दोस्तों,
हाल ही में यंग उत्तराखंड द्वारा आयोजित निशुल्क मेडिकल कैम्प के समापन के बाद मेडिकल टीम में जाने वाले सदस्य प्रतापनगर के राजा के महल और पुरातत्व राजशाही धरोहरों का जब दर्शन कर रहे थे तो राजा के ज़माने के कोर्ट के बहार किसी कमरे की सीढियों पर हमने एक वयोवृद्ध व्यक्ति को देखा | स्थानीय लोगो में से किसी ने बताया की ये महान उत्तराखंड आन्दोलनकारी व् अपने समय के वरिष्ठ पृथक उत्तरांचल की मांग आन्दोलन के सेनानी हैं | हमने रुक कर उनसे बातचीत की तथा उनके बारे में जाना |
इनका नाम
श्री बिशन पाल सिंह है ,
निवासी खोलगढ़, प्रतापनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तरांचल है | इसनी उम्र ८० वर्ष हो चुकी है | एक दुर्घटना में ये अपना एक हाथ गँवा चुके है | हालत यह हो चुके है की इनके दोनों गुर्दे ख़राब हो चुके है | उत्तराखंड की आन्दोलनकारी व् शहीदों को जब याद करते है तो उनमे से कुछ नाम गुमनाम हो जाते है | श्री बिशन पाल सिंह जी का भी नाम आज गुमनाम हो चुका है | इसका समस्त जीवन उत्तराखंड आन्दोलन व् सामजिक कार्यो में बीत गया और न जाने कितनी सरकार आई गई किसी ने इनकी सुध नही ली |

यह बात बिल्कुल सत्य है की श्री बिशन पल सिंह जी उन उत्तराखंड के उन व्यक्तियों में से है जिन्होंने सर्वप्रथम पृथक उत्तरांचल राज्य की मांग की थी | इनके अनुसार वास्तव में सन १९५२ में पृथक उत्तरांचल राज्य की माग के लिए कुछ आन्दोलनकारी आगे आए थे जिसमे आज का हिमाचल राज्य भी शामिल था | जिनमे टिहरी के भूतपूर्व राजा श्री मानवीरेंदर शाह, कामरेड जोशी जी, टिहरी के भूतपूर्व संसद श्री तिरेपन सिंह नेगी जी व् कुछ और लोग इसने साथ थे | इन्होने १०-१५ बार जेलों की यात्राये की व् कई यातनाए झेली |

पहली बार इन्होने पृथक उत्तरांचल राज्य की माग को लेकर श्रीनगर (गढ़वाल ) में श्रीयंत्र टापू पर ३८६ दिन की भूख हड़ताल की
तीन बार अपने आन्दोलनकारी साथियों के साथ समस्त गढ़वाल मंडल व् कुमॉऊ मंडल का भ्रमण करते हुए दिल्ली के वोट क्लब (इंडिया गेट) तक पद यात्राये की |
जब हमने उनसे यह पूछा की आज जब उत्तराखंड राज्य बन गया है तो आप के विचार से आज उत्तराखंड क्या आपके द्वारा कल्पना को साकार कर पाया है ,क्या यही आपके सपनो का उत्तराखंड है ?
इसके उत्तर में उन्होंने कहा की आज जब उत्तराखंड एक अलग राज्य बन गया है तब भी यह वह उत्त्रखाद नही है जिसका सपना उन्होंने देखा था | आज चाहे उत्तराखंड में किसी भी पार्टी की सरकार हो ,वादे सभी करते है लेकिन काम ऊस गति से नही हो रहा है ,जो बहुत दुख की बात है |
इनके ओसार विकास तो हुआ है लेकिन उतना नही जितना होना चाहिए था | सभी सत्ताधारी पार्टिया अपना उल्लू सीधा करती है |
यंग उत्तराखंड टीम ने जब उनके मुखारविंद से या सब सुना तो सभी को बहुत दुख: हुआ | उन्होंने कहा की आज जब उत्तराखंड राज्य आस्तित्व में आ चुका है तथापि आज जो उत्तराखंड के सच्चे आन्दोलनकारी है उनकी सुध लेने वाला कोई नही है | इन्हे अभी तक कोई भी राजकीय सहायता नही मिली है | आज इनके पास अपना कोई घर नही है ,राजा के कोर्ट के किसी खंडहर नुमा कमरे में ये अपने जीवन की अन्तिम सांसे गिन रहे है |
By: Vijay Singh Butola