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BHARAT RATNA-SHREE GOVIND BALLAB PANT-भारत रत्न श्री गोविन्द वल्लभ पन्त,

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
Statue of G B Pant ji at Bageshwar.
 

Devbhoomi,Uttarakhand:
धूमधाम से मनी पंत की जयंती
===============हल्द्वानी: भारत रत्‍‌न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 124वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। नगर के तिकोनियां स्थित पंत पार्क में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये। इसमें विभिन्न स्कूली बच्चों ने जहां बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया, वहीं विभिन्न राजनैतिक दलों के लोगों ने भी पहुंचकर श्री पंत की जयंती को यादगार बनाया। बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिये पंडित गोविंद बल्लभ पंत की यादों को ताजा किया। इस दौरान कुमाऊंनी संस्कृति के कई परंपरागत नृत्य व संगीत प्रस्तुत किये गये।

 तिकोनियां स्थित पंत पार्क में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री बच्ची सिंह रावत ने श्री पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण कर किया। श्री रावत ने कहा कि श्री पंत का विराट व्यक्तित्व हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। विशिष्ट अतिथि पूर्व काबीना मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व डीआईजी पंडित केवलानंद भट्ट ने पंडित गोविंद बल्लभ पंत के जीवन पर प्रकाश डाला।

संयोजिका रेनू जोशी ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का पत्र पढ़कर सबको सुनाया। डीके पंत ने सभी विद्यालयों से आये छात्रों व अभिभावकों का आभार व्यक्त किया। विभिन्न विद्यालयों से आये बच्चों ने छोलिया नृत्य, समूह नृत्य, वंदेमातरम का गान व अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम में हेमंत बगड्वाल, ताराचंद्र गुरुरानी,  मदन फत्र्याल, कमला नेगी, खीमा बिष्ट, शोभा बिष्ट, प्रेमा जोशी, बीना जेाशी, राधा तिवारी, तारादत्त पांडेय, कमल जोशी, योगेश कांडपाल आदि मौजूद रहे। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में श्री पंत का जयंती समारोह धूमधाम से मनाया गया। कुलपति प्रो. वीके पाठक ने कहा कि उत्तराखंड के लिए उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। श्री पंत की याद में चित्रकला प्रदर्शनी भी लगाई गयी। इस अवसर पर प्रो. गिरिजा पाठक, प्रो. आरसी मिश्र, प्रो. एचसी शुक्ला, डीके सिंह, डॉ. बीएस बिष्ट आदि ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये।

इसके अलावा नगर के एचएन इंटर कालेज, राजकीय प्राथमिक विद्यालय सुल्ताननगरी गौलापार, महर्षि विद्या मंदिर अमृतपुर, उच्च प्राथमिक विद्यालय मोटा हल्दू, शिखर पब्लिक स्कूल काठगोदाम, पूर्व माध्यमिक विद्यालय आवास विकास कालोनी हल्द्वानी, राजकीय उच्चतर माध्यामिक विद्यालय नवाड़खेड़ा, राजकीय इंटर कालेज फूल चौड़ आदि शैक्षिक संस्थाओं में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जयंती समारोह धूमधाम से मनाया गया। 


Source Dainik jagran

Devbhoomi,Uttarakhand:
उत्तराखंड के लाल भारत रत्‍‌न प.गोविंद बल्लभ पंत की जयंती पर शनिवार को राजकीय कीर्ति इंटर कालेज के छात्र-छात्राओं ने बाजार के हनुमान चौक, विश्वनाथ चौक, भैरव चौक समेत नगर के प्रमुख हिस्सों से होकर प्रभात फेरी निकाली। इसके बाद गोविंद बल्लभ पार्क में उनके जीवनवृत व कृतित्व पर आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। मौके पर एडीएम नवनीत पांडे ने भारत रत्‍‌न पंत जी के जीवनवृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम एवं भारत वर्ष के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है, युवा पीढ़ी को उनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

 नगर पालिका अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौहान ने भारत रत्‍‌न श्री पंत का स्मरण करते हुए गोष्ठी में आये सभी छात्र-छात्राओं से उनके आदर्शो पर चलने को कहा। इस दौरान सीएमओ डॉ. मयंक उपाध्याय, महाप्रबंधक केंद्र महावीर सिंह सजवाण, भागतवत सेमवाल, शैलेंद्र कुमार, अमर लाल शाह आदि ने अपने विचार रखे।

 इसके बाद सुमन सभागार में छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। वही डुण्डा, चिन्यालीसौड़, बड़कोट, नौगांव, पुरोला और मोरी में स्कूली बच्चों ने प्रभात फेरी निकाल कर श्री पंत के आदर्शो पर चलने का संकल्प लिया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:


Pant jiyu statue at Parliament House.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
उत्तराखंड की धरती में पैदा हुए महान स्वतंत्रता सेनानी भारत रतन स्वर्गीय  गोविन्द बल्लब पन्त जी की आज पुण्य
तिथि है! मेरापहाड़ फोरम टीम की और से पन्त जी को श्रधांजली!

पं.गोविन्द वल्लभ पन्त (जन्म: १० सितम्बर, १८८७ - मृत्यु: ७ मार्च, १९६१) प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्य मन्त्री थे। अपने संकल्प और साहस के धनी पन्तजी का जन्म अल्मोड़ा जिले के खोंत नामक ग्राम में हुआ था। सरदार वल्लभ भाई पटेल के निधन के बाद वे भारत के गृह मन्त्री बने। भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और जमींदारी प्रथा को खत्म कराने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। भारत रत्न का सम्मान उनके ही गृहमन्त्रित्व काल में आरम्भ किया गया था। बाद में यही सम्मान उन्हें १९५७ में उनके स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान देने, उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री तथा भारत के गृह मन्त्री के रूप में उत्कृष्ट कार्य करने के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा प्रदान किया गया।
 

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