Author Topic: REMARKABLE ACHIEVEMENTS BY UTTARAKHANDI - उत्तराखंड के लोगों की उपलब्धियाँ  (Read 76806 times)

पंकज सिंह महर

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लोहाघाट (चम्पावत)। बाराकोट विकास खण्ड के पम्दा गांव निवास राजेश का चयन इण्डियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च में साइंटिस्ट-सी (सीनियर रिसर्च आफीसर) के पद पर हुआ है। राजेश इस पद पर चयनित होने वाले चम्पावत जनपद के पहले व्यक्ति है। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा बाराकोट तथा उच्च शिक्षा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिथौरागढ़ में हुई। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने फारेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट (एफआरआई) से फारेस्ट्री से पोस्ट ग्रेज्वेट डिप्लोमा प्राप्त किया। साथ ही आईआईपी देहरादून से पेट्रोलियम क्षेत्र में रिसर्च का कार्य किया। बाद में कुमाऊं विश्व विद्यालय नैनीताल से रसायन विभाग के रीडर डा. चित्रा पाण्डे के सानिध्य में नेच्युरल प्रोडक्ट कैमस्ट्री में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। राजेश के पिता स्वास्थ्य विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी है। राजेश का सपना और अधिक ऊंची बुलंदियों को छूने का है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Friends,

Just wanted to share a good news with you all.  Dr. Ramesh C. Pandey is being awarded the "Yr. 2008 Most Outstanding Asian American Award" by the Asian American Heritage Council of New Jersey on May 3rd, 2008 at Rutherford, NJ.

This is a very proud moment for all of us Uttarakhandi people living in New Jersey.

On behalf of Uttarakhand Association of North America we congratulate Dr. Pandey and his family for this award.

Deepak Nautiyal

हेम पन्त

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उत्तरकाशी। उद्योग विभाग की ओर से आयोजित जनपद स्तरीय हथकरघा -हस्तशिल्प पुरस्कार वितरण में बतौर मुख्य अतिथि नगर पालिका अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि जनपद में हथकरघा हस्तशिल्प के क्षेत्र में अपार संभावनाएं है। इनके माध्यम से बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने के साथ ही पंरपरागत कलाओं को भी जीवित रखा जा सकता हैै।

इस अवसर पर हथकरघा में उत्कृष्ट उत्पाद तैयार करने पर बीरपुर ड़ुण्डा के सुरली लाल को प्रथम पुरस्कार तथा चंद्र मणी ग्राम गजोली को प्रथम चंद्र लाल गुदिंयाट गांव ,श्रीमती नरोत्तमा बीर पुर डुण्डा को द्वितीय पुरस्कार से पालिका अध्यक्ष ने सम्मानित किया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अजय को उत्तराखण्ड तकनीकी पुरस्कारMay 14, 11:44 pm

रानीखेत(अल्मोड़ा)। कम्प्यूटर के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने पर राजकीय इंटर कालेज बग्वालीपोखर में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता अजय जोशी को उत्तराखण्ड तकनीकी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

उत्तराखण्ड सरकार व कम्प्यूटर संस्था इंटेल के सहयोग से आयोजित सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूरी की मौजूदगी में शिक्षा मंत्री मदन कौशिक ने प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।

हेम पन्त

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देहरादून। उत्तराखंड पुलिस के सिपाही ने एवरेस्ट फतह किया है। दस लोगों की टीम के सदस्य आशीष के एवरेस्ट फतह की सूचना से पुलिस महकमे में खुशी की लहर है। डीजीपी सुभाष जोशी ने आशीष को इस उपलब्धि के लिए 20 हजार का पुरस्कार और आउट ऑफ टर्न पदोन्नति के लिए शासन में प्रस्ताव भेजने की घोषणा की है।

चमोली जनपद के मूल निवासी आशीष कुमार सिंह वर्ष 2001 में आरक्षी के तौर पर सूबे के पुलिस महकमे में चुना गया। फिलहाल उत्तरकाशी जनपद में उसकी तैनाती है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, भारत सरकार ने माउंट एवरेस्ट फतह का अभियान प्रायोजित किया था। पंद्रह सदस्रीय की टीम में आशीष का भी चयन किया गया। एक फरवरी को डीजीपी ने उत्तराखंड पुलिस ध्वज प्रदान करके आशीष कुमार को शुभकामनाएं देकर विदा किया था। इस अभियान दल ने 11 अप्रैल कौ बेस कैंप झांगमू से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। 22 मई की सुबह दल ने एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच ध्वज फहरा दिया। उस समय अभियान दल में आशीष समेत कुल दस सदस्य थे। आशीष की सफलता पर डीजीपी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड पुलिस का ध्वज माउंट एवरेस्ट पर फहराकर आशीष ने उत्तराखंड पुलिस के साथ-साथ सूबेवासियों का भी मस्तिष्क गर्व से ऊंचा किया है। इसके लिए आशीष को 20 हजार का पुरस्कार दिए जाने की घोषणा करने के साथ-साथ उपनिरीक्षक पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजने की घोषणा की। आगामी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आशीष को सम्मानित किया जाएगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Many -2 congrates to Ashish. '

I think he is second from Uttarakhand to scale Everest after Bichhender Pal. 

देहरादून। उत्तराखंड पुलिस के सिपाही ने एवरेस्ट फतह किया है। दस लोगों की टीम के सदस्य आशीष के एवरेस्ट फतह की सूचना से पुलिस महकमे में खुशी की लहर है। डीजीपी सुभाष जोशी ने आशीष को इस उपलब्धि के लिए 20 हजार का पुरस्कार और आउट ऑफ टर्न पदोन्नति के लिए शासन में प्रस्ताव भेजने की घोषणा की है।

चमोली जनपद के मूल निवासी आशीष कुमार सिंह वर्ष 2001 में आरक्षी के तौर पर सूबे के पुलिस महकमे में चुना गया। फिलहाल उत्तरकाशी जनपद में उसकी तैनाती है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, भारत सरकार ने माउंट एवरेस्ट फतह का अभियान प्रायोजित किया था। पंद्रह सदस्रीय की टीम में आशीष का भी चयन किया गया। एक फरवरी को डीजीपी ने उत्तराखंड पुलिस ध्वज प्रदान करके आशीष कुमार को शुभकामनाएं देकर विदा किया था। इस अभियान दल ने 11 अप्रैल कौ बेस कैंप झांगमू से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। 22 मई की सुबह दल ने एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच ध्वज फहरा दिया। उस समय अभियान दल में आशीष समेत कुल दस सदस्य थे। आशीष की सफलता पर डीजीपी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड पुलिस का ध्वज माउंट एवरेस्ट पर फहराकर आशीष ने उत्तराखंड पुलिस के साथ-साथ सूबेवासियों का भी मस्तिष्क गर्व से ऊंचा किया है। इसके लिए आशीष को 20 हजार का पुरस्कार दिए जाने की घोषणा करने के साथ-साथ उपनिरीक्षक पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजने की घोषणा की। आगामी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आशीष को सम्मानित किया जाएगा।

हेम पन्त

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अरे मेहता जी! बछेन्द्री जी के बाद उत्तराखण्ड के कई लोगों ने एवरेस्ट पर चढाई की है.


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I think he is second from Uttarakhand to scale Everest after Bichhender Pal. 

देहरादून। उत्तराखंड पुलिस के सिपाही ने एवरेस्ट फतह किया है। दस लोगों की टीम के सदस्य आशीष के एवरेस्ट फतह की सूचना से पुलिस महकमे में खुशी की लहर है। डीजीपी सुभाष जोशी ने आशीष को इस उपलब्धि के लिए 20 हजार का पुरस्कार और आउट ऑफ टर्न पदोन्नति के लिए शासन में प्रस्ताव भेजने की घोषणा की है।

चमोली जनपद के मूल निवासी आशीष कुमार सिंह वर्ष 2001 में आरक्षी के तौर पर सूबे के पुलिस महकमे में चुना गया। फिलहाल उत्तरकाशी जनपद में उसकी तैनाती है। मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स, भारत सरकार ने माउंट एवरेस्ट फतह का अभियान प्रायोजित किया था। पंद्रह सदस्रीय की टीम में आशीष का भी चयन किया गया। एक फरवरी को डीजीपी ने उत्तराखंड पुलिस ध्वज प्रदान करके आशीष कुमार को शुभकामनाएं देकर विदा किया था। इस अभियान दल ने 11 अप्रैल कौ बेस कैंप झांगमू से माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। 22 मई की सुबह दल ने एवरेस्ट की चोटी पर पहुंच ध्वज फहरा दिया। उस समय अभियान दल में आशीष समेत कुल दस सदस्य थे। आशीष की सफलता पर डीजीपी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड पुलिस का ध्वज माउंट एवरेस्ट पर फहराकर आशीष ने उत्तराखंड पुलिस के साथ-साथ सूबेवासियों का भी मस्तिष्क गर्व से ऊंचा किया है। इसके लिए आशीष को 20 हजार का पुरस्कार दिए जाने की घोषणा करने के साथ-साथ उपनिरीक्षक पद पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजने की घोषणा की। आगामी राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आशीष को सम्मानित किया जाएगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अल्मोड़ा के हेम जोशी को मिला गोल्ड मेडलJun 10, 11:38 pm

अल्मोड़ा। कुमाऊं विश्वविद्यालय के नवम् दीक्षांत समारोह में राज्यपाल बीएल जोशी ने एएसजे परिसर के छात्र हेम चंद्र जोशी को स्वर्ण पदक व प्रमाण पत्र प्रदान किये। श्री जोशी को एमए चित्रकला विभाग में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया। उन्हे स्वर्ण पदक प्राप्त होने पर एसएसजे परिसर के समस्त शिक्षकों व विद्यार्थियों ने हर्ष व्यक्त किया है।


Good info.  Lage raho Mehta jee.
NAMO NARAYAN

हेम पन्त

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84 साल की उम्र में दामोदर राठौर अगर कुछ और साल जीने की ख्वाहिश रखते हैं तो सिर्फ इसलिए कि वह कुछ और पेड़ लगा सकें। वह अब तक 3 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं। उनका लक्ष्य 5 करोड़ पेड़ लगाने का है। कुछ साल पहले उन्हें वृक्ष मित्र के अवॉर्ड से नवाजा गया, लेकिन इसके अलावा उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली। वैसे उन्हें इस बारे में किसी से कोई शिकवा भी नहीं है। वह तो बस इस बात से खुश हैं कि कम से कम अब लोग उनकी बात सुनने लगे हैं और उसे मानकर पेड़ काटने से बचते हैं।

उत्तराखंड में सीमांत जिले पिथौरागढ़ से लेकर राजधानी देहरादून तक दामोदर राठौर पेड़ लगा चुके हैं। फिर चाहे वह दूर-दराज के डीडीहाट व चंपावत हों या मैदानी इलाके हल्द्वानी और बरेली हों। पेड़ों से उनके लगाव की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। इंटर तक पढ़े दामोदर राठौर ने 1950 में ग्रामसेवक के तौर पर काम करना शुरू किया। सरकारी अधिकारियों के आदेश पर वह पेड़ लगाते और उनकी देखभाल करते थे। लेकिन धीरे-धीरे उन्हें लगने लगा कि पेड़ लगाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। लगाने के लिए जो पौधे आते हैं वे आधे सूखे होते हैं। एक बार पौधा लगाने के बाद सिर्फ कागजों पर ही उस ओर ध्यान दिया जाता है।

सरकार की तरफ से इस फंड में आए धन का पूरा दुरुपयोग हो रहा है। दामोदर कहते हैं, 'यह सब बातें मुझे बहुत परेशान करती थीं। मैंने फैसला किया कि अब अपने बूते पेड़ लगाकर दिखाऊंगा और साबित करूंगा कि अगर इच्छाशक्ति हो तो सब कुछ मुमकिन है।' उन्होंने ग्राम सेवक का काम छोड़ दिया। 1952 से पेड़ लगाने की यह तपस्या अब तक अनवरत जारी है।

वह कुल 3 करोड़ 15 लाख 10 हजार 705 पेड़ लगा चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहाड़ों में ज्यादातर पेड़ सिलिंग, उतीश और बाज के लगाए हैं। सिलिंग जल स्त्रोत के लिए वरदान होता है और उन्हें नया जीवन देता है। अब वह मेडिसन प्लांट भी लगा रहे हैं। ज्यादातर पेड़ ग्राम पंचायत की जमीन पर और कुछ व्यक्तिगत जमीन पर भी लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पेड़ लगाने के लिए इजाजत लेना बड़ा पेचीदगी भरा काम हैं। मैंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि मुझे जहां भी वृक्ष विहीन जमीन मिलेगी वहां पेड़ लगा लूंगा। पौधों के लिए उन्होंने एक नर्सरी बनाई है।

बागवानी की किसी डिग्री के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मैंने प्रकृति से सीखा है। प्रकृति ही मेरी पाठशाला है। परिवार में उनकी बीबी और 17 साल की एक बेटी है। लेकिन दामोदर कहते हैं कि उनके 3 करोड़ से ज्यादा बच्चे हैं। लगाए गए पेड़ों को वह अपने बच्चे ही मानते हैं और उसी तरह उनकी देखभाल भी करते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर उनकी तबीयत खराब ही रहती है, लेकिन 5 करोड़ पेड़ लगाने का जुनून उनमें नया जोश भरता है। वह डीडीहाट के पास 6900 फुट की ऊंचाई पर जंगलों के बीच कुटिया बना कर रहते हैं। घर का खर्च जुटाने के लिए उनकी पत्नी एक स्कूल में पढ़ाती हैं। वह प्रार्थना भी करते हैं तो यही मांगते हैं कि उनका लक्ष्य पूरा होने से पहले भगवान उन्हें अपने पास न बुलाए।


http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3101063.cms

 

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