एक जीवंत शहर मनुष्य की बढती जरूरतों की भेंट चढ गया. यह टिहरी का त्याग ही तो है…. लोगों के घर को रोशन करने के लिए बिजली बननी थी... उसके लिए टिहरी शहर और कई गांवों में रहने वाले हजारों परिवार को विस्थापन की मार झेलनी पडी.
हज्ञारों-लाखों लोगों का दर्द क्या आसानी से व्यक्त किया जा सकता है? इस विषय पर कई लेख, कविताएं और गाने बने.... नेगी जी का "अबरि दा तु लम्बी छुट्टी ले के एई" तो इतिहास में दर्ज हो गया. रोहित चौहान का गाया हुआ यह गाना भी उसी पीडा को व्यक्त करता है.... और इतिहास में इसे जगह दिलायी है वसुन्धरा रतूडी ने.... वसु ने "जी.टी.वी. के सा रे गा मा" में गाकर इसको किसी टी.वी. टैलेन्ट हंट के मंच पर गाया जाने वाला पहला उत्तराखण्डी गाना बना दिया....
आख्यूं में रिटणि, पानी में रिंगणि-2
हे विधाता- हे विधाता हमुल तेरो क्या जै क्वे,
मेरि पितरो की बसायी टिहरी पाणि डुबता ह्वै,
कैकि लागी ह्वली नजर मेरि प्यारि टिहरी त्वै
राजा कू रज्वार डूबि, रानि कू रोतैलू मैल,
कन भलो बजार डूबि टिहरी की व चैल-पैल-2
हे विधाता- हे विधाता हमुन तेरो क्या जै क्वे,
मेरि पितरो की बसायी टिहरी पाणि डुबता ह्वै,
कैकि लागी ह्वली नजर मेरि प्यारि टिहरी त्वै
जौ बाटो बौया लगैन, सी बि अब पाणि मैं गैनि,
गौ घर झजाट बरि, अब त समलौंडा ह्वेनि-2
हे विधाता- हे विधाता हमुन तेरो क्या जै क्वे,
मेरि पितरो की बसायी टिहरी पाणि डुबता ह्वै,
कैकि लागी ह्वली नजर मेरि प्यारि टिहरी त्वै
भै-भयू से गेनि दूर स्वीणा ह्वेनि चूर-चूर.
हे बैरी विधाता बोल हमरू क्या रईं कसूर-2
हे विधाता- हे विधाता हमुन तेरो क्या जै क्वे,
मेरि पितरो की बसायी टिहरी पाणि डुबता ह्वै,
कैकि लागी ह्वली नजर मेरि प्यारि टिहरी त्वै
श्रीदेव सुमन की टिहरी, गंगा भागिरथी कु मैत,
कन बनि डाम कि जेल, द्वि बेनि ह्वे गेनि कैद-2
हे विधाता- हे विधाता हमुन तेरो क्या जै क्वे,
मेरि पितरो की बसायी टिहरी पाणि डूबता ह्वै,,
कैकि लागी ह्वली नजर मेरि प्यारि टिहरी त्वै
मेरि पितरो की बसायी टिहरी……………