Author Topic: Questions & Answers in Jod-चार आंखर (जोड़ में सवाल जवाब) लोक संगीत की विधा  (Read 30753 times)

हलिया

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    चार आंखर:


]मित्रो यहाँ पर मैं कुछ लोक गीतों की पंक्तियां लिख रहा हूं जिन को आप किसी भी  लय में (झोडा,  चांचरि या  न्यौलि इत्यादि) में गा या खाली समय में गुनगुना सकते हैं।  इस कडी को आगे बढाने में मेरी मदद भी कर सकते  हैं हो महाराज ॥


व्वार वटि को पार देखि च,
काट्या को सेरो।
जिंदगी में ध्वाका दिछ, 
पाप लागोलो म्येरो ॥ 1॥


रुख लागो औखौडा दानि,
खानि नै लागनि।
त्वे सुवा सूरत देखि,
जानि नै लागनि ॥ 2॥


रहट कि तान,
रहट की तान ।
कखा बटि आ पडैछ,
हसिया परान ॥ 3॥

सर्गा भरि तारा छन,
गणि न सकिना ।
जैको सुवा परदेशा,
उ करम हीना ॥ 4 ॥


हरिया घास क्याले सुको,
दोफरि घामा ले ।
आज तक ज्यूनो रयूं,
तुमरा नामा ले ॥ 5 ॥


बल्द मोटो बण चर्या ले,
घोडो मोटो जौं ले ।
रात काटछुं गीत गै भेरे,
दिन तुमारा नौं ले ॥ 6 ॥             


घाघरि को घेर,
घाघरि को घेरा ।
मै गलति मानि ल्हिछु,
हाथ जोडि भेर
म्यर नौलि तुम सुणि ल्हिया,
ध्यान ल्गै भेर ॥ 7 ॥


हपुरा पनारि को छ:
चेलि खर्कवालै कि,
तेरा मेरा हैसिया दिन,
आजि फर्कालाक़ कि ॥ 8 ॥

हलिया

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Re: चार आंखर:
« Reply #1 on: September 14, 2010, 11:35:08 AM »
    रस्सी बटि उदाल कि,
   हुडका मोडै जन ।
      हाथ जोडुछु, टोपि गडौलो,
          माया टोडै जन ॥


रामगंगा सरज्यू गंगा,
    क्यालै भैछ मैलि ।
      मेरो सुवा भलो छियो,
        सिकै हैछ कैले 


पानि भरौ लोटिया ले,
    घ्यू भरौ सेर ले ।
      त्वे दगडि माया टूटि,
        दासा का फेर ले ॥


गंगा ज्यु में बगि  आयो,
   स्यूं चाबि बगसा ।
     लागि माया टोडि गैछे,
        तू बडी सकसा 


धार्चुला धौल्यालि  काटो,
    आंसि का सुलि ले ।
       मैंत सुवा मरि जुलो,
         तेरि बाटुलि ले ॥

 
आजि छ:

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: चार आंखर:
« Reply #2 on: September 15, 2010, 01:41:19 PM »

हालिया जी . .. कुछ में भी लिख देता हूँ!

१.   आसमानी जहाज उड़
   पछीला घौराट...
     छेली ले सौराश जाण
   च्याल ले प्रदेश !

 

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: चार आंखर:
« Reply #3 on: September 15, 2010, 02:04:52 PM »
दो लाइन मेरी भी बुरा न माने तो

कख छी ज्वान लौंडा
किले नि आन्दा इनै अजकाल

कख गैन नया कवि
पोड़ी गे नि यख बस्काल

अब नि ऐला ता कब ऐला
तब नि बुल्याँ यु कैरियाल 

देखा देखा कनि च बरखा 
कन हुयां नि यखा का हाल

पैसा जू भी दिया सरकार ला
देखा सबी नेताओं ला खयाल

कुडू टूट म्यारू क्या बुन
पैसा वूंल काका थै दियाल

मनखी छोड़ा देवता नि छुड़ना
pujaai फर वूंल च स्टे दियाल

कनिकै कला पूजै अब
बुगाटिया वूंल हर्चायेयाल

हेम पन्त

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Re: चार आंखर:
« Reply #4 on: September 15, 2010, 02:36:56 PM »
भौती बढिया लग रहा है इन लाइनों को गुनगुनाना.. आप हल लगाते-लगाते गाते होंगे इन गानों को? आपके बल्द तो आपसे भौत खुश रहते होंगे

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: चार आंखर:
« Reply #5 on: September 15, 2010, 02:49:50 PM »
म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर 
टक लगैकी ऐजय्याँ
भेजण पुड्यां नि खुजेर
 
म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर
 
चंखी दादा तू भी ऐई
चम् ऐ जैई नि करि देर 

फजिती काकी थै भी लेई
शर्म नि करि इत्गा नि डैर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

ग्वाबिंदी काकि थै ले चम्
पाणि भ्वन हमर पंधेर
चौंफ्य फूफा कनै गाई
अज्काल बन्युं च जू ग्वेर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

बोकटिया सिरयुंच हमरु
बांठी मिलाली एक एक सेर
चम् चम् ऐ जय्याँ
तब नि बुल्याँ क्या अंधेर

म्यार गान्मा पूजै च रै
ऐ जय्याँ भोल सुबेर

हलिया

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Re: चार आंखर:
« Reply #6 on: September 15, 2010, 02:58:51 PM »
वाह वाह! सत्यदेव ज्यु, बहुत बढिया च हो माहाराज!  ई म बुरा माननाकि क्या बात च?   ;D :D

पंतज्यू, पैलाग हो महाराज !  अब ये तो सदाबहार नगमे ठैरे हो गुनगुनाने का आनंद तो और भी आता है जब बल्द जोत रहे हो या खेत मैं काम कर रहे हो ।  आप भी तो गुनगुनाते होगे, हौसिया आप भी कम नहीं हो महाराज । 8) 8)

हलिया

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Re: चार आंखर:
« Reply #7 on: September 15, 2010, 02:59:36 PM »
काट्न्या काट्न्या पल्यु ऊंछ:,
चौमासी को बना ।
थामी जांछ: बग्न्या पानी,
नै थामीनो मना ॥
***

कुणलो पाथरा चिणों,
नैपाल राजा ले ।
मेरो मन उडन लागो,
तेरि बंसी बाजा ले ॥

पंछी उडि-उडि न्हैगै,
ठंडा हिमालै मै ।
   मेरि माया धरि दिये,
      खल्दी रुमालै मै ॥
*** 

नौ पाटा घाघरि सिणि,
    छ: पलि आंगडि ।
       कैको पालो जन पडो,
          पापिन दगडि ॥
***   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: चार आंखर:
« Reply #8 on: September 15, 2010, 03:18:32 PM »

इन जोड़ो को पहले झोडा या चाचरी आदि में लोग एक दुसरे के कुशल जानने के लिए और और एक दुसरे कोई सवाल जवाब भी करते थे! जिनका के उत्तर बहुत ही कम समय में एक जोड़ बना कर देना होता था!

जैसे :

तिमुली क पात हो दाजू
तिमुली क पात
या तो सब ठीक छो !
कास छो तुमार कुशल बाद?


Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: चार आंखर:
« Reply #9 on: September 15, 2010, 03:39:03 PM »
ही भरी जां हो महाराज य जोड़ पर.

घुघुती क घोल सुवा,
घुघुती क घोल.

नी धर अबोल सुवा,
मर जुंला भोल.

 

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