Author Topic: FREEDOM FIGHTER OF UTTARAKHAND - उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी  (Read 90444 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mr Devi Dutt

Father's Name : Joganand

Village : Talla Katiyoor


He participated in "Vyaktigat Satyagrah" and was sentenced 1 yr rigorious jail and Rs 50 as a fine. When he could not pay Rs 50/-, his punishment was extended for further 5 months.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बागेश्वर। जनपद में स्वतंत्रता दिवस धूमधाम के साथ मनाया गया इस अवसर पर देश की अखंडता को बनाए रखने का संकल्प लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही विभिन्न अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

स्वतंत्रता दिवस पर प्रात: नगर में प्रभात फेरी व पुलिस द्वारा परेड का आयोजन किया गया जो कि गांधी जी की मूर्ति में माल्यार्पण के साथ समाप्त हुई। प्रभात फेरी में अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों आदि ने भाग लिया। प्रात: 8 बजे जिलाधिकारी कार्यालय में जिलाधिकारी दिलीप जावलकर ने ध्वजारोहण किया व शपथ पत्र पढ़ कर शपथ दिलाई। इस दौरान उन्होंने देश के विकास के लिए गम्भीरता से कार्य करने को कहा। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर, कोतवाली में कोतवाल चंदन जड़ौत, राबाइका बागेश्वर में प्रधानाचार्य माया जोशी, राइका बागेश्वर में प्रधानाचार्य प्रमोद तिवारी, सीएमओ कार्यालय में सीएमओ डा एचसी जोशी, नगर पालिका में नपा अध्यक्ष सुबोध साह ने ध्वजारोहण किया। इसके बाद 10 बजे नुमाइश मैदान में सामूहिक ध्वजारोहण जिलाधिकारी ने किया। इसके बाद विभिन्न विद्यालयों के बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए व परेड आयोजित की जिसमें एनसीसी कैडेट, पुलिस व होमगार्ड के जवानों ने प्रतिभाग किया। इस दौरान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम दत्त जोशी, पदम सिंह कोरंगा समेत सेनानियों की विधवा नंदी वर्मा, नंदी साह,लीला मर्तोलिया, गंगा देवी को सम्मानित किया। अध्यक्षता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम दत्त जोशी ने की। सायंकाल अधिकारियों व जनता एकादश के बीच फुटबाल मैच आयोजित किया गया जिसमें जनता एकादश की टीम विजयी रही। इसके बाद जिलाधिकारी कार्यालय व भवन परिसर में पौधारोपण किया गया। इस दौरान क्रास कंट्री रेस का आयोजन किया गया जिसमें विजयी प्रतिभागियों को बजाज एलाइंज द्वारा पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल में झंडारोहण व कार्यक्रम आयोजित किए विद्यालय में हाईस्कूल की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले छात्र आशीष पांडे को सम्मानित किया। जिला कांग्रेस कमेटी कार्यालय में जिलाध्यक्ष उमेद सिंह माजिला ने ध्वजारोहण कर सेनानियों को याद किया गया। भाजपा कार्यालय में जिलाध्यक्ष देवकीनंदन जोशी ने झंडा रोहण किया गायत्री विद्या मंदिर में प्रधानाचार्य दुर्गा असवाल ने ध्वजारोहण किया व बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। पूर्व मंत्री राम प्रसाद टम्टा के आवास पर कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। राजकीय प्राथमिक विद्यालय व जूनियर हाईस्कूल भनार में ध्वजारोहण व संास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए। विवेकांनद विद्या मंदिर बागेश्वर में तारा सिंह रावत व हिचौड़ी में प्रधानाचार्य विष्णु शरण शर्मा ने ध्वजारोहण किया।

कौसानी में स्वतंत्रता दिवस क्षेत्र में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। अनाशक्ति आश्रम में प्रबंधक सूर्यनाथ दूबे ने ध्वजारोहण किया। राइका कौसानी में प्रधानाचार्य जगत सिंह कड़ाकोटी, कन्या जूनियर हाईस्कूल में कला उपाध्याय, केंद्रीय विद्यालय में प्रधानाचार्य डीआर अवस्थी ने ध्वजारोहण किया व बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा प्रभात फेरी आयोजित की। उद्यान विभाग में नरेद्र मंदोलिया ने ध्वजारोहण किया। चाय कार्यालय में प्रताप कठायत ने ध्वजारोहण किया।




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बागेश्वर आकर आंदोलनकारियों में जोश भरा था राष्ट्रपिता नेAug 14, 11:38 pm

बागेश्वर। वर्ष 1921 में कुली बेगार आंदोलन की सफलता से प्रभावित होकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बागेश्वर आकर न केवल बागेश्वर की जनता की सराहना की थी बल्कि यहां स्वतंत्रता आंदोलन कर रहे आंदोलनकारियों में जोश भी भरा था। उन्होंने नुमाइश मैदान में विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए स्वराज की स्थापना को लक्ष्य बनाने का आह्वान किया था। वर्ष 1921 में कुली बेगार आंदोलन की सफलता के बाद जब यह सूचना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को मिली तो वह बागेश्वर की जनता से बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने तुरंत ही बागेश्वर जाने की इच्छा जताई। जून 1929 में बापू ने बागेश्वर आकर जनता को अंग्रेेजों की कुली बेगार जैसी कुप्रथा को समाप्त करने के लिए बधाई दी। विक्टर मोहन जोशी के आग्रह पर अल्मोड़ा से कौसानी तक कार से आये बापू ने कौसानी से बागेश्वर तक की यात्रा पैदल व डोली में बैठकर पूरी की। बापू के बागेश्वर पहुंचते ही स्वतंत्रता आंदोलन में लगे आंदोलनकारियों का जोश जैसे सातवें आसमान पर था। जिला पंचायत के डाक बंगले में उन्होंने रात्रि विश्राम किया। बापू के बागेश्वर पहुंचने की सूचना मिलने पर हजारों की संख्या में आंदोलनकारी बागेश्वर को कूच कर गये। सारे स्वतंत्रता आंदोलनकारी नुमाइश मैदान में एकत्र थे जहां बंदे मातरम व भारत मां की जय जयकार के नारों से आकाश गुंजायमान हो रहा था। जनता के जोश व उत्साह से बापू बेहद प्रभावित हुए। बापू ने नुमाइश मैदान में एकत्र जनता को संबोधित करते हुए पहले तो कुली बेगार प्रथा समाप्त करने के लिए बागेश्वर की जनता के साहस की न केवल प्रशंसा की बल्कि उन्हे धन्यवाद भी दिया। स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के अनुरोध पर बापू ने नुमाइश मैदान में स्वराज भवन की नींव भी रखी। आंदोलनकारियों की मंशा थी कि स्वराज भवन में आंदोलन की गतिविधियों को संचालित करने के साथ साथ सूत कताई का भी कार्य करने की मंशा थी। अपने संबोधन में बापू ने कहा कि स्वराज ही हमारा लक्ष्य है इसके बगैर भारत का विकास नहीं हो सकता है। जिसका वहां मौजूद जनता ने भारत माता की जयकार के साथ उनका समर्थन किया। बाद में बागेश्वर में स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर पहुंचा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दुर्गा लाल साह

निवासी तल्ला कतियूर


१९४१ के व्यक्तिगत आन्दोलन मे भाग लेने के जुर्म मे एक साल का कठोर सजा और ५० रूपये का अर्थ दंड ना दे पाने पर तीन माह की कठोर कारावास की सजा सुनायी गयी !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दीवान सिह

ग्राम एव डाकघर : नैन , तल्ला कतियूर

१९४१ के व्यक्तिगत आन्दोलन मे भाग लेने के जुर्म मे एक साल का कठोर सजा और 100 रूपये का अर्थ दंड ना दे पाने पर 4 माह की कठोर कारावास की सजा सुनायी गयी !

पंकज सिंह महर

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आजादी की लड़ाई में उत्तराखण्ड से १६ लोग शहीद भी हुये थे। सभी ग्यात-अग्यात शहीदों और क्रान्तिकारियों को शत-शत नमन।

हुक्का बू

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शत शत नमन एवं अश्र्य्पूर्ण श्रद्धांजलि

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JAGMOHAN SINGH NEGI


Jagmohan Singh Negi will be remembered in the history of Uttarakhand as a great freedom fighter, administrator and above all a learned scholar who represented Garhwal region during and after the freedom struggle along with Pt. Govind Ballabh Pant from Kumaon region.  Jagmohan Singh Negi has been described as ‘Jawahar of Uttarakhand’ who served the people of this region for thirty-eight years. He was born on 5th July 1905 at Kandi village of district Pauri Garwhal. In 1925, he successfully organized the youth movement in his area for boycotting the elections of the state council. On October, 1930 he organized yet another meeting attended by thousands of people at the historic place of Yamkeshwar Block in district Pauri Garhwal. This meeting shook the British administration and later he was arrested and awarded imprisonment. He was elected as a member of the Provincial assembly in the year 1936. After independence, he held various portfolios in the Uttar Pradesh Cabinet. This great man of Uttarakhand expired on 30 May 1968.


पंकज सिंह महर

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१८८५ को अल्मोड़ा के ग्राम चितई में जन्मे श्री हरगोविन्द पंत की स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका रही थी। वे अनेकों आन्दोलनों में सक्रिय रहे और कई बार जेल भी गये। १९५७ में इनका निधन हो गया।

Veer Vijay Singh Butola

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दोस्तों,

हाल ही में यंग उत्तराखंड द्वारा आयोजित निशुल्क मेडिकल कैम्प के समापन के बाद मेडिकल टीम में जाने वाले सदस्य प्रतापनगर के राजा के महल और पुरातत्व राजशाही धरोहरों का जब दर्शन कर रहे थे तो राजा के ज़माने के कोर्ट के बहार किसी कमरे की सीढियों पर हमने एक वयोवृद्ध व्यक्ति को देखा | स्थानीय लोगो में से किसी ने बताया की ये महान उत्तराखंड आन्दोलनकारी व् अपने समय के वरिष्ठ पृथक उत्तरांचल की मांग आन्दोलन के सेनानी हैं | हमने रुक कर उनसे बातचीत की तथा उनके बारे में जाना |

इनका नाम श्री बिशन पाल सिंह है ,  निवासी खोलगढ़, प्रतापनगर, टिहरी गढ़वाल, उत्तरांचल है | इसनी उम्र ८० वर्ष हो चुकी है | एक दुर्घटना में ये अपना एक हाथ गँवा चुके है | हालत यह हो चुके है की इनके दोनों गुर्दे ख़राब हो चुके है | उत्तराखंड की आन्दोलनकारी व् शहीदों को जब याद करते है तो उनमे से कुछ नाम गुमनाम हो जाते है | श्री बिशन पाल सिंह जी का भी नाम आज गुमनाम हो चुका है | इसका समस्त जीवन उत्तराखंड आन्दोलन व् सामजिक कार्यो में बीत गया और न जाने कितनी सरकार आई गई किसी ने इनकी सुध नही ली |




यह बात बिल्कुल सत्य है की श्री बिशन पल सिंह जी उन उत्तराखंड के उन व्यक्तियों में से है जिन्होंने सर्वप्रथम पृथक उत्तरांचल राज्य की मांग की थी | इनके अनुसार वास्तव में सन १९५२ में पृथक उत्तरांचल राज्य की माग के लिए कुछ आन्दोलनकारी आगे आए थे जिसमे आज का हिमाचल राज्य भी शामिल था | जिनमे टिहरी के भूतपूर्व राजा श्री मानवीरेंदर शाह, कामरेड जोशी जी, टिहरी के भूतपूर्व संसद श्री तिरेपन सिंह नेगी जी व् कुछ और लोग इसने साथ थे | इन्होने १०-१५ बार जेलों की यात्राये की व् कई यातनाए झेली |



पहली बार इन्होने पृथक उत्तरांचल राज्य की माग को लेकर श्रीनगर (गढ़वाल ) में श्रीयंत्र टापू पर ३८६ दिन की भूख हड़ताल की

तीन बार अपने आन्दोलनकारी साथियों के साथ समस्त गढ़वाल मंडल व् कुमॉऊ मंडल का भ्रमण करते हुए दिल्ली के वोट क्लब (इंडिया गेट) तक पद यात्राये की |

जब हमने उनसे यह पूछा की आज जब उत्तराखंड राज्य बन गया है तो आप के विचार से आज उत्तराखंड क्या आपके द्वारा कल्पना को साकार कर पाया है ,क्या यही आपके सपनो का उत्तराखंड है ?

इसके उत्तर में उन्होंने कहा की आज जब उत्तराखंड एक अलग राज्य बन गया है तब भी यह वह उत्त्रखाद नही है जिसका सपना उन्होंने देखा था | आज चाहे उत्तराखंड में किसी भी पार्टी की सरकार हो ,वादे सभी करते है लेकिन काम ऊस गति से नही हो रहा है ,जो बहुत दुख की बात है |
इनके ओसार विकास तो हुआ है लेकिन उतना नही जितना होना चाहिए था | सभी सत्ताधारी पार्टिया अपना उल्लू सीधा करती है |

यंग उत्तराखंड टीम ने जब उनके मुखारविंद से या सब सुना तो सभी को बहुत दुख:  हुआ | उन्होंने कहा की आज जब उत्तराखंड राज्य आस्तित्व में आ चुका है तथापि आज जो उत्तराखंड के सच्चे आन्दोलनकारी है उनकी सुध लेने वाला कोई नही है | इन्हे अभी तक कोई भी राजकीय सहायता नही मिली है | आज इनके पास अपना कोई घर नही है ,राजा के कोर्ट के किसी खंडहर नुमा कमरे में ये अपने जीवन की अन्तिम सांसे गिन रहे है |

By: Vijay Singh Butola

 

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