Author Topic: REMARKABLE ACHIEVEMENTS BY UTTARAKHANDI - उत्तराखंड के लोगों की उपलब्धियाँ  (Read 76656 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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लोहाघाट के अमित नार्वे में जज

भारतीय मूल के अमित जोशी नार्वे में ओस्लो जिला कोर्ट के एसोसिएट जज नियुक्त किए गए हैं। चंपावत जिले के लोहाघाट के पास खेतीखान के रहने वाले अमित स्कैडनेविया में भारत साहित्य एवं संस्कृति मंच के अध्यक्ष और इब्सन सेंटर ऑफ इंडिया के निदेशक भी हैं।
प्रख्यात साहित्यकार हिमांशु जोशी के सबसे बड़े पुत्र अमित का विदेश में बसने के बावजूद अपनी माटी से ऐसा लगाव है कि समय-समय पर वह अपने पैतृक गांव खेतीखान आना नहीं भूलते।
अमित जोशी नार्वे से शांतिदूत हिंदी पत्रिका भी प्रकाशित कर रहे हैं।

वह नार्वे के डिप्टी सिटी काउंसलर भी चुने गए हैं। प्राथमिक शिक्षा खेतीखान से पूरी करने बाद उन्होंने आगे की शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की। अमित पहाड़ों से तेजी के साथ हो रहे पलायन से बेहद आहत हैं। वह उत्तराखंड को धरती का स्वर्ग मानते हैं लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश एवं पाश्चात्य संस्कृति के अंधानुकरण से बेहद दु:खी हैं।
उनका कहना है कि यहां के युवक और युवतियों में टेलेंट तो है लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। वह कहते हैं कि सरकार की ओर से समुचित प्रोत्साहन न मिलने से ही अपनी माटी से उनका मोहभंग हो रहा है। अपनी मातृभाषा और संस्कृति से गहरा लगाव रखने वाले अमित नार्वे में भी अपने घर पर कुमाऊंनी में बातचीत करते हैं। उनका कहना है कि लोगों को हमेशा अपनी जड़ों से जुड़ा रहना चाहिए।



खेतीखान में हाईटेक लाइब्रेरी खोलेंगे जोशी

अमित जोशी अपने पैतृक गांव खेतीखान में ऐसी हाईटेक लाइब्रेरी खोलना चाहते हैं, जिससे यहां के युवक युवतियां घर बैठे ही दुनिया की जानकारी हासिल कर सकें और जीवन की दौड़ में आगे बढ़ सकें। उन्होंने अपने दादा प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पूर्णानंद जोशी के नाम पर स्थापित होने वाले पुस्तकालय की रूपरेखा भी तैयार कर ली है। इस कार्य में यहां के शिक्षाविद सीएल वर्मा उनको सहयोग दे रहे हैं।

साभार : अमर उजाला

manbirsingh

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Historical Long Riders (Equestrian Travel):
One of the most unusual Historical Long Riders came from the tiny mountain kingdom of Gahrwal (India). Giyan Sing Pharswan was one of these hardy mountaineers who had enlisted to serve in the British army in India. When Lieutenant Percy Etherton asked for a volunteer to accompany him in 1909 on a 4,000 mile ride from Kashmir, north to Gilgit, across the dangerous Pamir mountain range, through Chinese Turkistan and Mongolia, the intrepid Sing accepted the challenge. His decision was made all the more extraordinary considering the fact that Sing had no previous equestrian experience. Nevertheless the small equestrian traveller rode alongside Etherton throughout their lengthy journey. Upon reaching Yarkand, the weary Long Riders were invited to a feast hosted by the local Chinese governor. Though they were thousands of miles from Peking, the governor nevertheless produced a plethora of tasty dishes including pigeon’s eggs preserved in chalk, lotus seeds, stag’s tendons and sea slugs. The ride turned deadly when Sing and Etherton rode into Siberia during the winter of 1910. The cold was simply appalling, with the temperature sinking to 46 degrees below zero, when Etherton suffered from frostbite. When they remarked on the cold, a local Siberian told the equestrian explorers that though the Czar might rule all Russia, it was King Frost who ruled Siberia. Having ridden four thousand miles with Etherton, the young Gahrwali tribesman completed the journey to England by train and ship, reaching London fifteen months after first stepping into the saddle.
Source: http://www.thelongridersguild.com/Historical_S2.htm

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सूबेदार जलाल को तेनजिंग नोर्गे पुरस्कार
अल्मोड़ा। एडवेंचर के क्षेत्र में शानदार उपलब्धि के लिए खेल मंत्रालय 16 कुमाऊं के सूबेदार राजेंद्र सिंह जलाल को तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित करेगा। 29 अगस्त को खेल दिवस पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जलाल को सम्मानित करेंगे। जलाल ने आक्सीजन सिलेंडर के बगैर एवरेस्ट समेत कई चोटियां फतह की हैं। पुरस्कार के तहत तीन लाख रुपये नकद, प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। सूबेदार जलाल का चयन अरुणाचल स्थित अविजित चोटी न्यागीकांगसांग (7000) आरोहण दल के लिए भी हुआ है। इस समय वह अरुणाचल में तैनात हैं।रानीखेत के भैसोली गांव निवासी राम सिंह तथा हंसी देवी के पुत्र राजेंद्र सिंह जलाल 1989 में सेना में भर्ती हुए। बचपन से ही पर्वतारोहण के शौकीन रहे राजेंद्र को सेना ने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका दिया। सूबेदार जलाल अब तक एवरेस्ट के अलावा मकालु, सीसपंगमा, अन्नपूर्णा और मनासूलू समेत कई चोटियां फतह कर चुके हैं। ये सभी चोटियां आठ हजार मीटर से अधिक ऊंची हैं। यही नहीं राजेंद्र सात हजार से कम ऊंचाई की 12 से अधिक चोटियां भी फतह कर चुके हैं!

(Source - Amar Ujala)

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उत्तराखंड के लाल ने किया कमाल

बनाई सौर ऊर्जा से चलने वाली कार

हल्द्वानी। उत्तराखंड के एक और लाल ने राज्य का नाम रोशन किया है। दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय (डीटीयू) के प्रशिक्षु छात्रों ने सौर ऊर्जा से चलने वाली हल्की कार बनाकर कार उद्योग में नई क्रांति ला दी है। ‘सोलरिस’ नाम वाली यह कार 120 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। यह भारत की पहली सौर ऊर्जा चालित यात्री कार है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी इसे हरी झंडी दिखा चुके हैं।

डीटीयू में इलेक्ट्रानिक्स एवं कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के चौथे वर्ष के छात्र धीरज मिश्रा कार बनाने वाली टीम के लीडर हैं। वह काठगोदाम (हल्द्वानी) के शहीद मेजर चंद्रशेखर मिश्रा के पुत्र और पूर्व अपर मंडल आयुक्त कै. हरिदत्त मिश्रा के पौत्र हैं। यह परिवार मूलत: बागेश्वर जिला के ग्राम छौना का रहने वाला है। पौत्र धीरज और उनके सहपाठियों की इस सफलता से खासे प्रफुल्लित कै. मिश्रा ने कहा कि धीरज में बचपन से ही समाज में कुछ अलग कर दिखाने की ललक थी। आज उनकी तमन्ना पूरी हुई है। पूरे उत्तराखंड को उन पर गर्व है। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने भी धीरज और उनकी टीम को बधाई दी है।
बता दें कि यह सौर यात्री कार पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल है जो कार्बन का उत्सर्जन नहीं करती है। अभी यह दो सीटर कार है लेकिन इसमें तीन सीटें और जोड़ी जा सकती हैं। वजन कम रखने के लिए कार की बॉडी विशेष फाइबर से बनाई गई है। कार के ऊपर हिस्से में क्रिस्ट लाइन सोलर सिलिकन सेल लगाए गए हैं, ताकि यह अधिक से अधिक सौर ऊर्जा ग्रहण कर सकें।
धीरज मिश्रा के नेतृत्व में यह कार दक्षिण अफ्रीका में आयोजित प्रतियोगिता में हिस्सा लेगी। 15 से 29 सितंबर तक आयोजित होने वाली 4200 किमी. की दौड़ में भाग लेने के लिए धीरज की टीम करीब एक माह तक वहां ठहरेगी।

http://www.amarujala.com/state/Uttarakhand/74217-2.html

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Dr. Lalit Mohan Pant, World's fastest surgeon from Almora Uttarakhand, newsmakers @ DIGI NEWS Indore with Prakash Hindustani.(17/12/2012).Dr. Pant performed world's largest sterilization operations --More Then 300,000.
 
 Dr. Lalit Mohan Pant, newsmakers @ DIGI NEWS Indore (17/12/2012)

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विश्व में देश का नाम  रोशन करना ही लक्ष्य


जागरण प्रतिनिधि, कोटद्वार: उत्तर भारत के कई राज्यों की सुंदरियों को पछाड़कर पाँड्स फैमिना मिस इंडिया दिल्ली का ताज हासिल करने वाली लैंसडौन निवासी अनुकृति गुसाई ने कहा कि उनका अगला लक्ष्य मिस व‌र्ल्ड प्रतियोगिता जीतकर विश्व फलक पर भारत का नाम रोशन करना है।
पाँड्स मिस इंडिया दिल्ली का खिताब जीतने के बाद पहली बार अपने गृह क्षेत्र पहुंची अनुकृति ने यहां बदरीनाथ मार्ग स्थित 'संस्कार कला केंद्र' में नागरिक अभिनंदन किया गया। इस दौरान आयोजित पत्रकार वार्ता में यह बात कही। उन्होंने कहा कि उनका अगला लक्ष्य मिस व‌र्ल्ड प्रतियोगिता जीतना है। डीआइटी देहरादून में इंजीनियरिंग की छात्रा अनुकृति ने कहा कि यदि इच्छा दृढ़ हो तो मनचाहे मुकाम को पाना मुश्किल नहीं, और इसी को मूल मंत्र मानते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल किया। मूल रूप से जयहरीखाल प्रखंड के अंतर्गत ग्राम कंदोली निवासी अनुकृति ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी शिक्षिका माता नर्वदा गुसाई व व्यवसायी पिता उत्तम सिंह को दिया।
  इससे पूर्व अनुकृति के कोटद्वार में पहुंचने पर क्षेत्रवासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर अनुकृति के दादा शिवरतन गुसाई, गिरिराज किशोर हिंदवाण, बलवीर सिंह, सुधीर बहुगुणा आदि मौजूद रहे!

(source dainik jagran)

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अल्मोड़ा: गोविन्द बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के युवा वैज्ञानिक ई.आरके सिंह को ग्लोबल सोसायटी फॉर हेल्थ एंड एजुकेशनल ग्रोथ नई दिल्ली ने 'भारत शिक्षा रत्‍‌न एवार्ड' से सम्मानित किया है। सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यो ने उन्हें यह सम्मान दिलाया।  सोसायटी के गत अप्रैल माह में दिल्ली में आयोजित 37वें राष्ट्रीय सेमिनार के दौरान 29 अप्रैल को उन्हें यह पुरस्कार दिया गया, जो पूर्व चुनाव आयुक्त डा.जीवीजी कृष्णमूर्ति तथा असम व तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल डा.भीष्म नारायण सिंह ने संयुक्त रूप से प्रदान किया। गौरतलब है कि युवा वैज्ञानिक श्री सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के निवासी हैं और वह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पिछले नौ सालों से काम कर रहे हैं। वह वर्ष 2007 से पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा में सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में शोध व विकास कार्य में जुटे हैं। इससे पूर्व वह वर्ष 2003 से वर्ष 2007 तक सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मेरठ, उत्तर प्रदेश में तैनात रहे। ई.सिंह राष्ट्रीय स्तर की 16 से अधिक प्रोफेशनल सोसायटीज एवं बॉडीज के अजीवन सदस्य हैं, इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स कोलकाता व इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रानिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियर्स नई दिल्ली भी शामिल है। ई.सिंह मोनाड विश्वविद्यालय हापुड़ उत्तर प्रदेश में शोध उपाधि के लिए पंजीकृत हैं और उनके शोध का विषय 'मोबाइल एड्हॉक नेटवर्क में सुरक्षा एवं उचित समाधान' है। श्री सिंह को उक्त सम्मान मिलने पर संस्थान के निदेशक डा.एलएमएस पालनी समेत कई वैज्ञानिकों व कर्मचारियों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।


http://www.jagran.com/uttarakhand/almora-10359139.html

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डॉ.जगमोहन को 30 को तिलाड़ी सम्मान

बड़कोट: इस वर्ष का तिलाड़ी सम्मान डॉ. जगमोहन को दिया जाएगा। बड़कोट के कंसेरू गांव के डॉ. जगमोहन राणा को उच्च शिक्षा शोध के लिए इस सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। डॉ. जगमोहन वर्तमान में राज्य बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक है। उनके साथ क्षेत्र के डी.फील उपाधि धारकों को भी प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा।

30 मई को होने वाले तिलाड़ी दिवस की पूर्व संध्या पर होने वाले सम्मान समारोह के बारे में बारे में जानकारी देते हुए तिलाड़ी सम्मान समिति के सचिव प्रो. आरएस असवाल ने बताया कि तिलाड़ी सम्मान समिति प्रतिवर्ष रवंाई, जौनपुर की अलग-अलग प्रतिभाओं को सम्मानित करती है जो किसी विशेष कार्य क्षेत्र में क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बने। उन्होंने बताया कि इसी क्रम में इस बार समिति ने डॉ. जगमोहन को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। (dainik jagran)

विनोद सिंह गढ़िया

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बारहवीं पास हल्द्वानी के प्रेम सिंह ने दिखाया दम

[justify]हल्द्वानी। इस छोटे से शहर से इंग्लैंड तक का सफर। बिना डिग्री के पिज्जा बनाने के लिए ढाई लाख रुपये प्रति माह की नौकरी की। 46 सेकेंड में तीन बड़े पिज्जा बनाने का रिकार्ड। जी हां, आप चौंक सकते हैं। पिज्जा बनाने की कला में कामयाबी हासिल कर चुके प्रेम सिंह अब इंग्लैंड से लौटकर उत्तराखंड से दिल्ली तक देसी पिज्जा परोसने की तैयारी कर रहे हैं।
इंग्लैंड में सात साल बिताने वाले एनआरआई प्रेम सिंह चार महीने पहले जब उत्तराखंड लौटे तो अपने कॅरियर के शीर्ष पर थे। दिल्ली में 2400 रुपये प्रति माह की पहली नौकरी करने वाले प्रेम सिंह ने अब ब्रिटेन में अपनी आखिरी नौकरी छोड़ी तब उनकी तनख्वाह ढाई लाख रुपये प्रतिमाह थी। लेकिन उन्होंने इस वेतन को छोड़ उत्तराखंड लौटकर अपना कारोबार करना ज्यादा बेहतर समझा।
12वीं पास प्रेम 1996 में घरवालों की मर्जी के खिलाफ पज्जा बनाने वाली मशहूर फूडचेन डोमीनोज से जुड़े। घरवाले चाहते थे कि वह आर्मी अफसर बनें, लेकिन पिज्जा खाने से अधिक बनाने की लगन रखने वाले प्रेम ने अपने ही रास्ते पर चलने का निर्णय लिया।
प्रेम जब डोमीनोज से जुड़े थे तो उनके पास न कोई डिग्री थी और न डिप्लोमा। उन्होंने इटैलियन फूड पिज्जा के नाम के अलावा कुछ नहीं सुना था, लेकिन 2006 तक दस साल के सफर में उन्होंने पिज्जा बनाने की ऐसी कला सीखी कि 2011 में डोमीनोज की प्रतियोगिता में यूरोप के फास्टेस्ट पिज्जा मेकर बने। प्रेम के नाम 46 सेकेंड में तीन बड़े पिज्जा बनाने का रिकार्ड है। वह 1998 में एशिया के फास्टेस्ट पिज्जा मेकर भी रहे हैं। इस साल मार्च तक प्रेम डोमीनोज से जुड़े रहे। उत्तराखंड में कारोबार के लिए उन्होंने इंग्लैंड से ही तैयारी शुरू कर दी थी। पिज्जा बाइट नाम से उद्यम खोलने में पार्टनर मयंक महाजन और भाई संजीव सिंह ने प्रेम का साथ दिया। हालांकि, प्रेम ने अपने दम पर रुद्रपुर में रेड चीलीज (चाइनीज फूड) और हल्द्वानी में ग्रीन चीलीज (स्ट्रीट फूड) के नाम से उद्यम भी लगाए हैं। इन उद्यमों में वह 120 लोगों को रोजगार दे रहे हैं।

यहां हैं प्रेम की पिज्जा बाइट

काठगोदाम, हल्द्वानी, रुद्रपुर, काशीपुर, रामनगर, पलवल और किच्छा। अब दिल्ली और पिथौरागढ़ में भी उद्यम लगाने की योजना है।

पिज्जा इटली वालों का पराठा

जो पिज्जा हम खाते हैं दरअसल वह इटली वालों का पराठा है। इसे तैयार करने के लिए डो (मैदे की रोटी), मोजरीला चीज और वेज या नॉनवेज की आवश्यकता होती है।

खास है बाइट का पिज्जा

प्रेम सिंह का दावा है कि उनके बनाए पिज्जे में कई खासियतें हैं। पिज्जा बाइट में इस्तेमाल होेने वाला डो ताजा होता है और इसे ग्राहक के सामने तैयार किया जाता है। इसके अलावा इसकी कीमतें निम्न और मध्य आय वर्ग के लोगों के बजट में होती हैं।

साभार : अमर उजाला
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प्रकाश सिंह बिष्ट को इंडियन लीडरशिप अवार्ड
अल्मोड़ा। वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ग्लोबल एचीवर फाउंडेशन ने अल्मोड़ा बांसगली निवासी व्यापारी प्रकाश सिंह बिष्ट को इंडियन लीडरशिप अवार्ड फार बिजनेस डेवलपमेंट प्रदान किया है। फाउंडेशन प्रत्येक वर्ष सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाली संस्थाओं और व्यक्तियों को यह पुरस्कार प्रदान करता है।
गत दिनों दिल्ली में रफी मार्ग कांस्टीट्यूशन क्लब में हुए राष्ट्रीय सेमीनार में फाउंडेशन के अध्यक्ष पूर्व सीबीआई निदेशक सरदार जोगेन्दर सिंह, राजदूत डा. बीबी सोनी, पद्श्री जसपाल राणा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव अनीस दुर्रानी ने प्रकाश बिष्ट को प्रमाण पत्र और ट्राफी  प्रदान की। प्रकाश बिष्ट की यहां चौघानपाटा में अक्षय ऊर्जा की दुकान है। प्रकाश बिष्ट को पुरस्कार मिलने पर परवेज सिद्दीकी, अवनी अवस्थी, डा. एके विश्वास, ललित जोशी, भारत पांडे, राजेंद्र सिंह बिष्ट, हर्ष बिष्ट आदि ने प्रसन्नता जताई है

 

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