Author Topic: Song Expressing Grief Of Women - पहाड़ के महिलाओ की पीडा व्यक्त करते ये गाने  (Read 28076 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is one of the finest song of Negi Ji.. You can watch video and read the lyrics also.



ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान 
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[youtube]Qd18blxLEQk

ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान 
जिदेरी घसेरी  बोल्युं  मां ,
आण नि  देंदी  जब सरकारी  बाण (जंगल)  ,
गोर  भेन्सियुं  मिल  क्या  खिलान ,

ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान

तेरी भों  में  पतरोल  काखी  भी  जौन ,
तू ड्यूटी संभल जंगल  बचोऊ ,
भेलुन्द  पौदु  मी , दालुन्द  मोरू ,
चाहे  जंगल  चोरु , मिल  घास  लिजान ,
गोर  भेन्सियुं  मिल  क्या  खिलान ,

ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान

गुन्द्क्याली  खुट्टी  तेरी घास  रैदाली ,
पट्ट  मोरी  जैली  भेलुन्द  पौदाली ,
तेरी दाठी  चादरिला, गोर  बछुरोला ,
सास  ससुर  ला  खोल्युन  रे  जाण ,
जिदेरी घसेरी  बोल्युं  मां ,

ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान

तां भी सरकारी  तेरु  मन  भी  सरकारी ,
तिल  क्या  समझन  हम  लोगों  की  खरी ,
जब घर  जोला , लाखुद  घास  लोला ,
और गोर  पीजोला  तब  चुल्लू  जगान ,
नौनो  ला  निथर  भूखी  साईं  जाण ,

ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान

गाँव  की  बेटी  ब्वारी  कु  बाण  ही  च  सारु ,
जनादु  छो  मी  भी  पर  क्या  जी  कारू ,
दया  जो  आली  सब  ला  सुन्याली  , मेरी  नौकरी  जाली  ,
मेरु  छूती  होए  जाण , बाल  बचूं  मिल  क्या  खिलान ,

 ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान
ना जा ना जा तौ  भेलू  पखान ..


Singer : Narendra Singh Negi JI


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यह एक बहुत ही मार्मिक गाना है, एक देवर जो आपनी परदेश से घर आ रहा होता है और रास्ते में अपनी पड़ोश के भाभी के बहुत ही दयनीय हालत देखता है जो की अपनी पति के याद में बहुत दुखी है! 

ये दियोरा और भाभी, किस प्रकार से गाने के माध्यम से हाल चाल पूछते है देखिये
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नारंगी की दाणी हो..
क्याल सुखी होल भौजी,  मुखडी का पाणी हो

भौजी :

खोली का गणेशा, हो...... ..
जुग बीत गयाना दियोरा.
स्वामी परदेश हो................

देवर :

तितर का पांखी हो...
कह हर्चेनी भौजी.
सुरमाली आखी.. ..

भौजी :
क्वीडी लोकी गे   हो हो
क्वीडी लोकी गे   हो हो
आखो  का सुरमा  दियोरा
आसू  ले  बागी  गे  हो

दियोरा :

इसरी  का  गौद  हो. हो..
कख होल पयुलू गाय
कब गे वो.. फौन्दा हो..

भौजी :

ऋतू एनी गेनी हो.. हो..
ऋतू एनी गेनी हो.. हो..
बौल गेरी केंन दियोरा.
लटुली नि रेंदी.

दियोरा.

धीरज चयादा. हो. हो.
खैरी का यो दिन
सदा नी रैंदा.. हो हो ओह

भौजी

तवे मा लगौड़ हो. हो
तवे मा लगौड़ हो. हो
दिन बौडी आन्दी जेना.
जवानी कथे लियोना हो हो
जवानी कथे लियोना हो हो
जवानी कथे लियोना हो हो

दियोरा..  जवानी कथे लियोना हो हो


[youtube]TUUed3645bM


 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इस गाने में नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने महिलाओ में एक साथ जंगल में घास काटने जाते वक्त उनके बारे में इस गाने में व्यक्त किया है कि किस प्रकार पहाडो में महिलाये आपस में मिलजुल कर एक साथ काम करते है !

जियोदी दातुली लीकी हाथ मा
सभी गैल्यानी होला साथ मा.....2
लाकड़ो घास को बाण जानी होली
सुख दुःख छोड़ी....

Jyuri Dathudi Leki haath ma by Narendra Singh Negi

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च ,
 सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च ,
 स्वामी जी  छीं दसवीं पास , नौकरी नि तौंकी ख़ास  I
इम्प्लाइमैन्ट   कार्ड तौन्कू सिरवाणि   धरयों च ,इम्प्लाइमैन्ट   कार्ड तौन्कू सिरवाणि   धरयों च
सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च ,
ससुरा जी छीं हुक्काबाज , रोज चयेंदी नई साज  I
तमाखू पी पीके तौंको कल़ेजो फुक्युं च I
सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च
कक्या ससुरा जी छन पक्का दारुबाज , टुण्ड   रौंदन फजल  क्या रात  I
सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च
द्यूर मेरो कछेडी बाज , पैसा नी तौमा  आज
नौ दूण सटेड़ो तौंको गिरबी धरयुं च I
सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च
नणद मींथें  गाळी दीन्दा अर सासू च तमाखू पींदा
तमाखू पीपेकू तौंको  धंगध्याटु  हुयुं च I
सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च
जिठाण मेरी नखराबाज, करदी नी च काम काज I
खंद्यरोंळ   देखा तौंको , डिंडाल़ो मोर्यों च I
सुबेर बटी तौन्कू कितली चढ़ीं च
 Shyam Garhwali Lok Geet, Editor Dr Shiva Nand Nautiyal, Pp 45 (Published from Shyam Book Depo, Dehradun 1964)


By:
Bhishma Kukreti

Vidya D. Joshi

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साग बनाया भात बनाया और बना छी दाल
परदेशीईया स्वामी मेरा को खा मेरी यां ल

 
पार डांना बुंरूस फूली सुवा बुंरूस  फूल लाल.
चार दिन भलाउंछ क्या करिया साल.
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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(यु गीत समर्पित चा "क्षेत्रा का  डांडा "की उन्ह ज्ञात और अज्ञात    घस्यारिओं की पहाड़ सी खैर  थेय,छुईं -बतूं,ठठा- मठों  और उन्की यादौं की    सम्लौंणं थेय ) 
रचनाकार:  गीतेश सिंह नेगी (सिंगापूर प्रवास से)एज्जा सुवा हे , म्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
  भल्लू सज्युं चौमास छुचि , क्षेत्रा का डांडा
  एज्जा सुवा हे, म्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
 
  क्षेत्रा का डांडा भानु ,  बाघा की चा डैरा - २
  भारी उक्काल च जाणंम , कक्ख कटलू खैर
  मी नि आन्दु हे भानु , त्यारा क्षेत्रा का डांडा 
 
  क्षेत्रा का डांडा सुवा , हैरु हैरु घास
  बणी बणी का फूल वक्ख़,दगडी रौन्सिला पहाड़
  एज्जा सुवा हे , म्यारा  क्षेत्रा का डांडा - २
 
  क्षेत्रा का डांडा  भानु ,सेन्णा-सेन्णा बाटा
  खुट्टी रैडी जाली भानु ,पोड़ी जोलुं  भ्याला 
  मी नि आन्दु हे भानु , त्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
 
  क्षेत्रा का डांडा  सुवा सुणली, तू घस्यारिओं का गीत
  कु भग्यान देखलू ,म्यारा  क्षेत्रा का डांडा
  एज्जा  सुवा हे ,म्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
 
  क्षेत्रा का डांडा  भानु ,रिक्खा  की चा भारी डैरा
  कन्न कटुलू घास येखुली, व़ेय क्षेत्रा का डांडा
  मी नि आन्दु हे भानु , त्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
 
  क्षेत्रा का डांडा माथ सुवा ,देबता बरसुंड कु वास 
  एक छाल धाम  माँ कलिन्का,दुसर छाल श्री तडासर धाम
  एज्जा सुवा हे , म्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
 
  तू छे मेरी बांद सुवा ,त्व़े से भारी  आश
  भोल बणंली तू मेरी सौंजणंडया ,तब वक्खी  कटली तू घासा   
  एज्जा सुवा हे , म्यारा क्षेत्रा का डांडा - २
 
  कन्न भल्लू रोंतेलु चा भानु , त्यारू यु क्षेत्रा कु  डांडा
  कब जोलु मी त्वे दगड देखण ,त्यारू क्षेत्रा कु  डांडा
  कब ज़ोलु  मी त्वे दगड देखण ,त्यारू क्षेत्रा कु  डांडा
 
   दैन्णु हुन्या देबता बरसुंड ,रख्याँ सब्थेय राजी-खुस्सी
   हीट सुवा जोला दगडी ,अपडा क्षेत्रा  का डांडा
   हीट सुवा हत्थ जोड़ी -ओला  दगडी ,देबता बरसुंड का धाम - 2

सर्वाधिकार सुरक्षित)
                         
(http://geeteshnegi.blogspot.com)

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ओह ओह ओह ओह हा हा हा हा

 

सुवा तेरी याद सतौन्दी

न भए या ता भारी बितयोंदी.
मेरी  नींद गए मेरु च्यान गए.

या ता बडू सतौन्दी.
ओह ओह ओह ओह हा हा हा हा .............

सोच्दु छु की माया लए कसूर बडू करी.

सोच्दु छु की माया लए कसूर बडू करी.

फोकट को मुंडारु लेनी कुजन क्या मत मरी २

फोकट को मुंडारु लेनी कुजन क्या मत मरी.

 

न ता चुप रायेंदु न बोल्येंदु यनु जलौंदी .....

सुवा .........

ख़ःँडी कमौंदी न लिख्डी पढ़नी. यनु अशर होए .

ख़ःँडी कमौंदी न लिख्डी पढ़नी. यनु अशर होए

जर मुंडारु न दुःख बीमारी कुजंड क्या रोग लगयी.

जर मुंडारु न दुःख बीमारी कुजंड क्या रोग लगयी.

न दवाई न झाड़ पूछ न क्योऊ वैध मिली.

यनु सतौन्दी. सुवा…………………….

छुटी मोटी का झगडा माँ किलया बगत गौओंडू. बगत ................

बेठी जा गेला तू अपड़ी सुन्दाओं मै अपड़ी सुन्दूलू.....

माया दार भली तेरी माया भली. माया दार भली तेरी माया भली.२

बड़ी बितौंदी ..........सुवा तेरी .................


ओह ओह ओह ओह हा हा हा हा……………………………

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प्रीतम कु  एक बहुत ही अच्छु गीत ..............
जा बाडूली सुवा मा रयेबार पुन्च्ये ओऊ .
त्यु  बिगर बडू बुरु मनेंदु बतए ओऊ.
फोजी की नूकरी ओडर सख्त.
सरिल कुमानी जांदू ब्येखुनी बगत.
२ रोटी कोदा की ख्येन प्य्यज पीराड्य
हे पापिनि तेरी याद छा कोई रुलोऊडया.
 घर ओउलू मेरी प्य्यारी हवाए जहाज मा.
सी भी दिन अल्ला रौलू बयठोऊ छाज मा.
पहली छुट्टी घर अयून ता सुवा बीमार.
 दुश्री छुट्टी मा सोवा दिनु की हिर्वल.
जू रिबन भेजी मैं बिष्टर बन्ध मा.
सु रिबन भालू सज्लू दिनेश का मुंड मा.
अपड़ी सुवा का मेरी साडी लिज्याँ रए.
 यानि मरी नि होंड़ निखाडया मैत जाए रए.
कुड पिछाडी चंपा डाली च्येलोऊ कतए न.
जये दगडी फेरा फिरी व्येकू पतये न .
दिनेश का दए दादा नाती खिलौन्दा.
मेरोऊ छोर काखी डोर होलू सोची खुदेंदा.
मेरा कोशी खोली गाड़ी ओंदी होलू ओलार
दिनु मा देख्दा होला मेरी अनवार.
जा बाडूली सुवा मा रयेबार पुन्च्ये ओऊ .
त्यु  बिगर बडू बुरु मनेंदु बतए ओऊ.

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लोकभाषाओं के अध्येता और कवि डॉक्टर गोविंद चातक की किताब रैबार से साभार पेश है ये गीत जिसमें एक स्त्री अपने पति का विकल इंतज़ार कर रही है. बारिश की झड़ी है और उसके मन में एक सन्नाटा है.

भादों की अंधेरी झकझोर,
न वास, न वास, पापी मोर

ग्वैरी की मुरली तू तू बाज,
भैंस्यू की घांडून डांडू गाज

तुम तैं मेरा स्वामी कनी सूझी,
आंसुन चादरी मेरी रूझी

तुमारा बिना क्या लाणी खाणी,
मन का मन मा रैन गाणी

छलबलारण्या रौ भरेये पाणी
कब आला स्वामी करदू गाणी ?

अब डेरा ऐ जावा तुम स्वामी
आंख्यों की रोई नी सक्दू चामी

http://hillwani.com

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बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारीप्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
  बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२
सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2
सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२
स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2


(Source - from उतराखंडी गीत facebook Group)

 

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