प्रकाश जी अपने गीतों में स्थानीय सरल शब्दों का प्रयोग करते हैं,
जैसे "चाड़ा, पुतिला, उड़नी चारों ओर, तेरी बलाई ल्यूह्लो, मेरी रंग रंगीली सोर"
"बुड़ कै गै, बुड़ कै गै, पच्चीसे उमर में खड़यूनी बुड़ कै गै, ध्वाख दी गै"
कुछ नेपाली पुट लिये हुये " ओ लटठी टेके बोजो बोकै, ल्याऊं-ल्याऊं-ल्याऊं, दिन मेरा बितिया हजूर ल्याऊं-ल्याऊं-ल्याऊं" यह गाना मैने लखनऊ एक शादी में गाया था और ये इतना हिट हुआ कि उस दोस्त की शादी में सिर्फ ल्याऊं-ल्याऊं-ल्याऊं ही बजा और वह आज भी मुझसे कहता है कि "तुमने मेरी शादी की कैसेट खराब कर दी, पूरी शादी में ल्याऊं-ल्याऊं-ल्याऊं के अलावा और कुछ नहीं है"...!