(२४ दिसम्बर १९२४ से १८ अगस्त १९९९)
उनकी इस पुण्य तिथि पर गिरीश बडोनी (अखोडी) व शिव सिंह रावत (अखोडी), व समस्त अखोडीवासियों की और से भाव भीनी श्रधांजलि !!!
“”"”"उस शक्श की अजमत का ख्याल आता है, जिसने औरों क लिए पेड लगाये होंगे…”"”
श्री इन्द्रमणि जी बडोनी का जन्म २४ दिसम्बर १९२४ को टिहरी गडवाल के अखोडी (घनसाली ) गाँव में हुआ था ! श्री सुरेशानंद बडोनी के घर में जन्मे इस महान ब्यक्ति का अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष में उतरने के साथ ही राजनीति जीवन का भी आरम्भ हुआ !
महान पुरुषों के जीवन में बिसम परिस्तित्यां अहम् भूमिका निभाती हैं ! और परिस्तित्यों ने ही उनमे शंघर्षों से झूझने का जज्बा पैदा किया! ऐसे ही कठिन परिश्तित्यों ने श्री इन्द्रमणि जी बडोनी को उत्तराखंड का महानायक और आन्दोलन का अग्रदूत बनाया ! आंदोंलन के दोरान उनकी शैली,सिधांत, बिचार और जीवन दर्शन के कारण वह ध्रुव बन कर आसमान पर चमकने लगे !
अमरीकी अखबार वाशिन्घ्टन पोस्ट ने स्व. श्री इन्द्रमणि जी बडोनी को “पहाड़ के गांधी” की उपाधि दी ! उनकी भूमिका उत्तराखंड आन्दोलन में वैसे ही थी जैसे आजादी के संघर्ष में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की थी!
अपने सिधान्तों पर अडिग रहने वाले श्री इन्द्रमणि जी बडोनी का जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति करने वाले दलों से मोहभंग हो गया और वो निर्दलीय पर्त्याशी के रूप में चुनाव लडे ! और तीन बार १९६७,१९६९ और १९७७ में ये देवप्रयाग बिधानसभा से बिजई रहे ! और १९८९ में टिहरी लोक सभा सीट से ब्रमदत्त जी के बिरुध चुनाव हारे.!
लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है की उत्तराखंड राज्य प्राप्ति की धुन में रमे इस गाँधी को आज की सरकारों ने भुला दिया है.! अपनी अपनी पार्टियों के बड़े नेताओं के नाम पर राज्य की योजनायें सुरु करने वाले इन नेताओं को याद भी नहीं है की जिस प्रदेश में आज वह नेता बने हैं उसमे इस व्यक्ति का कितना योगदान है ! अगर कोई भी योजना इस महान पुरुष के नाम से सुरु हो जाए तो इसमें क्या किसी का अपमान हो जाएगा,
और सबसे बड़ी बात तो यह है की सत्ता में सामिल UKD भी इस दिशा में सक्रिय नहीं है.! जब बेटा ही बाप को भूल जाए तोह औरों को क्या दोष दिया जा सकता है!
२००७ में भूत पूर्व मुख्यमंत्री श्री बी.सी. खंडूड़ी जी ने रा.इ.का.अखोडी में बडोनी जी की बिशाल परतिमा का अनावरण किया, और तब से प्रतिवर्ष २४ दिसम्बर को रा.इ.का.अखोडी में बडोनी जी की याद में एक मैले का आयोजन किया जाता है..
इस महापुरुष की सहादत को हम बिसरने नहीं देंगे.
हम इन्हें याद रखेंगे हमेशा हमेशा अपने दिल में ……….
धन्यवाद
शिव सिंह रावत
अखोडी
http://himalayauk.org/2010/08/18/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5-%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%87%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%A3%E0%A4%BF-%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%AC%E0%A4%A1%E0%A5%8B/