कश्मीरः बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए दी जान - Salute this Brave Solider
नैनीताल के बेतालघाट ब्लाक के चंद्रकोट गांव निवासी और 20 कुमाऊं रेजीमेंट के नायक खेम चंद्र ने श्रीनगर में बाढ़ में फंसे लोगों को बचाते वक्त अपनी जान न्योछावर कर दी।
सैनिक की मौत की खबर मिलने के बाद से उसके परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मां, बाप और पत्नी समेत अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। रविवार को सैनिक के पार्थिव शरीर को यहां लाए जाने की उम्मीद है।
चंद्रकोट गांव निवासी खेम चंद्र (38) पुत्र लीलाधर डौर्बी श्रीनगर में तैनात थे। वह 20 कुमाऊं रेजीमेंट में 5 आरआर में नायक थे। जानकारी के मुताबिक खेम चंद्र अपने साथियों के साथ श्रीनगर में आई बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के अभियान में जुटे थे। 7 सितंबर को उनकी नाव पलट गई।
नाव में सवार सात जवानों में से पांच को तो ही बचा लिया गया, जबकि खेमचंद्र और उनके एक साथी का कहीं पता नहीं चला। शनिवार सुबह श्रीनगर में सेना को खेम चंद्र के बाढ़ में डूबने की जानकारी मिली।
इसके बाद सेना की ओर से फोन पर चंद्रकोट गांव स्थित उनके पिता को दुर्घटना की जानकारी दी गई। बेटे की मौत की खबर मिलते ही पिता, मां, पत्नी और भाई समेत परिजनों में कोहराम मच गया।
घटना की सूचना पर बेतालघाट में व्यवसाय करने वाला उनका भाई रंजन गांव से अपने माता-पिता को बेतालघाट ले आया है। सैनिक की पत्नी प्रेमा देवी (30) अपने दो बच्चों साक्षी (6) एवं आदित्य (3) के साथ अपने मायके रामनगर में रहती है, उसे उसे भी बेतालघाट लाया गया है।
पति की मौत की खबर मिलने के बाद से प्रेमा देवी बदहवास है। घटना की खबर मिलने के बाद से दिवंगत सैनिक के बेतालघाट स्थित घर में लोगों का तांता लगा हुआ है। परिजनों के मुताबिक कुमाऊं रेजीमेंट के अधिकारियों ने उन्हें बताया है कि सैनिक का पार्थिव शरीर दिल्ली से बेतालघाट लाया जाएगा।
परिजनों के मुताबिक दिवंगत सैनिक का छोटा भाई नीरज भी कुमाऊं रेजीमेंट में जम्मू में तैनात है। नीरज ही खेम चंद्र के पार्थिव शरीर को लेकर गांव आ रहा है।
छोटे भाई को थी बाढ़ में लापता होने की खबर
दिवंगत सैनिक खेम चंद्र के छोटे भाई रंजन और सेना में तैनात नीरज को बड़े भाई के श्रीनगर की बाढ़ में लापता होने की खबर पहले ही मिल चुकी थी, लेकिन उन्होंने माता-पिता को इसकी जानकारी नहीं दी थी।
उन्हें उम्मीद थी कि उनका भाई कहीं न कहीं सकुशल मिल जाएगा। इन दोनों भाइयों ने ही सेना के अधिकारियों से भी घर पर कुछ न बताने को कहा था। ग्रामीणों के मुताबिक सैनिक खेम चंद्र दिसंबर में सेना से रिटायरमेंट लेने के मूड में थे। वह बेहद मिलनसार और खुशमिजाज भी थे। (amar ujala)