Author Topic: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India  (Read 20862 times)

Rajneesh

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DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« on: November 01, 2007, 12:33:23 PM »
DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India 


DEVKI NANDAN PANDEY whose newsreading motivated a whole generation

NEW DELHI: Veteran broadcaster Devki Nandan Pandey, whose newsreading motivated a whole generation of broadcasters, died in Mumbai on Tuesday. ?He was a newscaster par excellence. In his death the broadcasting community has lost a great exponent of the art of communication,? Information and Broadcasting Minister Sushma Swaraj said in condolence message. Pandey, besides broadcasting, also acted in films and television serials including the famous ?Tamas?. PTI
from www.tribuneindia.com
http://hamarauttaranchal.com/culture/devkinandan.asp
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पंकज सिंह महर

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #1 on: November 01, 2007, 12:42:24 PM »
नमस्कार, यह आल इन्डिया रेडियो है, अब आप देवकी नन्दन पाण्डे से समाचार सुनिये.
 एक बुलन्द आवाज थी यह हमारे पहाड की, समाचार वाचन के सशक्त हस्ताक्षर हैं, हमारे जोशी जी.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #2 on: November 01, 2007, 01:05:42 PM »

Rajneesh JI,

He was a great peronality born in Almora.

DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India 


DEVKI NANDAN PANDEY whose newsreading motivated a whole generation

NEW DELHI: Veteran broadcaster Devki Nandan Pandey, whose newsreading motivated a whole generation of broadcasters, died in Mumbai on Tuesday. ?He was a newscaster par excellence. In his death the broadcasting community has lost a great exponent of the art of communication,? Information and Broadcasting Minister Sushma Swaraj said in condolence message. Pandey, besides broadcasting, also acted in films and television serials including the famous ?Tamas?. PTI
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पंकज सिंह महर

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #3 on: November 01, 2007, 02:03:07 PM »
उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी थी....
An insight into the history, culture and natural beauty of the Kumaon region of Uttaranchal has been provided in the book [b]“Kumaon — a perspective’’. Authored by Mr Devki Nandan Pandey, [/b] a writer belonging to the Doon valley, the book was released by Uttaranchal Director- General of Police Ashok Kant on Sunday. Speaking on the occasion, the author said Kumaon had always been recognised as a centre of intellectual vibrance and amazing scenic beauty.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #4 on: October 29, 2009, 11:51:17 AM »

Photograph of Lengendary News Braodcaster Shree Devki Nandan Pandey ji.





Source : bp.blogspot.com


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #5 on: October 29, 2009, 11:52:31 AM »

Another photograph of Pandey ji.



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #6 on: October 29, 2009, 11:55:05 AM »

Devki Nandan Pandey ji..


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #7 on: July 07, 2011, 05:56:56 AM »

Devki Nandan Pandey,  ji was also awarded with Padam Shree for  All time great Hindi announcer in AIR .



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: DEVKI NANDAN PANDEY Father of News Broacasting in India
« Reply #8 on: July 07, 2011, 06:01:38 AM »

This was the dealth news of this veteran news broadcaster.

 
 

August 29, 2001

‘3’

PM CONDOLES THE DEATH OF DEVAKI NANDAN PANDEY

    The Prime Minister, Shri Atal Bihari Vajpayee has expressed deep sorrow over the sad demise of renowned newsreader of All India Radio, Shri Devaki Nandan Pandey. In his message Shri Vajpayee said that for a very long period, Shri Pandey’s forceful voice was synonymous with Hindi news on Akashwani. He occupies a very high place in the pantheon of legendary newscasters in the history of All India Radio. In his death, the broadcasting community has lost an inspiring figure, Shri Vajpayee added.

http://pib.nic.in/archieve/lreleng/lyr2001/raug2001/29082001/r2908200121.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ये आकाशवाणी है ! अब आप देवकीनंदन पाण्डे से समाचार सुनिये   

किसी ज़माने में रेडियो सेट से गूँजता ये स्वर घर-घर का जाना-पहचाना होता था। ये थे देवकीनंदन पाण्डे अपने ज़माने के जाने-माने समाचार वाचक। अपने जीवन काल में ही पाण्डेजी समाचार वाचन की एक संस्था बन गए थे। उनके समाचार पढ़ने का अंदाज़, उच्चारण की शुद्धता, स्वर की गंभीरता और गुरुता और प्रसंग अनुरूप उतार-चढ़ाव श्रोता को एक रोमांच की स्थिति में ले आता था। कानपुर में पैदा हुए देवकीनंदनजी के पिता शिवदत्त पाण्डे अपने क्षेत्र के जाने-माने डॉक्टर थे। बेहद रहम दिल और आधी रात को उठकर किसी भी मरीज़ के लिए मुफ़्त में इलाज करने को तत्पर। मूलरूप से पाण्डे परिवार कुमाऊँ का था। शायद यही वजह है कि पाण्डेजी के स्वर में एक पहाड़ी ख़नक सुनाई देती थी।

देवकीनंदन पाण्डेजी अपने स्कूली दिनों में कभी भी मेघावी छात्र नहीं रहे लेकिन वे कभी भी अपनी कक्षा में फेल नहीं हुए। घूमने-फिरने, नाटक करने और खेलकूद में उनकी गहन दिलचस्पी थी। पाठ्य पुस्तके उन्हें कभी भी रास नहीं आईं किंतु नाटक, उपन्यास, कहानियॉं, जीवन चरित्र और इतिहास की पुस्तकें उन्हें हमेशा से आकर्षित करती थीं। उनकी आरंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में हुई। अल्मोड़ा यानी हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के ऊपर बसा नगर । पाण्डेजी के पिता पुस्तकों के अनन्य प्रेमी थे। इस वजह से घर में किताबों का अच्छा ख़ासा संकलन थाजिससे पाण्डेजी को पठन-पाठन में दिलचस्पी होने लगी।


कॉलेज के ज़माने में अंग्रेज़ी अध्यापक विशंभर दत्त भट्ट देवकीनंदन पाण्डे पर अगाध स्नेह रखते थे। उन्होंने पहले-पहल पाण्डेजी की आवाज़ की विशिष्टता को पहचाना और सराहा। उन्होंने अपने इस छात्र को उसकी प्रतिभा का आभास करवाया। भट्टजी पाण्डेजी को रंगमंच के लिये प्रोत्साहित करने लगे। अलमोड़ा में पाण्डेजी ने कई दर्ज़न नाटकों में हिस्सा लिया इससे उनके आत्मविश्वास में मज़बूती आई।

४० के दशक में अल्मोड़ा जैसी छोटी जगह में केवल दो रेडियो थे। एक स्कूल के अध्यापक जोशीजी के घर और दूसरा एक व्यापारी शाहजी के घर। युवा देवकीनंदन पाण्डे को दूसरे महायुद्ध के समाचारों को सुनकर बहुत रोमांच होता। वे प्रतिदिन सारा काम छोड़कर समाचार सुनने जाते। उन दिनों जर्मनी रेडियो के दो प्रसारकों लॉर्ड हो हो और डॉ. फ़ारूक़ी का बड़ा नाम था। दोनों लाजवाब प्रसारणकर्ता थे। उनकी आवाज़ हमेशा पाण्डेजी के दिलो-दिमाग़ में छाई रही। सन् १९४१ में बी.ए. करने के लिए पाण्डेजी इलाहबाद चले आए जहॉं का विश्वविद्यालय पूरे देश में विख्यात था। १९४३ में पाण्डेजी ने लख़नऊ में एक सरकारी नौकरी कर ली और केज्युअल आर्टिस्ट के रूप में एनाउंसर और ड्रामा आर्टिस्ट हेतु उनका चयन रेडियो लखनऊ पर हो गया। इस स्टेशन पर उर्दू प्रसारणकर्ताओं का बोलबाला था। पाण्डेजी हमेशा मानते रहे कि इस विशिष्ट भाषा के अध्ययन और सही उच्चारण की बारीकियों का अभ्यास उन्हें रेडियो लखनऊ से ही मिला।मुझे यह लिखने में कोई झिझक नहीं है कि देवकीनंदन पाण्डे जैसे प्रसारणकर्ताओं की वजह से ही हिंदी को आकाशवाणी जैसे अंग्रेज़ी परिवेश में मान मिलना प्रांरभ हुआ.

देश के आज़ाद होते ही आकाशवाणी पर समाचार बुलेटिनों का सिलसिला प्रारंभ हुआ। दिल्ली स्टेशन पर अच्छी आवाज़ें ढूंढ़ने की पहल हुई। देवकीनंदन पाण्डे ने डिस्क पर अपनी आवाज़ रेकार्ड करके भेजी। फ़रवरी १९४८ में समाचार वाचकों का चयन किया गया। उम्मीदवारों की संख्या थी तीन हज़ार और बिला शक देवकीनंदन पाण्डे का नाम सबसे ऊपर था। आकाशवाणी लखनऊ पर मिले उर्दू के अनुभव ने उन्हें हमेशा स्पष्ट समाचार वाचन में लाभ दिया। पाण्डेजी मानते थे कि निश्चित रूप से देश की भाषा हिन्दी है लेकिन वाचिक परंपरा में उर्दू के शब्दों के परहेज़ नहीं किया जाना चाहिए। हिन्दी-उर्दू की चाशनी सुनने वालों के कान में निश्चित ही रस घोलती है।

१९४८ में आकाशवाणी में हिन्दी समाचार प्रभाग की स्थापना हुई। इसमें आले हसन (जो कालांतर में बीबीसी उर्दू सेवा के विश्व विख्यात प्रसारणकर्ता माने गए) सुरेश अवस्थी, बृजेन्द्र, सईदा बानो और चॉंद कृष्ण कौल। लाज़मी था कि उस समय के समाचार वाचकों को हिन्दी-उर्दू दोनों आना ज़रूरी था। आले हसन का हिन्दी वाचन अद्भुत था। वे बहुत क़ाबिल अनाउंसर और न्यूज़ रीडर थे। शुरू में मूल समाचार अंग्रेज़ी में लिखे जाते थे जिसका अनुवाद वाचक को करना होता था। अशोक वाजपेयी, विनोद कश्यप और रामानुज प्रताप सिंह को भी अनुवाद करने के लिये मजबूर किया गया लेकिन काफ़ी जद्दोजहद के बाद उन्हें इस परेशानी से मुक्ति मिली और हिन्दी समाचार हिन्दी में ही लिखे जाने लगे। यहॉं ये भी उल्लेखनीय है कि मेल्विन डिमेलो और चक्रपाणी जैसे धुरंधर अंग्रेज़ी प्रसारणकर्ताओं से सामने जिन लोगों ने हिन्दी प्रसारण का लोहा मनवाया उसमे ंदेवकीनंदन पाण्डे की भूमिका को बिसराया नहीं जा सकता।

देवकीनंदन पाण्डे समाचार प्रसारण के समय घटनाक्रम से अपने आपको एकाकार कर लेते थे और यही वजह थी उनके पढ़ने का अंदाज़ करोड़ों श्रोताओं के दिल को छू जाता था। उनकी आवाज़ में एक जादुई स्पर्श था। कभी-कभी तो ऐसा लगता था कि पाण्डेजी के स्वर से रेडियो सेट थर्राने लगा है। आज जब टीवी चैनल्स की बाढ़ है और एफ़एम रेडियो स्टेशंस अपने अपने वाचाल प्रसारणों से जीवन को अतिक्रमित कर रहे हैं ऐसे में देवकीनंदन पाण्डे का स्मरण एक रूहानी एहसास से गुज़रना है। तकनीक के अभाव में सिर्फ़ आवाज़ के बूते पर अपने आपको पूरे देश में एक घरेलू नाम बन जाने का करिश्मा पाण्डेजी ने किया। सरदार पटेल, लियाक़त अली ख़ान, मौलाना आज़ाद, गोविन्द वल्लभ पंत, पं. जवाहरलाल नेहरू और जयप्रकाश नारायण के निधन का समाचार पाण्डेजी के स्वर में ही पूरे देश में पहुँचा। संजय गॉंधी के आकस्मिक निधन का समाचार वाचन करने के लिये सेवानिवृत्त हो चुके पाण्डेजी को विशेष रूप से आकाशवाणी के दिल्ली स्टेशन पर आमंत्रित किया गया।


देवकीनंदन पाण्डे को वॉइस ऑफ़ अमेरिका जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रसारण संस्था से अपने यहॉं काम करने का ऑफ़र मिला लेकिन देश प्रेम ने उन्हें ऐसा करने से रोका। पाण्डेजी को अपनी शख़्सियत की लोकप्रियता का अंदाज़ उस दिन लगा जब श्रीमती इन्दिरा गॉंधी ने एक बार आकाशवाणी के स्टॉफ़ आर्टिस्टों को उनकी समस्या सुनने के लिये अपने निवास पर आमंत्रित किया। श्रीमती गॉंधी से जब पाण्डेजी का परिचय करवाया गया तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि "अच्छा तो आप हैं हमारे देश की न्यूज़ वॉइस'। पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री विद्याचरण शुक्ल तो एक बार पाण्डेजी का नाम सुनकर उनसे गले लिपट गए थे।

नए समाचार वाचकों के बारे में पाण्डेजी का कहना था जो कुछ करो श्रद्धा, ईमानदारी और मेहनत से करो। हमेशा चाक-चौबन्द और समसामयिक घटनाक्रम की जानकारी रखो। जितना ़ज़्यादा सुनोगे और पढ़ोगे उतना अच्छा बोल सकोगे। किसी शैली की नकल कभी मत करो। कोई ग़लती बताए तो उसे सर झुकाकर स्वीकार करो और बताने वाले के प्रति अनुगृह का भाव रखो। निर्दोष और सोच समझकर पढ़ने की आदत डालो; आत्मविश्वास आता जाएगा और पहचान बनती जाएगी।

ऊँची क़द काठी के देवकीनंदन पाण्डे आज तो हमारे बीच में नहीं है लेकिन जब भी रेडियो पर समाचार प्रसारणों की बात चलेगी तो उनका नाम इस विधा के शिखर के रूप में जाना जाता रहेगा।      (Source - radionamaa.blogspot.com/2008/07/blog-post_09.html)     

 

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