मुझे याद आता है, हमारे एक मास्साब हुआ करते थे, श्री लाल द्त्त शर्मा. वे बहुत अच्छे गायक, निर्देशक, संगीतकार और गीतकार थे, स्कूल के सांस्क्रतिक कार्यक्र्मों में वे अपने लिखे गीत हम लोगों से गवाते थे, उनके गीतों में समाज के लिये संदेश होता था, उनके कुछ गीत याद है मुझे
"सुनौ भाई, सुनौ बैंणी, यो जमाना मा,
ठुल परिवार ने हुन चानो ये जमाना मा,
ओ......एक बाबु का छ छन चेली, जसी सूखी काकडा़ की हो बेली,
कि उन लानी, के उ खानी ये जमाना मां, ठुल परिवार ने हुन च्यानो यो जमाना मा,
ओ.....एक बाबु का दु छन च्याला, जसा एवरेडी टार्च का शैला (सेल, बैटरी)
सब्बै लानी, सब्बै खानी, ये जमाना में. ठुल परिवार ने हुन च्यानो यो जमाना मा.......!"
दूसरा गांधी जी के बारे में था
"गांधी बूबू जै हो त्येरी........" कोशिश करुंगा याद करने की....!
इसी प्रकार के कई और गायक हमारे पास थे और हैं, जिनको उचित मंच नहीं मिला और वे गुमनामी में ही संगीत की सेवा करते रहे.........!