Uttarakhand > Music of Uttarakhand - उत्तराखण्ड का लोक संगीत
Niyoli-Hunkiya Baul, Bhagnual-न्योली, हुनकिया बौल, भगनौल,लोक संगीत के हिस्से
Uttarakhandi-Highlander/मी उत्तराखंडी छियो:
"कट्न्या-कट्न्या पौलि ऊँछौ चौमास कौ बन
बग्न्या पाणी थामी जांछौ नी थामीनौ मन"
ये पंक्तियां मुझे एकाधिक कुमाऊँनी गीतों/लोकगीतों में सुनाई दीं और मुझे यह जानकर हैरानी भी हुई और सुख भी कि लोकगीत कितनी सफलता से काव्यात्मक भी रहे हैं। इन पंक्तियों का अर्थ है कुछ यूँ है:
"बार बार कटते रहने पर भी चतुर्मास का वन फिर फिर पनप जाता है,
बहता पानी तो थम जाता है मगर मन नहीं थमता"
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
काटन्या काटन्या पोली आयो चौमासु को वना |
बगंयाँ पाणी थमी जांछो नी थामीनो मना ||
.............................
हात को रुमाल छुट्यो पाणी का खाल में |
कै पापी लै खिति छू मैं दुणा जंजाल में ||
.............................
बरमा जांछ रेलगाड़ी , मथुरा जान्याँ कार |
बची रौंला चिठ्ठी दुला , मरी जूंला तार ||
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
....................
धोती मैली टोपी मैली ध्वे दिन्यो क्वे छै ना |
परदेसा मां मरी जूंला रवे दिन्यो क्वे छै ना ||
..........................
कथै कुनुं को सुणाछ , बड दुःख भारी |
घर जानूं सैणि रिसें , भैर करजदारी ||
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Suresh Pant सुदूर पच्छिमका डोटी अंचलको लोकशैलीमा एस्तो गीत गाईन्छ :
डोटी राम्रो डँडेल्धुरा अछाम राम्रो साँपे।
मलाई पनि उडाई लैजा ह्यूंचुलीका डाँफे॥
दुल्लुदेई दैलेख सम्म जाँथी हान्यो खम्म।
खाँक फाल तिर्सना झाल घाम लागन्ती सम्म॥
जै गाड बस्याको भोट्या पानी काँ खाँदो हो
हाड मांस माटीका भर हंसा काँ जाँदो हो ||
हरे - ए - ए - हर ----
* Suresh Pant ... पश्चिम नेपाल में ही नहीं, पिठोरागढ़ में भी यह प्रचलित है | यहाँ इसे 'न्योली' के नाम से ज्यादा जाना जाता है |
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Niyoli
www.youtube.com/watch?v=yJ6P-XpZeNk
Navigation
[0] Message Index
[#] Next page
[*] Previous page
Go to full version