Author Topic: Exclusive Golden Folk Songs of Uttarakhand- उत्तराखंड के सुनहरे लोक गीत  (Read 20900 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
भटकणू छौं स्वर्ग मां (खुदेड़ गीत) / गढ़वाली
पन्ना संवाद सोर्स देखें . पुराने अवतरण मूल रचयिता- नरेन्द्र सिंह नेगी




भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं..

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

भटकणू छौं स्वर्ग मां.....




ग्वाळा पैथर ग्वाया लैकी पौंछी ग्यौं परदेस मां... पौंछी ग्यौं परदेस मां...

ग्वाळा पैथर ग्वाया लैकी पौंछी ग्यौं परदेस मां... पौंछी ग्यौं परदेस मां...

बीड़ छौ मैं पर्बतूं जांठू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं... भटकणू छौं स्वर्ग मां.....




कखड़ी मुंगरी खाजा बुखणा अब नि औंदिन गौं बिटी ... अब नि औंदिन गौं बटी...

कखड़ी मुंगरी खाजा बुखणा अब नि औंदिन गौं बिटी... अब नि औंदिन गौं बटी...

मेरु बि हक छौ यूं फरैं बांठू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं... भटकणू छौं स्वर्ग मां.....




डांडा कांठौं का भट्यौणम, गै त छौ घर बौड़ी की... गै त छौ घर बौड़ी की...

डांडा कांठौं का भट्यौणम, गै त छौ घर बौड़ी की... गै त छौ घर बौड़ी की...

रीति सूनी तिबार्यूं मां नातू खोज्याणू रौं... दिदौं...

भटकणू छौं स्वर्ग मां, बाटू खोज्याणू छौं... दिदौं...

बीज छौं मै धरती कू माटू खोज्याणू छौं... दिदौं..

भटकणू छौं स्वर्ग मां...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
कैसो च भंडारी तेरा मलेथ? / गढ़वाली

कैसो च भंडारी तेरा मलेथ ?
देखी भलौ ऎन सैवो मेरा मलेथ
लकदी गूल मेरा मलेथ


भावार्थ

--'ओ भंडारी राजपूत, कैसा है तेरा 'मलेथ' गाँव?
देखने में भला लगता है, साहबो, मेरा मलेथ ।
ढलकती नहीं है वहाँ, मेरा मलेथ ।
गाँव की निचान में घर है मेरा, मेरा मलेथ ।
पालक की बाड़ी है, मेरा मलेथ ।

लहसुन की क्यारी है, मेरा मलेथ ।
गौओं की गोठ है, मेरा मलेथ ।
भैंसों की भीड़ है, मेरा मलेथ ।

कुमारियों की टोली है, मेरा मलेथ ।
वीरों का धक्कम-धक्का है, मेरा मलेथ
गाँऊँ मूड़ को घर मेरा मलेथ

पालंगा की बाड़ी मेरा मलेथ
लासणा की क्यारी मेरा मलेथ
गाइयों की गोठ्यार मेरा मलेथ

भैंसी को खुरीक मेरा मलेथ
बांदू का लड़क मेरा मलेथ
बैखू का ढसक मेरा मलेथ

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

देन्णा होई जाया बें सेळी धरती / गढ़वाली

   

देन्णा होई जाया बें सेळी धरती
देन्णा होई जाया बें भूमियाळा दयोऊ
देन्णा होई जाया बें माईSSमडूली
देन्णा होई जाया बें रितू बसंता


देन्णा होयां देवताओं उलामुला मासा
देन्णा होयां देवताओं चुलामुला बारा
ऋतू बौडी औगया बै दाई जसो फेरो
ऋतू बौडी औगया बै बारूणी बगत

उलापैटा मासा बै बौडी कै नी औना
ऋतू फेरी बसंता बै फेर बौडी औगे
सूकुओ का सनणा बै मौली कै नी औना
हरी भरी सनणा बै फेर मौळी औगे

कनु औगे दयाल्तायों चौपन्थी चौखाळ
मौळणाऊ लैगे बै चांचर की धूप
ऋतू चाडों बासना ऋतू ऋतू बोना
ऋतू चाडी बासनी मैता-मैता बोनी

ओखाडा की फाग्यूं माँ कफ़ूणा बासलों
सान्यों-सान्यों बासा बै घुघूती घूरली
सैळा जैटा बारां बै सैळी सूरी बासा
माळनो की घुघूती पराबतूं आगे

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 "सतपुली"......रचियता..अज्ञान्त

द्वी हजार आठ भादों का मॉस,
सतपुली मोटर बागिन खास.
औडर  आई गए कि जांच होली,
पुर्जा देखण कु इंजन खोली.
अपणी मोटर साथ मां ल्हावा,
भोळ होलि जांच अब सेई जावा.
से जोला भै बन्धो अब बरखा ऐगे,
गिड़ गिड़ थर थर सुणेण लैगे.
सूबे उठीक जब ऐन भैर,
बगिक ऐन साँदण खैर.
गाड़ी कि भीतर अब ढुंगा भरा,
होई जाली सोंगुडी धीरज धरा.
गाड़ी कि छत मां अब पाणी ऐगि,
जिकुड़ी डम डम कांपण लैगि.
अपणा बचण कु पीपल पकड़ी,
स्यु पापी पीपल स्युं जड़ा उखड़ी.
दगड़ा का भै बंधु तुम घर जाला,
सतपुली का हाल जिया ब्वै मू लाला.
शिवनंदी कु थयो गोवर्धन दास,
ढाई हजार रुपया थै जैका पास.
डाखानो छोडिक तीन गाड़ी लीनी,
तैं पापी गाड़ीन कनु धोखा दिनी.
हे पापी नयार कमाए त्वैकु,
मंगसीर का  मैना ब्यो थयो मैकु.
काखड़ी मुंगरी बुति थैन ब्वैन,
राळि लगीं होलि नि खाई मैन.
जिया ब्वैकू बोलिन नि रोण मैकु,
आंख्यौंन फूट्ण कैन देण त्वैकु.

 जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु द्वारा पोस्ट दुर्लभ ५७ साल पुराना गीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
"बीरा"........(जीत सिंह नेगी)

तू होली ऊंची डांड्यौं मां बीरा,
घस्यारिओं  का भेस मां.
ख़ुद मां तेरी सड़क्यौं फर मैं,
रोण लग्युं छौं परदेश मां.

ऊंची निसि डाँडी गाड गदनी,
हिंसर अरु  किन्गोड़ी ला,
बुलबुल बणि होलि डाळी,
ग्वैर दगड्या तोड़ला.

घौणि कुलैयों बीच मां अर्,
बांज की दाळ्यौं का छैल मां,
बेटी ब्वारी बैठीं होलि,
बैख होला हैल मां.

सर सर हवा औणि होलि,
बद्रीनाथ का डांडा की,
मुख मां लटुली उडणी होलि,
ठंडी हवां डांडा की.


पर मैं  मरणु छौ  भूखन,
अर् ठंडन ये देश मां,
ख़ुद मां तेरी सड़क्यौं फर मैं,
रोण लग्युं छौं परदेश मां.

तू तख यकुलि मैं यख यकुलि,
भाग मां हमारा यनि छ,
क्वी दुखि त क्वी सुखी प्रभु जी,
ये जग मां त्यारा छ.

गढ़वाल की भूमि सारी,
मगन छ देवतों का आदेश मां,
ख़ुद मां तेरी सड़क्यौं फर मैं,
रोण लग्युं छौं परदेश मां.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
"रामी".....(बलदेव प्रसाद "दीन")

बाटा  गोड़ाई क्या तेरो नौ छ,
बोल बौराणी कख तेरु गौं छ.

बटोई जोगी न पूछ मैकु,
केकु पूछ्दी क्या चैंदु त्वैकू.

रौतु की बेटी छौं रामी नौं छ,
सेटु  की छौं पाली गौं छ.

मेरा स्वामी न मैं छोड्यों पर,
निर्दयी ह्वैगिन मैंई फर.

ज्यूंरा का घर नि मैकु,
स्वामी विछोह होयुं छ जैंकू.

रामी तीन स्वामी याद ऐगि,
हाथ कुटली छूटण लैगि.

"चल बौराणी छैलु बैठी जौला,
अपणी खैरि वखिमु लौला".

"जा जोगी अपणा बाठ लाग,
मेरा शरील  न लगौ आग.

जोगी ह्वैक भी आंखी नि खुली,
छैलु बैठली तेरी दीदी भूली.

बौराणी गाळी नि देणी भौत,
कख रंदु गौं कु सप्रणौ रौत.

जोगिन गौं माँ अलेक लाई,
भूकू छौं भोजन देवा माई.

बुडड़ी माई तैं दया ऐगी,
खेतु सी ब्वारी बुलौण लैगि.

घौर औ ब्वारी तू झट्ट कैक,
घौर मू भूकू छ साधू एक.

सासू जी वैकु बुलाई रौल,
ये जोगी लगिगे आज बौळ.

ये जोगी कु नि पकौंदु रोटी,
गाळी दिन्यन ये खोटी खोटी.

ये पापी जोगी कु आराम निछ,
केकु तैं आई हमारा बीच.

अपणी ब्वारी समझोऊ माई,
भूकू छौं भात बणावा जाई.

रामी रूसाड़ु सुल्गौण लैगि,
स्वामी की याद तैं औण लैगि.

माळु का पात मा धरि भात,
मैं तेरा भात नि लंदु हाथ.

रामी की स्वामी की थाळी मांज,
भात दे रोटी मैं खौलू आज.

खांदी छैं जोगी त खाई ल्हेदि,
नि खान्दू जोगी त जाई  ल्हेदि.

बतेरा जोगी झोलियों ल्ह्यीक,
रोजाना घूमिक नि पौन्दा भीक.

जोगिन आख़िर भेद खोली,
बुढड़ी माई से यनु बोली.

मैं छौं माता तुमारु जायो,
आज नौ साल से घर आयो.

बेटा को माता भेटण लैगि,
रामी का मन दुविधा ह्वैगी.

सेयुं का सेर अब बीजी गैगी,
गात को खारू अब धोण लैगि.

पतिवर्ता नारी विस्मय ह्वैगी,
स्वामी का चरणु मा पड़ी गैगी.

वर्सू की खुद लगीं छ रामी,
आंख्यों की रोई नि सकी थामी.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
 "मदुली रुमा झूम"   

खेली जाली होली,
मदुली मदुली सब्बि बोदन,
कनि मदुली होली,
मदुली रुमा झूम मदुली........

लोण भरि दोंण,
मदुली उठै चंद्रु ल्हीगे,
शोबतु बैठि रोण,
मदुली रुमा झूम मदुली........

गूंदी जालु आटु,
मेरा मैठाला ऐलि मदुली,
धारा धरी बाटु,
मदुली रुमा झूम मदुली........

घोटी जाली रैठी,
मेरा  मैठाला ऐलि मदुली,
कुर्सी रैलि बैठी,
मदुली रुमा झूम मदुली........

नारंगी की दाणी,
उजाळा सी मुट मदुली,
रूप की राणी,
मदुली रुमा झूम मदुली........

तड़तड़ी नाकुड़ी,
रूबसी खुटी मदुली,
मरमरी पाखुड़ी,
मदुली रुमा झूम मदुली........

फूलु भरि क्यारी,
तुहू मेरी मौत तुहू,
ज्यूँ ज्यान की प्यारी,
मदुली रुमा झूम मदुली........

पाणी को सी ताल,
त्वै देखिक शर्मादुं,
स्यु बुरांस लाल,
मदुली रुमा झूम मदुली........

डांडा सारी मूं ही,
आंख्यों मा निंद्रा मदुली,
हिर्दय मा तू ही,
मदुली रुमा झूम मदुली........

रचनाकर अग्यांत.....पहाड़ में  मैठाला कहाँ है जरूर बताएं.....ऐसा लगता है रचनाकार मैठाला गौं के हों....
रामलीलाओं में इस गीत को गाया और मंचन किया जाता था......

प्रस्तुति:  जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
मोहन सिंह रीठागाड़ी Song

ऋतु औनी रौली भंवर उडला बलि,
हमारा मुलुका भंवर उडला बलि |
दै खायो पात मे भंवर उडला बलि,
के भलो मानी छो भंवर उडला बलि,
ज्यूनाली रात मे भंवर उडला बलि,
के भलो मानी छो भंवर उडला बलि,
है जा मेरी भैया भंवर उडला बलि,
यो गैली पातला भंवर उडला बलि,
पंछी वांसनया भंवर उडला बलि,
है जा मेरी भैया भंवर उडला बलि,
कविता की लेख भंवर उडला बलि,
सुणो भाई बन्दों भंवर उडला बलि,
मिली रया एक भंवर उडला बलि,
सुणो भाई बन्दों भंवर उडला बलि,
ऋतु औनी रौली भंवर उडला बलि,
हमारा मुलुका भंवर उडला बलि |

- मोहन सिंह रीठागाड़ी

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
गढ़वाली लोक गीत

          पयाँ डाळि

   संकलन -तोता राम ढौंडियाल

  इन्टरनेट प्रस्तुति - भीष्म कुकरेती

[लोक गीत; गढ़वाली लोक गीत, उत्तराखंड क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; मध्य हिमालयी क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; हिमालयी क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; उत्तर भारतीय क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; भारतीय क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत;  एशियाई  क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; लेखमाला ]
सेरा कि मि डोळयूँ , नै डाळि  पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

द्यबतूं का सतन,  नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

कूलि कि सि बेड्वळि ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

सेरा कि ढीस्वळि  ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

चला दीदी भूल्यो ,  ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

घ्यू दूद चारि  औंला,   ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

एक पत्ती ह्व़े ग्याई , ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

द्वी पत्ती ह्व़े ग्याई, ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

फूटी गेनी फांकि  , ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

द्यू कारो धुपणो ,,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

कै देव शोभलि ,,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

छितरपाल शोभलि  ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

कवी घांडी चड़ोला, ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

निसाण चड़ोला  ,   ,नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

द्यब्तळि  भीतर  , नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

को देव ल्या होलो , नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

ओ दीबा द्यूरड़ी नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

ओ नंदा भरड़ी , नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

ओ लाटु भैरव , नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी

ओ हीत नरसिंग , नै डाळि पयाँ जामी , नै डाळि पयाँ जामी


 जाति- थड्या, झोडा

(तोताराम ढौंडियाल संकलित , गढवाली गीत संग्र   , धाद प्रकाशन , देहरादून से साभार)



लोक गीत; गढ़वाली लोक गीत, उत्तराखंड क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; मध्य हिमालयी क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; हिमालयी क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; उत्तर भारतीय क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; भारतीय क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; एशियाई क्षेत्रीय भाषाई लोक गीत; लेखमाला  जारी ....

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
Keki dali Holi?:  Garhwali folk songs about Benefits of Fruit Tree Plantation
केकि डाळि होलि ? वृक्षारोपण सम्बन्धी गढ़वाली लोक गीत
                                        Bhishma Kukreti
[Notes on folk songs about benefits of tree plantations; Garhwali folk songs about benefits of tree plantations; Uttarakhandi folk songs about benefits of tree plantations; Mid Himalayan folk songs about benefits of tree plantations; Himalayan folk songs about benefits of tree plantations; North Indian folk songs about benefits of tree plantations; Indian folk songs about benefits of tree plantations; south Asian folk songs about benefits of tree plantations; Asian folk songs about benefits of tree plantations]
[वृक्षारोपण सम्बन्धी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी गढ़वाली लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी उत्तराखंडी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी मध्य हिमालयी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी हिमालयी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी उत्तर भारतीय लोक गीत;वृक्षारोपण सम्बन्धी भारतीय लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी दक्षिण एशियाई लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी एशियाई लोक गीत लेखमाला ].
                        Keki dali Holi?:  Garhwali folk songs about Benefits of Fruit Tree Plantation

   Apart from India, other countries too have traditional folk songs about fruit trees and then inspiring for fruit tree plantation.
 For example, the following American folk song is about fruits liking –
I like to eat, eat, eat, apples and bananas
I like to eat, eat, eat, apples and bananas
      There is news that an 83 years old Chinese woman Zou Lianying of Shibian town planted trees on 8th May 2012.
 Garhwalis are proud for having folk songs and modern poetry for tree plantation and fruit tree plantation.
 The following two folk songs are proof that Garhwalis are sensitive to plant and save the plants.
 The folk song speaks that the tree plantation is the job of this generation and next generation gets the benefits of tree plantation. 
                             केकि डाळि होलि ?
------१--
राजा की बागवान ब्वै , केकि डाळि होलि ? राजा की बागवान ब्वै , केकि डाळि होलि ?
राजा की बागवान ब्वै , नरंगी डाळि होलि. -२
नरंगी तुम खैलियाँ पर फांकि ना मड़कै ना -2
राजा की बागवान ब्वै , केकी डाळि होलि- २
राजा की बागवान ब्वै , निम्ब्वा डाळि होलि - २
निम्ब्वा तुम खैलियाँ पर फांकि ना मड़कै ना -२
राजा की बागवान ब्वै , केकी डाळि होलि- २
राजा की बागवान ब्वै , तिमला डाळि होलि- २
तिमला तुम खैलियाँ पर फांकि ना मड़कै ना -२
राजा की बागवान ब्वै , केकी डाळि होलि- २
राजा की बागवान ब्वै , आड़ू डाळि होलि- २
आड़ू तुम खैलियाँ पर फांकि ना मड़कै ना -२
                                           ---२--
लंका गढ़ भीतर ब्वै , केकि डाळि होलि ?लंका गढ़ ब्वै , केकि डाळि होलि ?
लंका गढ़ भीतर ब्वै , नरंगी डाळि होलि- २
डाळि हम लगौला ब्वै, नरंगी तुम खैला -२
लंका गढ़ भीतर ब्वै , केकि डाळि होलि ?लंका गढ़ ब्वै , केकि डाळि होलि ?
लंका गढ़ भीतर ब्वै , निम्बू डाळि होलि- २
डाळि हम लगौला ब्वै, निम्बू तुम खैला -२
लंका गढ़ भीतर ब्वै , केकि डाळि होलि ?लंका गढ़ ब्वै , केकि डाळि होलि ?
लंका गढ़ भीतर ब्वै ,डाळि आड़ू की - २
डाळि हम लगौला ब्वै, आड़ू तुम खैला -२
लंका गढ़ भीतर ब्वै , केकि डाळि होलि ?लंका गढ़ ब्वै , केकि डाळि होलि ?
लंका गढ़ भीतर ब्वै ,डाळि कागज्यूँ की - २
डाळि हम लगौला ब्वै, कागजी तुम खैला -२
लंका गढ़ भीतर ब्वै , केकि डाळि होलि ?लंका गढ़ ब्वै , केकि डाळि होलि ?
लंका गढ़ भीतर ब्वै ,डाळि खुमान्यूँ की - २
डाळि हम लगौला ब्वै, खुमानि तुम खैला -२
जाति- चौंफळा
(तोताराम ढौंडियाल संकलित , गढवाली गीत संग्र , धाद प्रकाशन , देहरादून से साभार)

Copyright@ Bhishma Kukreti, 23/7/2012
Notes on folk songs about benefits of tree plantations; Garhwali folk songs about benefits of tree plantations; Uttarakhandi folk songs about benefits of tree plantations; Mid Himalayan folk songs about benefits of tree plantations; Himalayan folk songs about benefits of tree plantations; North Indian folk songs about benefits of tree plantations; Indian folk songs about benefits of tree plantations; south Asian folk songs about benefits of tree plantations; Asian folk songs about benefits of tree plantations to be continued….
वृक्षारोपण सम्बन्धी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी गढ़वाली लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी उत्तराखंडी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी मध्य हिमालयी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी हिमालयी लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी उत्तर भारतीय लोक गीत;वृक्षारोपण सम्बन्धी भारतीय लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी दक्षिण एशियाई लोक गीत; वृक्षारोपण सम्बन्धी एशियाई लोक गीत लेखमाला जारी ...

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22