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Rhododendron(Buransh) The Famous Flower of Uttarakhand - बुरांश

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Rhododendron, Binsar

पंकज सिंह महर:
बुरांस मध्यम ऊँचाई का सदापर्णी वृक्ष है। यह हिमालय क्षेत्र से लगभग १५०० मीटर से ३६०० मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। इसकी पत्तियाँ मोटी एवं पुष्प घंटी के आकार के लाल रंग के होते हैं। मार्च-अप्रैल में जब इस वृक्ष में पुष्प खिलते हैं तब यह अत्यन्त शोभावान दिखता है। इसके पुष्प औषधीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं जिनका प्रयोग कृषि यन्त्रों के हैन्डल बनाने तथा ईंधन के रुप में करते हैं। बुरांस पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष वृक्ष हैं जिसकी प्रजाति अन्यत्र नहीं पाई जाती है।

      यह उत्तराखण्ड का राजकीय वृ्क्ष भी है।

पंकज सिंह महर:

Devbhoomi,Uttarakhand:
गढ़वाल-सौंदर्य, प्रणय और जीवंतता की क्रीड़ाभूमि है। प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ यहाँ का मानवीय सौंदर्य भी उच्च एवं प्रभावी कोटि का है। गढ़वाली गीतों व नृत्य-गीतों में मानवीय रूप-सौंदर्य तथा या रमणीक प्राकृतिक ऐश्वर्य बिखरा हुआ है। जैसा इस झुमैलो नामक नृत्य-गीत में वर्णित है कि एक ओर लयेड़ी, लया सरसों, राडौड़ी या राड़ा पुष्प विकसित हो गए हैं, दूसरी ओर बुरांस अपनी अरुणिमा आभा में वन-वृक्षों को डोलियों की भाँति सजाने लगा है-

फूलीक ऐ मैंने झमैलो लयेड़ी राडोड़ी झुमैलो
नीं गंधा बुरांस झुमैलो डोला सी गच्छैने झुमैलो

हिमालय हिम की शीतल पवन और वन के वृक्षों के आडू, घिंघारू, बांज, बुरांस, साकिना इत्यादि वृक्षों में पुष्पोद्भव देखकर मनरूपी मयूर का नृत्य हेतु विवश होना स्वाभाविक ही है। जैसा इस मयूर नृत्य-गीत से स्पष्ट है-



हैंयुचलि डांड्यूं की चली हिवांली कांकोरा
रंगम तुब्हे, नाचण लगे मेरा मन कू मोर
आरू, घिंगारू, बांज, बुरांस
साकिनी झका झोर

बसंत उमंग, उल्लास व हास्य का पर्व है। इस रमणीय काल में गढ़वाल की प्राकृतिक सुषमा का अपना महत्व है। इसके आगमन से वन-वृक्षों की कमनीयता तथा कुसुमों का मनोमुग्धकारी सौंदर्य मुखरित हो जाता है। पुष्पोद्भव के इस रम्य अवसर पर सभी ह्रदयों में चेतना, स्फूर्ति एवं उल्लास का स्वतः संचरण हो जाता है। इस समय न केवल मानव अपितु प्रकृति का रोम-रोम प्रफुल्लित हो उठता है-

Devbhoomi,Uttarakhand:
बुरांस मध्यम ऊँचाई का सदापर्णी वृक्ष है। यह हिमालय क्षेत्र से लगभग १५०० मीटर से ३६०० मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। इसकी पत्तियाँ मोटी एवं पुष्प घंटी के आकार के लाल रंग के होते हैं। मार्च-अप्रैल में जब इस वृक्ष में पुष्प खिलते हैं तब यह अत्यन्त शोभावान दिखता है। इसके पुष्प औषधीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं जिनका प्रयोग कृषि यन्त्रों के हैन्डल बनाने तथा ईंधन के रुप में करते हैं। बुरांस पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष वृक्ष हैं जिसकी प्रजाति अन्यत्र नहीं पाई जाती है।

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