Royal GarhwaliLike This Page · 51 minutes ago
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Es Duniya me aaj bhi Kuch logAmar
hote hai.... Uttarakhand ke ekAese
veer ki Kahani jo Mar kar bhiAmar
Hai........
1962 के युद्ध में भारत के पास एक
ऐसा भी वीर
था जिसकी वीरता को चीन...ने
भी सलाम किया|
मित्रों आज हम आपको एक ऐसे वीर
की गाथा सुनाने जा रहे हैं
जो अपनी मात्र भूमि के लिए वीर
गति को प्राप्त हो गया और जिसने अकेले
३०० चीनी सैनिकों को मर गिराया|
जी हाँ मित्रों ३०० सैनिकोंको मौत के
घाट उतार दिया था इस महावीरने|
इनका नाम है जसवंत सिंह रावत और यह
एक उत्तराखंडी है|जसवंत सिंह के नाम पर
एक गाँव का नाम जसवंतपुर भीहै| इन्हें
इनकी बहादुरी के लिए महावीरचक्र
भी दिया गया| जिस युद्ध में ये शहीद हुए
वो था " बैटल ऑफ़ नूरानांग"|
तेजपुर नूरानांग में रायफलमेन जसवंत सिंह
के नाम का मंदिर चीन युद्ध में
इनकी असाधारण वीरता का परिचायक
है| यहाँ से गुजरने वाला हर व्यक्ति उनके
मंदिर में "शीश" नवाता है| यहाँ आने
वालों को उनकी शौर्य गाथा सुनाई
जाती की किस तरह एक बंकर से
दो श्तानिया लड़कियों की सहायता लेकर
चीन की पूरी ब्रिगेड से वह 72 घंटे तक
झूझते रहे| इनकी वीरता को चीन ने
भी सलाम किया| भारत से नफरत करने
वाले चीन ने इनका "तांबे" का "शीश"
बनाकर भारत को सौंपा| ४ गढ़वाल
रायफल का यह सेनानी केवल एकसाल पहले
ही सेना में शामिल हुआ था| सेना में इस
वीर जवान का सम्मान यह है की शहादत
के बाद
भी उनकी पदोनित्ति की जाती है और
प्रोटोकॉल भी उसी के हिसाब से
दिया जाता है| इस समय उन्हें लेफ्टिनेंट
जेनरल का पद मिला हुआ है| जसवंत सिंह के
बंकर में उनका बिस्तर,पानी का लोटा-
ग्लास इत्यादि हर रोज साफ़
किया जाता है| सेना की वहां मौजूद एक
टुकड़ी उन्हें नियमानुसार सलामी देती है