Author Topic: REMARKABLE ACHIEVEMENTS BY UTTARAKHANDI - उत्तराखंड के लोगों की उपलब्धियाँ  (Read 76652 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड की हिमांशी ने जीता सोना    ब्यूरो रविवार, 20 अक्टूबर 2013   अमर उजाला, देहरादून Updated @ 6:20 PM IST    himanshi wins gold medal  संबंधित ख़बरें   उत्तराखंड के शटलरों ने अपनी श्रेष्ठता साबित करते हुए ऑल इंडिया स्तर पर दो पदक अपने नाम करने में सफलता हासिल की है।

अंडर-13 युगल वर्ग का स्वर्ण पदक
उत्तराखंड की हिमांशी रावत ने ऑल इंडिया सब जूनियर रैंकिंग बैडमिंटन टूर्नामेंट में अपनी जोड़ीदार आंध्र प्रदेश की ए अक्षिता के साथ मिलकर अंडर-13 युगल वर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया।

उन्नति को कांस्य पदक प्राप्त हुआ
गोहाटी में रविवार को अंडर-13 वर्ग के युगल वर्ग का फाइनल मुकाबले में हिमांशी रावत और ए अक्षिता की जोड़ी का सामना सिमरन सिंह और रीतिका ठक्कर की जोड़ी से हुआ।

हिमांशी व ए अक्षिता ने सीधे सेटों में 21-10, 21-7 के अंतर से जीत दर्ज कर खिताब पर कब्जा किया। जबकि उत्तराखंड की उन्नति बिष्ट और राजस्थान की योशिता माथुर को कांस्य पदक प्राप्त हुआ।

अंडर-15 बालिका युगल वर्ग में अक्षिता भंडारी और श्रेया बोस का सामना असम की अस्मिता छलीहा और दिल्ली की कनिका कनवाल की जोड़ी से हुआ। पहला सेट 21-19 से हारने के बाद अक्षिता व श्रेया की जोड़ी ने वापसी करते हुए 21-16, 21-10 के अंतर से जीत दर्ज कर खिताब अपने नाम किया।

http://www.dehradun.amarujala.com/news/city-news-dun/himanshi-wins-gold-medal/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड में तीन साल में बना यह 'ताज महल'
 
 पौड़ी के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चुठाणी में कार्यरत सहायक अध्यापक पंकज सुंदरियाल ने ताज महल बताया है।
 पंकज ने यह महल माचिस की तिल्लियों से तैयार किया। 55 हजार तिल्लियों को जोड़कर बनाया गया ताजमहल तीन साल में बनकर तैयार हुआ।
 
 तिल्लियों से बना रहे ऐतिहासिक मंदिर एवं इमारतें
 पौड़ी निवासी पंकज सुंदरियाल पिछले चार साल से माचिस की तिल्लियों को जोड़कर ऐतिहासिक मंदिर एवं इमारतें बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि केदारनाथ मंदिर को तैयार करने में उन्होंने 17 हजार माचिस की तिल्लियों का प्रयोग किया है। बताया कि तिल्लियों से बना ताजमहल करीब दो फीट लंबा-चौड़ा और दो फीट ऊंचा है। इन दिनों वे बोरगंड नार्वे स्थित चर्च नाने में जुटे हैं।
 
 सुंदरियाल ने बताया कि तिल्लियों से इमारतों को रूप देने में लगन और समय की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि शिक्षण कार्य के बाद घर में मिलने वाले खाली का समय का उपयोग वे इस कार्य में करते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahi Singh Mehta मनोज सरकार (23 वर्ष) वह शख्स हैं जिन्होंने नवंबर 2013 में जर्मनी के डॉटमन में आयोजित पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड चैंपियनशिप के डबल्स में देश के लिए गोल्ड और मिक्स्ड डबल्स में मेडल हासिल किया है।
 
 मनोज ने अपने हुनर की बदौलत देश-दुनिया में उत्तराखंड का नाम रोशन जरूर किया, लेकिन अपने ही राज्य में इस सितारे की चमक धूमिल है।
 
 खेल-खिलाड़ियों को बढ़ावा देने का दावा करने वाली प्रदेश सरकार ने मनोज को इमदाद तो दूर उन्हें बधाई तक देना जरूरी नहीं समझा है। यह हाल तब है, जबकि अन्य राज्यों के ओलंपिक संघ मनोज को शुभकामनाओं के साथ उन्हें अपने यहां आने का ऑफर तक दे चुके हैं।
 
 हैरत की बात यह है कि जर्मनी जाने के लिए जब मुफलिसी आड़े आने लगी तो मनोज ने खेल निदेशालय को आर्थिक मदद के लिए पत्र भेजा, जिसे नामंजूर कर दिया गया।
 
 आखिर मनोज के पिता ने पड़ोसियों-रिश्तेदारों से साठ हजार रुपए कर्ज लिया और वह जर्मनी में पदक जीत आए। इन दिनों वह उधार चुकाने के लिए बच्चों को कोचिंग दे रहे हैं।
 
 ये रहे मनोज के साथी
 मनोज ने बताया कि प्रतियोगिता के दौरान सभी खिलाड़ियों को अलग-अलग ग्रुपों में रखा गया था। वह एफ ग्रुप में थे। हर ग्रुप में लीग मैच के बाद खिलाड़ी आगे बढ़ते गए।
 
 वह सिंगल्स में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे, लेकिन हार गए। डबल्स में मनोज ने उड़ीसा के प्रमोद भगत के साथ गोल्ड मेडल जीता। वहीं, मिक्स्ड डबल्स में गुजरात की पारुल डी. परमार के साथ मनोज कांस्य जीते।
 
 पोलियो से खराब हो गया पांव
 घरों में रंगाई-पुताई का काम करने वाले परिवार में जन्मे मनोज ने गरीबी तो देखी ही, बचपन में दायां पांव पोलियो के कारण लकवाग्रस्त हो जाने का दर्द भी झेला। लेकिन अपनी कमजोरी पर मायूस होने के बजाय मनोज ने आगे बढ़ते रहने की ठानी और वर्ल्ड चैंपियन बन गए।
 
 गरीबी ने छुड़वाए दो मौके
 आर्थिक हालत ठीक न होने के कारण स्पेन और टर्की में खेले जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मैचों में मनोज भाग नहीं ले पाए। मनोज ने बताया कि सरकार ने तो ध्यान नहीं दिया, लेकिन अब कुछ खेल संगठन उनकी मदद को आगे आ रहे हैं।
 
 कुमाऊं गढ़वाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (केजीसीसीआई) और ऊधमसिंह नगर स्पोर्ट्स क्लब आर्थिक मदद कर रहे हैं।
 
 बेटे की जीत अच्छी लगती है, लेकिन...
 मनोज के माता-पिता जमुना देवी और मनेंद्र सरकार ने बताया कि बेटे के मेडल देखकर उन्हें खुशी तो मिलती है। लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वह बेटे को विदेश नहीं भेज पाते तो बड़ी टीस होती है। उनका कहना है कि सरकार मदद करे तो उनके बेटे का भविष्य बेहतर हो सकेगा।
 
 दूसरे राज्यों से लें सीख
 खिलाड़ियों को कैसे आगे बढ़ाया जाता है, राज्य सरकार और खेल अधिकारियों को यह पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से सीखना चाहिए।
 
 वहां नेशनल लेवल पर मेडल हासिल करने वाले खिलाड़ियोंको सरकार के स्तर पर मदद तो मिलती ही है, स्कॉलरशिप भी दी जाती है। इससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है और वे प्रतियोगिताओं में राज्य का नाम रोशन करने के मकसद से उतरते हैं।
 
 प्रोफाइल
 नाम : मनोज सरकार
 जन्मतिथि : 12 जनवरी 1990
 शिक्षा : बीकॉम, सरदार भगत सिंह डिग्री कॉलेज, रुद्रपुर (एमकॉम में अध्ययनरत)
 पता : आदर्श नगर, बंगाली कॉलोनी, रुद्रपुर ऊधमसिंह नगर
 
 खिलाड़ियों की मदद केलिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है। मनोज की उपलब्धि वाकई काबिले तारीफ है। इस मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है। उन्हें पूरी मदद की जाएगी।
 - दिनेश अग्रवाल, खेल मंत्री
 
 प्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं, लेकिन संसाधन और मदद के अभाव में वे दम तोड़ रही हैं। सरकार को खिलाड़ियों की आर्थिक मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।
 - विजय आहूजा, अध्यक्ष, ऊधमसिंह नगर स्पोर्ट्स क्लब

source - amar ujala

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उत्तराखंड के 'लाल' को मोदी की कॉल - अभिलाष  चंद सेमवाल
 
 मोबाइल के जरिए विस्फोटकों की तलाश करने वाले ‘मोबाइल बम डिटेक्टर सेंसर’ बनाने वाले कर्णप्रयाग के बेटे अभिलाष सेमवाल का चयन आईआईटी खड़गपुर ने दुनिया की शीर्ष-20 टीमों में किया है।
 
 ये टीमें जनवरी 2014 में ग्लोबल समिट में अपने अनुसंधानों का डेमो दिखाएंगी। अभिलाष इस सूची में सातवां स्थान पर हैं। गुजरात सरकार ने अभिलाष को उनकी खोज पर बधाई दी है।
 
 यही नहीं, ग्लोबल समिट में कामयाब रहने पर उन्हें गुजरात के लिए ये सेंसर बनाने की पेशकश भी की गई है।
 
 मोदी ने किया फोन
 
 अभिलाष ने बताया कि उन्हें इस कामयाबी पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम ने कॉल की थी। कहा गया कि यदि समिट में यह डिटेक्टर चिप कामयाब हो जाती है तो वह सबसे पहले गुजरात सरकार के लिए यह चिप बनाएं।
 
 जनवरी में होगी समिट
 आईआईटी खड़गपुर में हर तीसरे साल ‘ग्लोबल इंटरप्रेन्योरशिप समिट’ का आयोजन होता है। इस वर्ष यह समिट 10 से 12 जनवरी तक होगी। समिट में दुनियाभर से ऐसे छात्र पहुंचते हैं जिन्होंने कुछ अलग प्रयोग कर नया आविष्कार किया हो। बीटेक के हैं छात्र
 कर्णप्रयाग निवासी और ग्राफिक एरा हिल विवि के बीटेक कंप्यूटर साइंस तृतीय वर्ष के छात्र अभिलाष ने भी ऐसा सेंसर ईजाद किया है, जो कार में बम लगा होने पर इसकी सूचना तुरंत मोबाइल पर पहुंचा देता है।
 
 अभिलाष ने बताया कि अब वह अपने सेंसर को व्यावहारिक तौर पर दुनियाभर के विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। वे इसे पास करते हैं तो दो लाख रुपये नकद पुरस्कार और सेंसर को डेवलप करने के लिए 45 लाख रुपये की ग्रांट मिलेगी।
 
 ऐसे काम करता है सेंसर
 कार में लगा सेंसर कार के चेसिस नंबर की सहायता से मोबाइल से कनेक्ट होता है। यह सेंसर अपने आसपास किरणें छोड़ता है। बम में मौजूद गैसें जैसे ही इन किरणों से टकराती हैं तो तुरंत सेंसर को इसकी जानकारी मिल जाती है।
 
 सेंसर इसका अलर्ट संबंधित मोबाइल नंबर पर एसएमएस के माध्यम से भेज देता है। इस तकनीक से कार में बम का काफी हद तक पता चल जाएगा।
 
 सरकार से मदद की दरकार
 अभिलाष के पिता प्रकाश चंद सेमवाल का दो वर्ष पहले निधन हो चुका है। चाचा और दादा उसकी पढ़ाई का खर्च चला रहे हैं। माता अंजना सेमवाल गृहिणी हैं।
 
 अभिलाष ने बताया कि इस प्रयोग में हालांकि ज्यादा खर्च नहीं है लेकिन 50 हजार रुपये या फिर शुल्क में कुछ माफी यदि सरकार की ओर से मिल जाएगी तो उनकी राह ज्यादा आसान हो जाएगी।

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उत्तराखंड के सपूत आदित्य बने दुनिया के नंबर एक जूनियर शटलर
 
 उत्तराखंड के सपूत ने दुनिया भर में प्रदेश का नाम का रोशन किया है। अल्मोड़ा निवासी आदित्य जोशी ने जूनियर बैडमिंटन रैंकिंग (अंडर-19) में पहला स्थान हासिल किया है। उन्होंने 2013 में खेले गए 35 मैचों में से 24 में जीत दर्ज की। जिसके बाद दो जनवरी को बैडमिंटन व‌र्ल्ड फेडरेशन द्वारा जारी साप्ताहिक रैंकिंग में उन्हें शीर्ष वरीयता दी गई।
 
 यह पहला मौका है जब किसी भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ने विश्व रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया है। आदित्य का परिवार फिलहाल मध्य प्रदेश के धार में रहता है। फोन पर हुई बातचीत में आदित्य ने बताया कि यह उपलब्धि शानदार है, लेकिन उनका सपना विश्व चैंपियन बनने का है। इसके लिए वह खूब मेहनत कर रहे हैं।
 
 आदित्य ने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा व बैडमिंटन कोचिंग दून में ही हुई। बैडमिंटन से उनका बचपन से ही लगाव रहा है। उनके पिता अतुल जोशी धार स्थित साइ केंद्र में बैडमिंटन कोच हैं और बड़े भाई प्रतुल जोशी भी अंतरराष्ट्रीय शटलर हैं। पिछले महीने चंडीगढ़ में आयोजित हुई जूनियर नेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिप में आदित्य ने राष्ट्रीय चैंपियन बनने का भी गौरव हासिल किया था।

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पूर्वी पोखरखाली के हैं विश्व नंबर वन आदित्य  अल्मोड़ा। जूनियर बैडमिंटन के विश्व नंबर वन खिलाड़ी बने पूर्वी पोखरखाली निवासी आदित्य जोशी को अल्मोड़ा से विशेष लगाव है। आदित्य समय मिलने पर अल्मोड़ा आते रहते हैं। अल्मोड़ा में रहने के दौरान वह स्थानीय स्टेडियम में बैडमिंटन की प्रेक्टिस से लिए जाते हैं। पूर्वी पोखरखाली में स्थित गोकुल निवास में आदित्य के घर पर ताऊ नरेंद्र कुमार जोशी और ताई ऊषा जोशी को बधाई देने के लिए दिनभर लोगों का तांता लगा रहा।
पूर्वी पोखरखाली निवासी अतुल जोशी और हेमलता जोशी के दो पुत्रों में आदित्य छोटे हैं। आदित्य के बड़े भाई प्रतुल्य जोेशी भी बैडमिंटन के राष्ट्रीय खिलाडी हैं। आदित्य के पिता अतुल जोेशी धार (मध्य प्रदेश) में सांई के बैडमिंटन के कोच हैं। आदित्य की 83 वर्षीय दादी शकुंतला जोशी धार में ही रहती है। आदित्य के चचेरे भाई आईटीआई सोमेश्वर मेें अनुदेशक गौरव जोशी बताते हैं कि वह मई 2012 में परिजनों के साथ अल्मोड़ा आए थे और दो सप्ताह तक रुके। इस दौरान पिता अतुल जोशी के साथ प्रतिदिन स्टेडियम जाकर तीन से चार घंटे अभ्यास करते थे। होनहार खिलाड़ी आदित्य की उपलब्धि पर नगरवासी स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। आदित्य के पूर्वी पोखरखाली स्थित गोकुल निवास में उनके घर पर मंगलवार को  ताई, ताऊ और परिजनों को बधाई देने वाले लोगों का तांता लगा रहा।


विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]द्रोणाचार्य अवार्ड विजेता हंसा मनराल शर्मा।



पहाड़ की पगडंडी से द्रोणाचार्य अवार्ड तक

 पहाड़ों की कठिन डगर को पार करते हुए हंसा मनराल शर्मा ने नई इबारत लिखी। एथलेटिक्स से शुरू हुआ उसका सफर वेट लिफ्टिंग तक जा पहुंचा। उनकी लगन का ही नतीजा था जो उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह देश की पहली महिला खिलाड़ी थी, जिन्हें यह गौरव हासिल हुआ। आज भी हंसा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी हुई हैं।
मूल रूप से ग्राम देवतौला पिथौरागढ़ निवासी स्व. महेंद्र सिंह मनराल के घर जन्मी हंसा ने पहाड़ों का कठिन जीवन बहुत नजदीक से देखा। शुरू से ही उबड़ खाबड़ खेतों की पगडंडियों पर दौड़ी हंसा को भी नहीं पता था कि एक दिन वह ऐसे मुकाम पर पहुंचेंगी। लेकिन उनकी लगन उन्हें नेशनल प्रतियोगिता तक ले गई और 1982 में उन्होंने पहला एशियन कैंप किया। इसके बाद उन्हें चोट लग गई। करीब दो सालों तक वह खेल नहीं सकी। चूंकि हंसा ने शुरू से ही खेतों में मेहनत की थी, लिहाजा उन्हें वजन उठाने की आदत रही। इसी के चलते वह एथलेटिक्स छोड़ वर्ष 1985 में वेटलिफ्टिंग में आ गई। वर्ष 1986 में उन्होंने वेटलिफ्टिंग नेशनल चैंपियनशिप खेली। यह वही समय था जब महिला वेटलिफ्टिंग की शुरुआत हुई थी। इसके बाद हंसा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1986, 87 और 88 में वह नेशनल रिकॉर्ड होल्डर रहीं। 2001 में राष्ट्रपति ने उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया। वर्ष 1989 में वह पहार वर्ल्ड चैंपियनशिप इंडिया महिला वेटलिफ्टिंग टीम की कोच रहीं।
तब टीम ने सात मेडल जीते थे। इन सात मैडलों में से एक अंतरराष्ट्रीय वेटलिफ्टर कुंजू रानी ने रजत पदक जीता था। अब तक हंसा के संरक्षण में 12 खिलाड़ी अर्जुन अवार्ड प्राप्त कर चुके है। वर्तमान में वह कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स, ओलंपिक खेलों के लिए खिलाड़ियों को तैयार कर रही हैं। हंसा की बेटी भी शूटिंग में नेशनल और इंटर नेशनल मेडल होल्डर है।


साभार - अमर उजाला

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मूलरूप से हल्द्वानी जनपद नैनीताल के राजीव मेहता होंगे आइओए के महासचिव

जागरण संवाददाता, देहरादून: भारतीय ओलंपिक संघ के होने वाले चुनाव में उत्तराखंड ओलंपिक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मेहता का महासचिव पद पर निर्विरोध चुना जाना लगभग तय हो गया है। भारतीय खेल की सर्वोच्च संस्था में पदाधिकारी बनने वाले राजीव मेहता सूबे के पहले व्यक्ति होंगे। इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी की गाइडलाइन के नौ फरवरी को होने वाले चुनाव में राजीव मेहता के महासचिव पद पर काबिज होने की मोहर लग जाएगी।

तीन दशक से जुड़े हैं खेलों से

मूलरूप से हल्द्वानी जनपद नैनीताल के 49 वर्षीय राजीव मेहता यूं तो पेशे से कंसट्रक्शन व्यवसाय से जुड़े हैं। कुमाऊं विवि से 1985 में रसायन विज्ञान में एमएससी करने वाले राजीव खुद एक बेहतरीन क्रिकेटर व फुटबालर रहे। उन्होंने कुमाऊं विवि की क्रिकेट टीम का बतौर कप्तान प्रतिनिधित्व किया और बाद में विवि की चयन समिति के अध्यक्ष रहे। राज्य गठन से पहले राजीव मेहता एक दशक तक यूपी वूमैन क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे।

उत्तराखंड बनने के बाद उन्होंने राज्य ओलंपिक संघ की बतौर अध्यक्ष कमान संभाली। वर्तमान में खो-खो फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के साथ ही वह हॉकी इंडिया के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। राजीव मेहता ने हॉकी इंडिया में एसोसिएट अध्यक्ष का पदभार भी संभाला। अब वह भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव बनने जा रहे हैं।

भारतीय ओलंपिक संघ के होने वाले चुनाव के नामांकन के लिए 25 जनवरी को अंतिम दिन रखा गया। अध्यक्ष, महासचिव व कोषाध्यक्ष पद पर एक-एक ही नामांकन हुआ है। इसके साथ ही इन पदों पर निर्विरोध निर्वाचन तय हो गया। गौरतलब है कि इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी ने भारतीय ओलंपिक संघ पर तय चार्टर के अनुरूप चुनाव न कराने के चलते प्रतिबंध लगाया हुआ था। चार्टर के मुताबिक कोई भी व्यक्ति जिसे कोर्ट से सजा मिली हो वह पदाधिकारी नहीं बन सकता। इस गतिरोध को दूर करने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ ने दोबारा चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इससे उम्मीद जगी है कि संघ पर लगा प्रतिबंध जल्द ही हटा लिया जाएगा।

चार साल तक संभालेंगे महासचिव का दायित्व

राजीव मेहता फिलहाल चार साल तक भारतीय ओलंपिक संघ की कमान संभालेंगे। नियमों के मुताबिक अध्यक्ष पद पर लगातार 12 और महासचिव पद आठ साल तक कोई भी व्यक्ति काबिज रह सकता है। अगर उसे दोबारा पदाधिकारी बनना है तो चार साल का गैप देना होगा। साथ ही अधिकतम 70 वर्ष की उम्र तक पदाधिकारी बन सकते हैं।

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'जो जिम्मेदारी मिलने जा रही है उस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा। साथ ही, प्रदेश के खेल विकास में निश्चित रूप से प्रगति आएगी और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी। इसके अलावा जिन फेडरेशनों पर प्रतिबंध लगा हुआ है उनसे जल्द से जल्द यह प्रतिबंध हटाने का प्रयास किया जाएगा।

राजीव मेहता, अध्यक्ष उत्तराखंड ओलंपिक संघ

राज्य बॉक्सिंग संघ ने दी बधाई

राजीव मेहता के भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव बनना तय होने पर उत्तराखंड बॉक्सिंग संघ ने हर्ष जताया है। संघ के महासचिव डॉ. धर्मेद्र भट्ट ने कहा कि चुनाव के बाद राजीव मेहता को सम्मानित किया जाएगा।

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उत्तराखंड के मनस्वी 17 साल में बने इसरो के वैज्ञानिक

भले ही हर साल उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आ रही आपदा यहां के जनजीवन को प्रभावित कर रही हो, लेकिन ऐसी विपरीत परिस्थितियों में पहाड़ की प्रतिभाएं अपनी मेहनत और लगन के दम पर राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम दर्ज करा रही हैं।

रुद्रप्रयाग के दूरस्थ गांव जखोली (सिद्धसौड़) के मनस्वी भट्ट का चयन इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन) में वैज्ञानिक पद के लिए हुआ है। मनस्वी की सफलता पर क्षेत्र वासियों ने हर्ष व्यक्त किया है।

17 वर्षीय मनस्वी का चयन इस वर्ष जेईई मेन परीक्षा के आधार पर इसरो के लिए हुआ है। वर्तमान में वह केरल के त्रिवेंद्रम में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

मनस्वी के पिता राकेश भट्ट राजकीय प्राथमिक विद्यालय जखनोली में शिक्षक और माता ममता केंद्रीय विद्यालय ऋषिकेश में शिक्षिका के पद पर तैनात हैं।
[/img]
मनस्वी ने माता के साथ रहकर केंद्रीय विद्यालय से शिक्षा हासिल की है। वह अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देते हैं। कहते हैं कि उनके प्रोत्साहन से यह मुकाम हासिल किया है।

मनस्वी को अपने गांव से बेहद लगाव है। वह कहते हैँ कि पहाड़ का जीवन कठिन जरूर है, लेकिन यही दुश्वारियां और विषम परिस्थतियां पहाड़वासियों को काम करने का हौसला भी देती हैं।

यहां बता दे कि जखोली ब्लाक के कंडाली गांव के अनुराग बुटोला भी पिछले साल इसरो में चयनित हो चुके हैं। सिलगढ़ विकास समिति के महामंत्री ओपी बहुगुणा कहते हैं कि भले ही जखोली के सरकारी विद्यालयों की हालत बहुत खराब है। इसके बावजूद यहां के बच्चे अपने दम पर सफलता हासिल कर रहे हैं। (amar ujala)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अल्मोड़ा की हेमलता करेंगी एशियन गेम में शिरकत

उत्तर प्रदेश की बेस्ट बाक्सर रही अल्मोड़ा की हेमलता बगडवाल दक्षिण कोरिया के इंचियोन में 17वें एशियाई खेलों में इंडियन महिला मुक्केबाजी टीम में बतौर कोच हिस्सा लेंगी।

भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम का चयन
मुक्केबाजी प्रतियोगिता 19 सितंबर से चार अक्तूबर तक होनी है। हेमलता इन दिनों एशियाई खेलों के लिए चयनित इंडियन महिला मुक्केबाजी टीम को दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में प्रशिक्षण दे रही हैं। दिल्ली से हेमलता ने फोन पर बताया कि एनआईएस पटियाला में चयन ट्रायल में भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम का चयन कर लिया गया है।

इसमें एमसी मैरी काम (51 किग्रा), एल सरिता देवी (60 किग्रा), पूजा रानी (75 किग्रा) हैं। अल्मोड़ा स्टेडियम से खेल अपना करियर शुरू करने वाली लमगड़ा ब्लाक के दूरस्थ रणाऊं गांव निवासी चीफ फार्मेसिस्ट एमएस बगडवाल और कमला बगडवाल की बेटी हेमलता के नाम बाक्सिंग में कई कीर्तिमान हैं।

बतौर खिलाड़ी उन्होंने जहां यूपी की बेस्ट बॉक्सर का पुरस्कार जीता वहीं वर्ष 2004 में दिल्ली में हुए नेशनल बॉक्सिंग प्रतियोगिता में वह प्रथम रहीं थी। 2004 में जमशेदपुर में नेशनल बॅक्सिंग प्रतियोगिता में भाग लेने वाली उत्तराखंड टीम की कोच भी रहीं।

हेमलता ने बतौर टीम कोच वर्ष 2006 में दिल्ली में हुई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में इंडिया महिला बाक्सिंग टीम को विश्व में पहला स्थान दिलाया। 2007 में तुर्की, 2008 में एशिया, 2010 में चायना में हुई राष्ट्रीय प्रतियोगिता में उन्होंने महिला टीम को कई पदक दिलाए।

खासकर 2012 में मंगोलिया में हुई एशियन चैंपियनशिप में इंडियन टीम में शामिल स्टार मुक्केबाज एमसी मैरीकाम और एल सरिता देवी ने एक-एक स्वर्ण पदक, तीन सिल्वर मेडल जीते थे।

हेमलता कहती हैं उत्तराखंड में बाक्सिंग के काफी अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन खेल संसाधनों की कमी के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाते हैं। वह मानती हैं कि राज्य में खेलों को बढ़ावा मिले, इसके लिए खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। (source amar ujala)

 

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