Author Topic: उत्तराखण्ड के क्रांतिवीर-स्व० श्री विपिन चन्द्र त्रिपाठी/ Vipin Chandra Tripathi  (Read 55554 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गैरसैंण राजधानी क्यों और कैसे- स्व० विपिन चन्द्र त्रिपाठी जी के विचार
by उत्तराखण्ड की राजधानी-गैरसैंण 

उक्रांद के थिंक टैंक स्व० विपिन चन्द्र त्रिपाठी ने गैरसैण ही क्यों का तर्क देते हुए कहा था कि प्रस्तावित राजधानी स्थल गैरसैण, पाण्डुवाखाल से दीवालीखाल तक २५ किमी० लम्बाई एवं दूधातोली से नारायणबगड के ऊपर की चोटी तक २० कि०मी० की चौडाई क्षेत्र में फैला है जिसमें लगभग ३ हजार एकड यानि ६० हजार नाली वृक्षविहीन नजूल व बेनाप भूमि स्थित है। इसके अतिरिक्त भमराडीसैंण, नागचूलाखाल, पाण्डुवाखाल, रीठिया स्टेट सरीखे चारों ओर फैले खुबसूरत मैदान, बुग्याल स्थित हैं। यह पूरा क्षेत्र छोटी-बडी नौ पहाडियों व उनके बीच स्थित घाटियों में फैला है। अतः मध्य हिमालयी राज्यों में सर्वाधिक खूबसूरत राजधानी बनेगी। गैरसैण में राजधानी बनने से इसके चारों ओर के ५००० गांवों के विकास में भी इसका सीधा लाभ मिलेगा।

भूगर्भीय संरचना की दृश्टि से रियेक्टर स्केल पैमाने पर यह उत्तराखण्ड के अन्य जोनों से सबसे कम खतरे पर है। चारों ओर खूबसूरत वनाच्छादित क्षेत्र हैं। राजधानी निर्माण में पर्यावरण का ०.५ प्रतिषत से क्षति नहीं होगी।

 

स्व० विपिन चन्द्र त्रिपाठी ने लिखा है कि यदि राजधानी के चयन में तनिक भी भूल की गयी या राजनैतिक स्वार्थो के दबाव में गलत निर्णय लिया गया तो भविश्य में इसके गंभीर परिणाम होगे। १९७९ में उत्तराखण्ड क्रांति दल की स्थापना ही राज्य प्राप्ति हेतु हुई थी। अपनी स्थापना से यह दल एकमात्र क्षेत्रीय दल के रुप में उत्तराखण्ड राज्य के लिए संघर्श करता रहा है। उक्रांद के प्रयासों से तत्कालीन उत्तर प्रदेष सरकार ने उत्तराखण्ड राज्य निर्माण की संभावनाओं हेतु वर्श १९९२ में ६ सदस्यीय कैबिनेट समिति कौषिक समिति का गठन किया। उक्त सरकारी समिति ने अल्मोडा, पौडी, काषीपुर, लखनऊ में बैठकें कर उत्तराखण्ड के सांसदों, विधायकों, जिला पंचायत अध्यक्षों, ब्लाक प्रमुखों, बुद्धिजीवियों एवं आम जनता की राय, अभिमत, उत्तराखण्ड राज्य निर्माण एवं राजधानी के संदर्भ में लिया था तथा प्रस्तावित राज्य की राजधानी हेतु जनमत संग्रह करवाया था। कौषिक समिति द्वारा करवाये गये जनमत संग्रह में ६७ प्रतिषत से अधिक जनता ने गैरसैण- चन्द्रनगर जनपद चमोली को राजधानी के रुप में स्वीकार किया। बाद में उत्तर प्रदेष के तत्कालीन राज्यपाल श्री मोतीलाल बोरा द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी ने भी अपने व्यापक सर्वेक्षण के बाद गैरसैण क्षेत्र को राजधानी हेतु सर्वाधिक उपयुक्त पाया।

 

स्व० श्री विपिन चन्द्र त्रिपाठी ने दस्तावेज में लिखा है कि गैरसैण (चमोली) को राजधानी के रुप में चयनित करने हेतु उत्तराखण्ड की ७५ प्रतिषत से अधिक जनता ने अपनी सहमति दी है। उत्तराखण्ड में कार्यरत किसी भी राजनैतिक दल ने गैरसैण का विरोध नहीं किया है। पेषावर काण्ड के महानायक उत्तराखण्ड की धरती के सपूत वीर चन्द्र सिंह गढवाली का निरंतर यही प्रयास रहा कि दूधातोली से लेकर गैरसैंण के मध्य भावी उत्तराखण्ड राज्य की राजधानी स्थापित की जाय। जीवन के अन्तिम क्षणों में भी उस वीर सेनानी की यही अन्तिम इच्छा थी।

 

गैरसैण समूचे उत्तराखण्ड का केन्द्र बिन्दु है। उत्तराखण्ड के अन्तिम छोर से लेकर धारचूला, मुनस्यारी विकास खण्डों की अन्तिम सीमा से गैरसैण की दूरी लगभग बराबर है। कुमाऊॅ कमिष्नरी नैनीताल एवं गढवाल कमिष्नरी मुख्यालय पौडी से गैरसैण की दूरी समान है। उत्तराखण्ड के १३ जनपदों के जिला मुख्यालयों से गैरसैण तक बस द्वारा आसानी से ६ से १० घण्टों में सीधे गैरसैण पहुंचा जा सकता है।

 

यहीं नहीं कर्णप्रयाग से रामनगर तक तथा रानीखेत तक मोटर मार्ग का चौडीकरण करने के पष्चात यह दूरी और कम समय में पूरी की जा सकती है। जनपद पिथौरागढ के धारचूला मुनस्यारी से प्रस्तावित गरूड- धौणाई- तडागताल मोटर मार्ग के पूर्ण हो जाने पर इस क्षेत्र से गैरसैण की दूरी लगभग १०० किमी० कम हो जायेगी। हरिद्वार -कोटद्वार- रामनगर बीच के प्रस्तावित मोटर मार्ग के बन जाने से उत्तरकाषी, टिहरी व देहरादून जनपदों से भी गैरसैंण की दूरी ८० से १०० कि०मी० कम हो जायेगी। उत्तरकाषी, टिहरी से वाया श्रीनगर, रुद्रप्रयाग होते हुए गैरसैण की दूरी मात्र ८ से १० घण्टों में आसानी से तय की जाती है। पौडी कमिष्नरी मुख्यालय से गैरसैण की दूरी अभी मात्र ६ से ७ घण्टे की है। यदि पौडी से मराडीसैण-धौरसैण का निर्माण कर दिया जाए तो यह दूरी और कम हो जायेगी।

 

गैरसैण हरिद्वार-बद्रीनाथ मोटर मार्ग पर कर्णप्रयाग से मात्र ४६ किमी० की दूरी पर पक्के मोटर मार्ग से जुडा है। पिथौरागढ जनपद से वाया थल-बागेष्वर-गरूड-ग्वालदम होते हुए सिमली से गैरसैण पक्के मोटर मार्ग से जुडा है। अल्मोडा-सोमेष्वर-द्वाराहाट होते हुए गैरसैण पक्के मोटर मार्ग से सम्बद्ध है। रूद्रपुर-हल्द्वानी- रानीखेत-द्वाराहाट-चौखुटिया होते हुए गैरसैण सीधे मोटर मार्ग से जुडा है। काषीपुर-रामनगर-भतरौंजखान भिकियासैण होते हुए वाया चौखुटिया गैरसैण तक पक्के मोटर मार्ग से सम्बद्ध है। इस तरह गैरसैण चारों ओर से मोटर मार्गो से जुडा है।

 

गैरसैण -चन्द्रनगर- में राजधानी निर्माण पर आने वाला वित्तीय भार

 

उत्तराखड की जनता की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए यदि गैरसैण में राजधानी का निर्माण किया जाता है तो वित्तीय भार इस प्रकार होगा।

१- विधानसभा निर्माण- २५ करोड, २- सचिवालय निर्माण- २० करोड, ३-मुख्यमंत्री व मंत्रियों के आवास- ५ करोड ४-७१ विधायकों के आवास- १०.६५ करोड, ५-प्रमुख सचिव, सचिव, अपर सचिव, संयुक्त सचिव, उपसचिव कुल १५० सचिव’ २२.५० करोड, ६- सरकारी स्टाफ क्वाटर्स- ५० करोड, ७- राज्यपाल भवन- ध्यान रहे कि गैरसैण से ८ से १० किमी० की हवाई दूरी पर नैनीताल में राज्यपाल भवन स्थित है- १ करोड, ८- विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों के आवास- १५ करोड, ९- विभागाध्यक्षों का स्टाफ- १० करोड, १०- पुलिस विभाग- २१ करोड, ११- राजधानी में बाजार व्यवस्था- १० करोड, १२- हैलीपैड व्यवस्था- ०.५० करोड, १३- १० हजार आबादी पर पावर हाऊस- २५ करोड, १४- पिंडर नदी, नयार, रामगंगा किसी एक से पम्पिंग पेयजल योजना- नोट- वर्तमान में गैरसैण के चारों ओर पर्याप्त पानी उपलब्ध है- ५० करोड, १५- भूमि व्यवस्था- ३० करोड- नोट- गैरसैण के चारों ओर स्थित ९ पहाडयों के मध्य ३००० तीन हजार एकड से अधिक नजूल व भारत सरकार की वृक्ष विहीन भूमि है, १००० एकड से अधिक भूमि पूर्व चाय बागानों व स्टेटों की है, भमराडी सैण से नागचूलाखाल, रीठिया स्टेट से दिवालीखाल व गैरसैण से पाण्डुवाखाल तक कृशकों की सहमति से ५०० एकड भूमि क्रय की जा सकती है।

१६- यातायात व्यवस्था- गैरसैण से कर्णप्रयाग ५० किमी०- १० करोड, गैरसैण से रानीखेत- ८० किमी०- १६ करोड, गैरसैण से ग्वालदम-गरूड- १०० किमी०- २० करोड, गैरसैण से रामनगर १२० किमी०- २४ करोड, रामनगर-कोटद्वार- ३५ करोड, राजधानी क्षेत्र में २०० किमी० नई सडकों का निर्माण- ७० करोड

१७- राजधानी क्षेत्र में राजकीय महाविद्यालयों व अन्य षिक्षा संस्थानों की स्थापना- १० करोड

१८- पर्यटक आवास गृहों, विश्राम भवनों, परिवहन व्यवस्था हेतु बस स्टेषनों, पार्को, खेल मैदानों आदि की व्यवस्था हेतु- २५ करोड, १९- राजधानी, सचिवालय व अन्य कार्योलयों की साज सज्जा व फर्नीचर आदि हेतु व्यय- २५ करोड

इस तरह उक्रांद के थिंक टैंक श्री विपिन चन्द्र त्रिपाठी ने कुल पांच सौ पचास करोड पैसठ लाख अनुमानित व्यय का खाका खींच कर एक आदर्ष व सुविधा सम्पन्न राजधानी का सपना देखा था।

स्व० विपिन चन्द्र त्रिपाठी

 

पंकज सिंह महर

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गत वर्षों की तरह इस साल भी हमारी संस्था क्रियेटिव उत्तराखण्ड-म्यर पहाड़ द्वारा द्वाराहाट में पुण्य तिथि मनाई जा रही है, आप सभी को भी इस कार्यक्रम से जोड़ने का हमारा प्रयास।


कार्यक्रम का शुभारम्भ


पंकज सिंह महर

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पंकज सिंह महर

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जुलूस में उपस्थित जनसमुदाय




विनोद सिंह गढ़िया

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उत्तराखण्ड के क्रान्तिवीर स्व० विपिन चन्द्र त्रिपाठी को उनकी पुण्य तिथि पर 'मेरा पहाड़ डॉट कॉम नेटवर्क' अपनी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुये कृतज्ञतापूर्वक स्मरण के साथ उनके आदर्शों और विचारों पर चलने का संकल्प लेता है।


पंकज सिंह महर

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पहाड़ के लोकगीतों की एक परम्परा यह भी है कि यह समसामयिक विषयों पर भी बनाये-गाये जाते हैं। आजादी का आन्दोलन हो या उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन, लोकगीत इन आन्दोलनों की सशक्त आवाज बने।
लेकिन इन गीतों ने गांधी के अलावा किसी को अपने में समाहित नहीं किया, एक लम्बी श्रृंखला के बाद इस बार स्याल्दे बिखौती के मेले में उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के पुरोधा स्व० विपिन चन्द्र त्रिपाठी को एक झोड़ा समर्पित किया गया......आखिरकार इसने सबित किया कि जमीन पर काम करने वाले को जनता कभी विस्मृत नहीं करती। उत्तराखण्ड के राजनीतिक हालातों पर व्यंग्य करता और विपिन दा को याद करता झोड़ा......
बीजेपी हैगे सटबटुवा, कांग्रेस है गै जालि,
यो पार्टिन ले करि हालिछ्य उत्तराखण्ड खालि,
सुख पड़ि रौ सारा पहाड़ा, पाणि लिजी परसड़ी,
विपिना तूले राज्य बनायो, खुशि हो गया हम,
कुर्सी में बैठ्या चोर-चकारा, आब कि करनूं हमि,
तेरी अमर काया विपिना, याद धरूंला हमि।

 

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