सुख सुविधो मा बिसरी गयो मी
कर्ज मी पर वी धरती कू
वे होली शयेद कर्ज उगाणी
यु .................................
सभी सुख छन पर तिसलू प्राण
आज किले टप-टियाट कनु च
जे खेरी छोड़ी परदेश भागु
वी खेरी खानों जिउ फ़िर बोनुच
वी खेरी खानों जिउ फ़िर बोनुच
जन्म भूमि की व नांग व भूख
कथ्गा सवादी छे अब याद आणि
यु बुढ़िया आंखी मा दन- मन पाणी
यख  गमलों सजयो  छो मी
कब तक रोलु हेरू हवे की
अपना ज्लरा काटी आयु छो
सुख्णु छो अब जर -जर के की
सुख्णु छो अब जर -जर के की
जवानी काट याली झुटा सुख मा
बढ़प इतगा रुवालू नि जाणी
यु .......................................
पौखुर (पंख ) हुंदा उडी जांदू मुल्क
बिसर यू बाटू खोज्यांद-खोज्यांद
डनडेली बेठी देखू नु  रांदु
डांड यू स्विलू  घाम अछान्द
डांड यू स्विलू  घाम अछान्द
उखी वी डनडेली मा छुट्दा प्राण
मन मा रेगे  आखरी  स्याणी
यु दानी आंखी मा छम -छम पाणी
यु बुढ़िया आंखी मा दन- मन पाणी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #63 on: August 22, 2008, 11:10:53 AM »



यु दानी आंखी मा छम -छम पाणी
यु बुढ़िया आंखी मा दन- मन पाणी
आज किले होलू आणु कोजाणी
यु .........................................
घर-वन  खोला अपना पराया
जो छोड़ी परदेश आयु मी
जो डांडी कंठी यु मा बाला पन बीती
सुख सुविधो मा बिसरी गयो मी
 सुख सुविधो मा बिसरी गयो मी
कर्ज मी पर वी धरती कू
वे होली शयेद कर्ज उगाणी
यु .................................
सभी सुख छन पर तिसलू प्राण
आज किले टप-टियाट कनु च
जे खेरी छोड़ी परदेश भागु
वी खेरी खानों जिउ फ़िर बोनुच
वी खेरी खानों जिउ फ़िर बोनुच
जन्म भूमि की व नांग व भूख
कथ्गा सवादी छे अब याद आणि
यु बुढ़िया आंखी मा दन- मन पाणी
यख  गमलों सजयो  छो मी
कब तक रोलु हेरू हवे की
अपना ज्लरा काटी आयु छो
सुख्णु छो अब जर -जर के की
सुख्णु छो अब जर -जर के की
जवानी काट याली झुटा सुख मा
बढ़प इतगा रुवालू नि जाणी
यु .......................................
पौखुर (पंख ) हुंदा उडी जांदू मुल्क
बिसर यू बाटू खोज्यांद-खोज्यांद
डनडेली बेठी देखू नु  रांदु
डांड यू स्विलू  घाम अछान्द
डांड यू स्विलू  घाम अछान्द
उखी वी डनडेली मा छुट्दा प्राण
मन मा रेगे  आखरी  स्याणी
यु दानी आंखी मा छम -छम पाणी
यु बुढ़िया आंखी मा दन- मन पाणी

Negi ji ke gaano ke line ka kya kahana.. Heart touching and on really situation of pahad.

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #64 on: August 23, 2008, 12:54:16 PM »
सुर सुरिया बथो चा, गेहू जोऊ की दाऊ चा
क्या सुर सुरिया बथो चा, गेहू जोऊ की दाऊ चा
अएसू (इस साल) अनजान भरे खलियान
खेरी खयेल अब मोज मनान
कन भलू समोऊ च गेहू जोऊ की दाऊ चा
                                वल्या खलियान क्या घम -घामट, ज्वान बैखु की लाठो की रोड
                                पल्या खलियान क्या छप-छपियाट, बेटी ब्वारी की सुपो घोंड
                                रंग मत ..रंग मत  सरू गोऊ चा कन भलू समोऊ चा
                                 सुर सुरिया बथो चा गेहू जोऊ की दाऊ चा
चलना मटेलु कु सर -सराट, पुडधरी कु क्या फर-फराट
नई ब्वारी की फ़िरडा-फ़िरडी, सासु जेठाणी का बैठा ठाट
असेऊ पसेउ चा -२ कन भलू समोऊ चा
सुर सुरिया बथो चा गेहू जोऊ की दाऊ चा
                                सल्याण बोउ की क्या कट्टिया कूटे, भाभरिया बलदु की रिंगा-रिटे
                                गंगा पार बोउ  कु  काम क्या देखण, देखणी भोजी की हिटे
                                बोउ कु रो न ठो उ चा कन भलू समोऊ चा
                                सुर सुरिया बथो चा गेहू जोऊ की दाऊ चा
कंडसी सी नार देखि ब्वनी, गीचडी की रस्ता गयेल कनी. २
ब्वारी का मुख मुस्का बंधिया ,सासु पाथ की सेर धनी  .२
ककडय्या  -२ सुभोऊ चा कन समोऊ चा
सुर सुरिया बथो चा गेहू जोऊ की दाऊ चा
                              सल्ली हाथो की बूडूट देखेणी,नलों कौणी मंदिरी बूणणी
                              चाय की घुटक, कल्यो का मुचियाडा, कखिम नवन उमीभड़ेणी 
                              गोरु खुणी-२ गोरु खुणी चिलोऊ  कन भलू समोऊ चा
                              सुर सुरिया बथो चा गेहू जोऊ की दाऊ चा
जों का झीस झस -झसाक, जिठाणी नी सोदी ठस-ठसाक  .२
देवर  भोजी की ठटा मजाक ,नाक दियुरणि का घच -घचाक
नया गेहू -२ नया गेहू कु तोऊ चा कन भलू समोऊ चा 
 सुर सुरिया बथो चा गेहू जोऊ की दाऊ चा                             
                               

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #65 on: August 23, 2008, 01:01:31 PM »
Wah Mukesh ji +1 karma aapko is sundar gaane ke liye.

प्रहलाद तडियाल

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #66 on: August 23, 2008, 01:07:09 PM »
पहाड की पीडा को अभिव्यक्त करते नेगी जी के गाने
नेगी जी ने पहाड के हर दर्द को अपने गानों के माध्यम से आवाज दी है...तो यह कैसे हो सकता है कि पिछली कई सदियों से पहाड की सबसे बडी समस्या 'पलायन' उनकी कलम से अछूता रह जाता...
पलायन की समस्या पर कई गानों के माध्यम से नेगी जी ने पलायन की पीडा को व्यक्त किया है... इसी प्रकार का एक गाना यह है… (पुरुष स्वर महिला स्वर)

नारंगी की दाणि हो....
क्याले सुकी होलो बौजी, मुखडी को पानी हो.....
खोली को गणेशा हो....
जुग बीती गैनी दयूरा, स्वामी परदेशा हो......
एक युवक जो छुट्टी लेकर गांव आया हुआ है..अपने पडोस की एक महिला (भाभी) की बदली हुयी स्थिति देखकर दुखी हो जाता है.. वह स्त्री अत्यन्त रूपवती थी...लेकिन अब उसकी कजरारी आखों का और लंबे बालों का सौन्दर्य कहीं खो गया है.... इसका कारण पूछने पर वह स्त्री कहती है कि उसका पति लंबे समय से परदेश से घर वापस नही आया.... उसकी याद में रोते-रोते आंखों का काजल बह गया है...और उसके लंबी लटें पहाडों में खेती तथा पशुपालन की खातिर होने वाली कठोर मेहनत की भेंट चढ गये हैं....

गाने की अन्तिम पंक्तियां दिल को छू जाती है...युवक भाभी को सांत्वना देते हुए कहता है कि दुख के दिन हमेशा नहीं रहेंगे, भाभी कहती है लेकिन मैं अपनी जवानी के यह अमूल्य दिन कहां से वापस लाउंगी?

धीरज चाएंदा हो...
खैरी का ये दिन बौजी, सदा नि नी रैन्दा हो..
त्वैमां क्या लुगूणों हो..
दिन बोडी ए बी जाला, ज्वाणि कखै ल्योण हो?

लगता है यह सवाल शायद पहाड की उन सभी महिलाओं की तरफ से पूछा जा रहा है, जिनके पति बेहतर भविष्य की तलाश में अपने परिवार को छोडकर महानगरों में नौकरी करने को मजबूर हैं.

प्रहलाद तडियाल

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #67 on: August 23, 2008, 01:08:27 PM »
सम्दोला का द्वि दिन सम्लोंन्या हवे गेनी-२
समदिणी तुमरा हथु की रस्याण बै क्या बोन-2
सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२

बिस्तर बिछ्युं छौ निवतु पलंग छ्पछापू-२
बिन्सिरी म गिलास मिली चा कु टपटुपू-२
होका भोरी की समदिणी सिराना धरी गेनी

सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२
सम्देनी तुमारा हतु की
सम्देनी तुमारा हतु की रस्याण बै क्या बोन
सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२

गथु गथोनि भट्टू की भटोनी झंगोरू फरफुरु-2
मैन मसलु भी नापतोली चरचुरु बरबुरू-2
लाल कुटीं मर्च मोरयाँ कंठ खुल गेनी

सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२
सम्देनी तुमारा हतु की
सम्देनी तुमारा हतु की रस्याण बै क्या बोन
सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२

रैठु पल्यो ताता पिंडा बाड़ी का चटनी खटि मिठी-2
लस्पसी निर्पाणी की खीर अन्गुलों की चटाचाटी-२
सैरी प्रिथी का पाक पक्वान घल्तोन्या हवे गेनी

सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२
सम्देनी तुमारा हतु की
सम्देनी तुमारा हतु की रस्याण बै क्या बोन
सम्दोला का द्वि दिन सम्लोन्या हवे गेनी-२

सल्ली सम्दिनी का स्वाणा हथु कु सगोर संग्तासारे

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #68 on: August 23, 2008, 03:31:35 PM »
जो जस देई देणु ह्वे जैइ ...२
देशु मा को देशा मेरु गढ़ देशा हो
हो .............ओ ......................
मेरा गढ़ देशा हो
                         बद्री -केदार  भी तेरा जस  गादन
                         पंच नाम देवता भी त्वे सेवा लादन
                         देवतों को देशा हे मेरा गढ़ देशा हो
                          हों ................ओ....................
                                            मेरा गढ़  देशा  हो ..................
                                          जो जस ..................................
यखी हवे माधो भंडारी ,तीलू रोतेली सी नारी -२
गढ़ का सपूत हवेनी ,यखी हुणों का जितारी
वीरो ...को देशा हे मेरा गढ़ देशा  हो .....
 हों ................ओ....................
 मेरा गढ़  देशा  हो .................
जो जस
                       भरी दे अनाज कोठार ,अन्न धन का भंडार
                       सुखी -शान्ति भरपूर ,राखी गंगा वार -पार
                       गंगा जी को देशा  रे मेरा गढ़ देशा  हो ..
                                       हों ................ओ....................
                                       मेरा गढ़  देशा  हो .................
                                        जो जस
सुखी -दुखी जखी रोला त्वे थे नि बिसरोला
तेरु मान सम्मान  तेरा गीतों गुंजोला
देशु -प्रदेशा हो ,मेरा गढ़ देशा हो
 हों ................ओ....................
 मेरा गढ़  देशा  हो .................
जो जस

Mukesh Joshi

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Re: Narendra Singh Negi - Legend Singer of Uttarakhand
« Reply #69 on: August 23, 2008, 04:14:35 PM »
तेरु भाग्य त्वे दगड ,मेरु भाग्य मै दगड
तेरु बाटू तेरा अगाडी, मेरु बाटू मेरा अगाडी (आगे )-2
कख लिजालू  कुजाणी दगडीया
दगुडू नि रेणु सदानी दगडीया  ...२
                         सुख मा दुःख मा मिली -जुली, दिन जो गेनी वी अपना
                         मेरी होट डी मा हँसी तेरी ,तेरु दर्द मेरा जिकुडा..२
                         अपणु -परायु नि जाणी  दगडीया-2
                                            दगुडू नि रेणु सदानी दगडीया  ...२
                         तेरु..............................................
कांडा लग्या ई  उमर  उन्द ,नरके की  गाई बिराली सी
बगत नी रुकी हाथ  जोड़ी -जोड़ी ,बगदू  गाई पाणी सी
पौणु सी  आई ज्वानि  दगडीया--२
दगुडू नि रेणु सदानी दगडीया  ...२
तेरु .......................................
                                         रई- सई भी कटी जाऊ जू ,यनी समलोण दे जा आज --२
                       दगडीया भोल कख तू -कख मी ,आखरी बेर भ्यटेजा आज --२
                       बगडी दे आँखीयू को पाणी  दगडीया 
                       दगुडू नि रेणु सदानी दगडीया  ...२
                       तेरु भाग .......................................
बोझ हिया कु भया बीसा जा ,भूली बिसरी छूई  बतलेजा-२
औ  दगडीया सुख -दुःख बाटी  ल्योला ,जिकुड़ी अदला -बदली के जा -२
दुःख से हार नी मानी दगडीया--२
दगुडू नि रेणु सदानी दगडीया  ...२
तेरु .......................................

 

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