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Some Exclusive Kumaoni Folk Songs- कुछ प्रसिद्ध कुमाऊंनी लोकगीतों का संग्रह
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Dosto,
We are posting here some exclusive Kumoani Folk Songs of Uttarakhand which have been provided by our Merapahad Facebook Community Members.
I am sure you would like these songs..
M S Mehta
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From - Prayag Pandey
मित्रो ! वर्षा ऋतु का सुआगमन हो गया है | रिमझिम वर्षा ने प्यासी धरती की प्यास बुझा दी है | भीषण गर्मी से बेहाल सृष्टि तर हो गई है | वर्षा के फुहारों के साथ ही पंछियों के सुमधुर स्वर सुनाई देने लगे हैं | हरेक प्राणी उल्लास से भर गया है | वर्षा ऋतु के सुआगमन के इस मौके पर आज आपको कुमांऊँ का बहुत पुराना ऋतु लोक गीत से रूबरू करा देते है | तो लीजिये रिमझिम वर्षा के बीच इस लोक गीत का भी आनन्द लीजिये --
रितु ऐ गे रणा मणी , रितु ऐ रैणा |
डाली में कफुवा वासो , खेत फुली दैणा |
कावा जो कणाण , आजि रते वयांण |
खुट को तल मेरी आज जो खजांण |
इजु मेरी भाई भेजली भिटौली दीणा |
रितु ऐ गे रणा मणी , रितु ऐ रैणा |
वीको बाटो मैं चैंरुलो |
दिन भरी देली मे भै रुंलो |
वैली रात देखछ मै लै स्वीणा |
आगन बटी कुनै ऊँनौछीयो -
कां हुनेली हो मेरी वैणा ?
रितु रैणा , ऐ गे रितु रैणा |
रितु ऐ गे रणा मणी , रितु ऐ रैणा ||
भावार्थ :-
रुन झुन करती ऋतु आ गई है | ऋतु आ गई है रुन झुन करती |
डाल पर "कफुवा " पक्षी कुजने लगा | खेतों मे सरसों फूलने लगी |
आज तडके ही जब कौआ घर के आगे बोलने लगा |
जब मेरे तलवे खुजलाने लगे , तो मैं समझ गई कि -
माँ अब भाई को मेरे पास भिटौली देने के लिए भेजेगी |
रुन झुन करती ऋतु आ गई है | ऋतु आ गई है रुन झुन करती |
मैं अपने भाई की राह देखती रहूंगी |
दिन भर दरवाजे मे बैठी उसकी प्रतीक्षा करुँगी |
कल रात मैंने स्वप्न देखा था |
मेरा भाई आंगन से ही यह कहता आ रहा था -
कहाँ होगी मेरी बहिन ?|
रुन झुन करती ऋतु आ गई है | ऋतु आ गई है रुन झुन करती ||
( कुमांऊँ का लोक साहित्य )
Courtesy
Prayag Pande
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Prayag Pande बेटी की विदाई के समय गिदारों द्वारा गए जाने वाला कुमांऊनी संस्कार गीत -------
हरियाली खड़ो मेरे द्वार , इजा मेरी पैलागी ,इजा मेरी पैलागी |
छोडो -छोडो ईजा मेरी अंचली,छोडो -छोडो काखी मेरी अंचली ,
मेरी बबज्यु लै दियो कन्यादान , मेरा ककज्यु लै दियो सत्यबोल ,
इजा मेरी पैलागी |
इजा मेरी पैलागी |
छोडो -छोडो बोजी मेरी अंचली , छोडो -छोडो बहिना ,मेरी अंचली ,
मेरे भाई लै दियो कन्यादान , मेरे भिना लै दियो सत्यबोल,
इजा मेरी पैलागी |
इजा मेरी पैलागी |
छोडो -छोडो मामी मेरी अंचली , मेरे मामा लै दियो कन्यादान ,
इजा मेरी पैलागी ,इजा मेरी पैलागी |
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
यो सेरी का मोत्यूं तुम भोग लागला हो |
स्योव दिया विद हो |
यों भूमि को भूमियाँ बरदैन हया हो |
रोपारों तोपारों बरोबरी दिया हो |
हालिया बलदा बरोबरी दिया हो |
हात दिया छावा हो , बियों दिया फ़ारो हो |
पंचनाम देवो हो !!
भावार्थ -
इस खेत मे पैदा होने वाले धानों के मोती के समान चावल आपको भोग लगायेंगे |
हे देव ,आप छाया प्रदान कीजिये , वर्षा रोक लीजिये |
हे इस भूमि के अधिपति देव , आप अनुकूल रहिये ,कृपालु रहिये |
रोपाई के इन पौधों से टोकरी भर - भर कर धान दीजिये |
हलवाहा और बैल समान रूप से परिश्रमी दीजिये |
रोपाई करने वाले श्रमिकों को दक्षता दीजिये , उनके हाथ तेज चलें और
पौधे सारे खेत के लिए पर्याप्त हों |
हे पंचनाम देव , आप कृपा कीजिये !!
(कुमाऊँ का लोक साहित्य )
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
ऋतु औनी रौली भंवर उडला बलि,
हमारा मुलुका भंवर उडला बलि |
दै खायो पात मे भंवर उडला बलि,
के भलो मानी छो भंवर उडला बलि,
ज्यूनाली रात मे भंवर उडला बलि,
के भलो मानी छो भंवर उडला बलि,
है जा मेरी भैया भंवर उडला बलि,
यो गैली पातला भंवर उडला बलि,
पंछी वांसनया भंवर उडला बलि,
है जा मेरी भैया भंवर उडला बलि,
कविता की लेख भंवर उडला बलि,
सुणो भाई बन्दों भंवर उडला बलि,
मिली रया एक भंवर उडला बलि,
सुणो भाई बन्दों भंवर उडला बलि,
ऋतु औनी रौली भंवर उडला बलि,
हमारा मुलुका भंवर उडला बलि |
-मोहन सिंह रीठागाड़ी
एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Goriya Devta Jagar's few line in kumaoni.
गोरिया ,
धतिए , धात सुण छै, दुखिये , पुकार सुण छै .
दयादानी छै , क्व्ठ ग्यानी छै
पंचनाम द्याप्तो - क भान्ज छै .
राजवंशी कुवर छै , भुजावली छै .
महाराजा को राजा छै
बंदीक खुलास कर छै ,भूड़ पड़ी क बाट बतुछे
अन दिछे , धन दिछे , अन्यायी क दंड दिछे .
भंडार भर छे ,नंग चिरी न्यो कर छै ,
भक्तो क लाज धर छै ,दूद ,दूद पाणी , पाणी कर छै
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