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सत्तू, जौक बड़ी, पूरनपोली , मालपुआ
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चरक संहितौ सर्व प्रथम  गढ़वळि  अनुवाद   
 खंड - १  सूत्रस्थानम , 27th  सत्ताइसवां  अध्याय   ( अन्नपान विधि   अध्याय   )   पद   २६१ बिटेन   तक
  अनुवाद भाग -  ३३४
गढ़वाळिम  सर्वाधिक पढ़े  जण  वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य  भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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      !!!  म्यार गुरु  श्री व बडाश्री  स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं  समर्पित !!!
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सत्तू वायुकारक, रुखो , पुष्कल मल, उतपन्नकरण  वळ।  वायु क अनुलोमन, पीण पर त्वरित तृप्त करंदेर, त्वरित बलदायी हूंद।  हेमंत धान्य से बण्यु  सत्तू मधुर ,लघु शीतल हूंदन।  यी संग्राही , रक्तपित्त , तृष्णा , वमन , अर  जौर  नाशी हूंदन।  २६१- २६२। 
जौक पूड़ा , जौक बड़ी, भुन्यां जौक चौंळ ,  यी उदावर्च , प्रतिश्याय , प्रमेह , अर गौळs  रोग  मिठांद ।  भुन्यां  जौ लेखन अर कफ आदि उखाडन वळ  हूंदन।  सूखा हूण से तीस बढ़ांद।  विष्टम्भी हूण से देर म पचद।  अंकुरित धान्य , शष्कुली (चौंळ  आटुम तिल मिलैक पकाण  से  ) , मधुक्रोड़ा  ( चौंळ  पकाइक  पीठ मध्य शहद धौरी ) , सपिण्डिका क्रोड़ा (पूरनपोली ), पूड़े मालपूआ , यी गुरु अर पौष्टिक हून्दन। २६३ -२६५।

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*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी  थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ  ३६०
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2022
शेष अग्वाड़ी  फाड़ीम ,चरक संहिता कु  एकमात्र  विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता  क गढवाली अनुवाद , चरक संहिता म   रोग निदान , आयुर्वेदम   रोग निदान  , चरक संहिता क्वाथ निर्माण गढवाली  , चरक संहिता का प्रमाणिक गढ़वाली अनुवाद , हिमालयी लेखक द्वारा चरक संहिता अनुवाद , जसपुर (द्वारीखाल ) वाले का चरक संहिता अनुवाद , आधुनिक गढ़वाली गद्य उदाहरण, गढ़वाली में अनुदित साहित्य लक्षण व चरित्र उदाहरण   , गढ़वाली गद्य का चरित्र , लक्षण , गढ़वाली गद्य में हिंदी , उर्दू , विदेशी शब्द, गढ़वाली गद्य परम्परा में अनुवाद , सरल भाषा में आयुर्वेद समझाना।  आयुर्वेद के सिद्धांत गढ़वाली भाषा में ; आयुर्वेद सिद्धांत उत्तराखंडी भाषा में, गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद तथ्य , गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद सिद्धांत व स्वास्थ्य लाभ

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कम्बोडिया क अंकोरवाट मंदिर
सरोज शर्मा क जनप्रिय लेखन श्रंखला
अंकोरवाट (खमेर भाषा: कम्बोडिया म एक मंदिर परिसर और दुनिया क सबसे बड़ धार्मिक स्मारक च, 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्ग मीटर, 402 एकड़) क मपण वल एक साइट म ई एक हिन्दू मंदिर च।ई कम्बोडिया क अंकोर मा च जैक पुरण नौ यशोधपुर छा, ऐकु निर्माण सूरयवर्धन द्वितीय (1112-53 ई ) क शासनकाल म ह्वाई, ई हिन्दू मंदिर च। मीकांग नदी क किनरा सिमरिप शहर म बण्यू ई मंदिर आज भि संसार क सबसे बड़ मंदिर च। जु सैकड़ो वर्ग मील म फैलयूं च,
राष्ट्र खुण सम्मान क प्रतीक ऐ मंदिर थैं कम्बोडिया क राष्ट्र ध्वज म भि स्थान दियै ग्या। ई मंदिर मेरू पर्वत कु भी प्रतीक च,ऐकि दिवारों मा भारतीय हिन्दू धर्म ग्रन्थों का प्रसंगो क भि चित्रण च,यूं प्रसंगों मा सुन्दर अप्सराओं क चित्रण च,देवताओं और असुरों क बीच समुद्रमंथन क दृष्य भि छन,
विश्व क सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों मा एक च, साथ हि मंदिर यूनेस्को क विश्व धरोहर स्थलों म एक च,पर्यटक यख केवल वास्तुशास्त्र क अनुपम सौंदर्य हि द्यखण कु नि अंदिन बल्कि सूर्योदय और सूर्यास्त देखणा कु भि अंदिन, सनातनी लोग ऐ थैं पवित्र तीर्थ स्थान मनंदिन।
ग्कोरथोम और अंग्कोरवात प्राचीन कंबुज कि राजधानी और वैका मंदिरों का भग्नावशेष क विस्तार। अंग्कोरधोम और अंग्कोरवात सुदूरपूर्व क हिन्दचीन म प्राचीन भारतीय संस्कृति का अवशेष छन। ईसवी से सदियों पैल सुदूर पूर्व क देशों मा प्रवासी भारतीयो का अनेक उपनिवेश बसयां छा, हिन्दचीन, सुवर्ण दीप, वनदीप, मनाया,आदि भारतीयो न कालांतर मा अनेक राज्यों कि स्थापना कैर, वर्तमान कम्बोडिया क उत्तरी भाग म स्थित कंबुज शब्द से पता चलद कुछ विद्वान भारत कि पश्चिमोत्तर सीमा पर बसण वला कम्बोजों क संबंध भि ई प्राचीन भारतीय उपनिवेश से बतंदीन, अनुश्रुति क अनुसार ऐ राज्य क संस्थापक कौंडिल्य ब्राह्मण छा,जौंकु नौ एक संस्कृत अभिलेख मा मिल,नवीं शताब्दि ईसवी मा जयवर्मा तृतीय कंबुज क राज्य ह्वाई और वैल ही लगभग 860ईसवी मा अंग्कोरथोम (थोम क अर्थ राजधानी च) नामक अपणि राजधानी कि नींव डाल, राजधानी 40 वर्षो तक बनणी रै और 900 ई म तैयार ह्वै, वैक निर्माण क संबंध मा अनेक किवदंतियां प्रचलित छन।
पश्चिम का सीमावर्ती थाई लोग पैल कंबुज का समेर साम्राज्य क अधीन छा पर 14वीं सदी क मध्य ऊंन कंबुज पर आक्रमण शुरू कैर द्या और अंग्कोरथोम थैं बार बार जीत और लूट ।तब लाचार ह्वैकि ख्मेरों थैं अपण राजधानी छोडण पव्ड़,फिर धीरे धीरे बांस क जंगलो न नगर थैं सभ्य जगत से अलग कैर द्या, और वैकि सत्ता अंधकार म विलीन ह्वै ग्या। नगर भी टूटिक खण्डहर ह्वै ग्या। 19 वी सदी क अन्त म फ्रांसिसी वैज्ञानिक न पांच दिनो कि नौका यात्रा क बाद वै नगर और खंडहरौ क पुनरुध्दार कैर, नगर तोन्ले सांप नौ क महान सरोवर क किनर उत्तर कि ओर सदियों से विरान पव्ड़यूं छा जख पास ही दूसर तट पर विशाल मंदिरो का भग्नावेश खड़ा छा।
आज अंग्कोरथोम एक विशाल नगर खण्डहर च, वै का चारों ओर 330 फुट चौड़ी खाई च जु सदा पाणि न भंवरी रैंद छै। नगर और खाई क बीच विशाल वर्गाकार नगर कि रक्षा करदी छै।प्राचीर म अनेक भव्य और विशाल महाद्वार बणया छन। महाद्वारो क ऊंचा शिखरों थैं त्रिशीर्ष दिग्गज अपण मस्तक म उठये खड़ा छन, विभिन्न द्वारो से पांच विभिन्न राजपथ नगर क मध्य तक पौंछदिन।
विभिन्न आकृतियो वला सरोवर क खण्डहर आज भि निर्माणकर्ता कि प्रशस्ति गंदिन, नगर क बीचोंबीच शिव क विशाल मंदिर च जैका तीन भाग छन, प्रत्येक भाग मा एक ऊंचा शिखर च,मध्य शिखर कि ऊंचै लगभग 150 फुट च,चारों तरफ शिखर बणया छन जु संख्या म 50 छन,
यूं शिखरों क चारो तरफ शिव कि समाधिस्थ मूर्तियां स्थापित छन, मंदिर कि विशालता और निर्माण कला आश्चर्यजनक च, दीवारो थैं पशु पक्षी,पुष्प, नृत्यांगनाओ जन विभिन्न आकृतियो से अलंकृत कियै ग्या, ई मंदिर विश्व वास्तुकला की आश्चर्यजनक वस्तु च, और भारत का प्राचीन पौराणिक मंदिर क अवशेष म एक च,अंग्कोरथोम क मंदिर भवन और राजपथ सरोवर नगर कि समृद्धि क द्योतक च। 12 वी शताब्दि क लगभग सूर्यवर्मा द्वितीय न अंग्कोरथोम म विष्णु क एक भव्य मंदिर बणै मंदिर कि रक्षा चतुर्दिक खाई करद जैकि चौड़ाई लगभग 700 फुट च, दूर बटिक ई खाई झील जन लगद, मंदिर क पश्चिम कि ओर खाई पार कनक पुल बण्यू च,पुल पार मंदिर म प्रवेश खुण भव्य द्वार निर्मित च, जु 1,000 फुट चौड़ च, ऐकि दीवारों मा रामायण कि मूर्तियां अंकित छन, ऐसे प्रकट च कि अंग्कोरथोम कंबुज देश कि राजधानी छाई, जैमा शिव, शक्ति गणेश आदि देवताओ की पूजा क प्रचलन छा, मंदिरो कि निर्माण कला गुप्त कला से मिलद, अंकोरवाट क मंदिरो तोरणद्वारो और शिखरों का अलंकरण मा गुप्त कला क प्रतिबिंब च,एक अभिलेख से पता चलद यशोधपुर (अंग्कोरथोम क पूर्व नाम) क संस्थापक नरेश यशोवर्मा अर्जुन भीम जन वीर सुश्रुत जन विद्वान और शिल्प भाषा लिपी, नृत्य कला म पारंगत छा ,वैन अंग्कोरथोम और अंग्कोरवात का अतिरिक्त कंबुज क अनेक राज्यों मा आश्रम स्थापित करिन, जख रामायण महाभारत, पुराण और अन्य भारतीय ग्रन्थो क अध्ययन अध्यापन हूंद छाई, अंकोरवाट पर हिन्दू मंदिरो क बाद बौद्ध धर्म क भि गहरू प्रभाव प्वाड़ ।कालांतर म यख बौद्ध भिक्षुओ न यख निवास भि कैर, 20 वी सदी म जब यख खुदै ह्वै त वूंसे ख्मेरो क धार्मिक विश्वासो, कलाकृतियो और भारतीय परंपराओ कि प्रवासगत परिस्थितयों म प्रकाश प्वाड़,अंग्कोरवात और अंग्कोरथोम अपण महलों और भवनो मंदिरो का खण्डहरों क कारण संसार शीर्षस्थ क्षेत्र बण गैं, विश्व का समस्त भागों बटिक हजारों-हजार पर्यटक यख अंदिन

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Judge (or CEO) must have Regional Culture Knowledge
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Value of Regional or Community Traditions in Judiciary
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Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer -37   
Judiciary System in the Organization /Country

Guidelines for Chief Officers (CEO) Series –446       
       Bhishma Kukreti (Marketing Strategist)
s= आधी –अ    
देशजातिकुलानां च ये धर्मा: प्राक् प्रवार्तिता: II
तथैव ते पालनीया: प्रजा प्रभुभ्यतेsन्यथा I
.
अनेन कर्मणा नैते प्रायश्चित्तदमार्हकाः I
 The duty bound King should execute its duty by carefully studying the customs followed in various regions as mentioned in Shastra (Here for this article, the Constitution) as well as those customs or traditions practiced by the caste, villages, corporations, and families or communities.
  The traditions that already are in practice in a country, region, caste or community should be maintained in the same ways otherwise the citizens will get irritated.
For example, the Brahmins of the South marry the daughter of their maternal uncle but not the people of the North.
In Madhyadesa, the people are beef eaters, men eat flesh and women have intercourse with other men than their husbands too.
In the North, women take alcoholic drinks and are touchable (mating ) in the mensuration period
The Khas community has a tradition of marrying the widows of brothers or Kin.
The dutiful King should not punish those people because their customers demand as per their laws.



(Shukraniti, Raj dharma Nirupan or “The Duties of a King” –46-49    )
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Reference:
Shukraniti, Manoj Pocket Books, Delhi pp258
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2021
Strategies for Executive for marketing warfare
Tactics for the Chief Executive Officers responsible for Marketing
Approaches   for the Chief Executive Officers responsible for Brand Image
Strategies for the Chief Executive Officers responsible for winning Competitors
Immutable Strategic Formulas for Chief Executive Officer
(CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for successful Chief executive Officer
Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer   



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IPad कन उपयोग करण?

(चबोड़ाचार्य  क हास्य व्यंग्य शृंखला )
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गढ़वळिम सर्वाधिक व्यंग्य रचयिता - भीष्म कुकरेती चबोड़ाचार्य'
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अब जब iPad  आयी तो अवश्य इ  चलाण बि आण चयेंद।  तो आज सीखे जाय iPad  कन  चलाण .
कार्य नंबर १ - iPad तैं  ऑन  कारो।  बटन  क्वा  च ? सब बटनों तैं परखों क्वी  ना क्वी  त  होलु  इ  अर  कुछ समय उपरान्त ढबे जैल्या  कि  कु बटन क्यांक  च।
अब जब तुमर  समज म ऐगे कि को बटन क्या च तो तुमर मष्तिष्क म प्रश्न आलो बल माउस कख च ?
मतलब ? माउस ? अरे  भै ! iPad म माउस साउस कुछ नि  हूंद।  जन स्मार्ट फोन म माउस क स्थान पर टच स्क्रीन हूंद तनि iPad म बि।  तीर  (arrow) चलाण  सिखण  अर्थात iPad चलाण सिखण। हाँ एक दैं सीख जैल त  फिर सब कुछ सरल।  जनकि जड्डू म ठंडी ढंडी म पैल पािल कुद्दी मरणम च्याळ पड़दन पर कुद्दि मारणों बाद ठंड उंड सब समाप्त ह्वे जांद तनि iPad चलाण सिखणो  उपरान्त सब कुछ सरल ह्वे जांद।
हां  हां iPad भौत  कुछ कौर  सकुद।  तुम तैं इंटरनेट से जोड़ सकुद स्यु iPad. इंटरनेट मिलण  अर्थात ऐपल कु  सफारी।  नीलो बटन दबाओ तो सफारी खुल जाल अर्थात तुमर  इंटरनेट की दुनिया म प्रवेश ह्वे गे ।
हां हां iPadम पढे  बि सक्यांद।  बस द्वी दैं स्क्रीन पर खट खट  (जोर से ना हां ) कारो तो  स्कीन बड़ी ह्वे जाली अर सब अक्षर बड़ा बड़ा ह्वे जाला।  सिखण म देर लगदी अन्यथा iPad चलाण भौत सरल हूंद। पूष क मैना ढंडी म कुद्दि  मरण  से पैल  जड्डू लगद  बाद म कुद्दि मार द्यावो तो जड्डू गायब ह्वे जांद।  तनि iPad चलाण सरल ह्वे  जांद।
iPad भौत  सा ICon बटन छन जनकि app अर्थात application . पर चिंता नि  कारो धीरे धीरे बिंगणम ऐ  जालो कि app  क्यांकुण  च।  iPad खरीदणो  अर्थ हूंद धैर्य नि खूण।
धीरज धारो अबि  भौत  कुछ सिखणो कुण  च।
लिफाफों चित्र क अर्थ च तुमर संदेश या तुमकुण  रैबार।  तुमर ईमेल पता अर पासवर्ड सेटिंग म हूंद।  सेटिंग setting  क्या च ? यु एक जटिल जाळ च।  वास्तव म जब तुम दुकानम iPad खरीददा  तो तुम तै पूछी सेल्समैन setting  सेट कौर दींद  किन्तु तुम iPad खरीदणो  पुळ्याट म याद नि  रखदा कि  तुमन setting म क्या सेट करवाई।
हां हां  तुम संदेश भेज सकदां  अर  रैबार पढ़  सकदां।  संदेश लिखणो कीबोर्ड ? तुम बि ना ? बिजली क  आटा  चक्की जग म घट , घराट या जंदरौ लगाणा छा।  अंगुळी फिराण सीखो अर  स्वयमेव इ  की बोर्ड समिण  ऐ  जालो।  आज ना भोळ स्वयं सीख जैल्या।  धीरज अर  धैर्य राखो .
कैमरा बि  च ? हैं  तुम बि  ना ? चुनाव क ऋतू ह्वावो अर  राजनैतिक दल यि   फ्री , सि  फ्री  की छ्वीं  नि  लगाल ? जब ५०० रुपया क मोबाइलम कैमरा च तो iPad म कैमरा नि  होलु।  बस कैमरा  Icon दबावों अर
कैमरा उपस्थित ह्वे  जालो।  सब कुछ क्लियर ह्वे जालो एक बार सीख ल्यावो कि iPad कनो  उपयोग करण।
हाँ हां  iPad म facebook , twitter , संगीत (music ) सब कुछ च।
Games ? हां  हां  गेम्स app बि  छन।  जुवा खिलणौ उयार iPad सिखांद च अर तुम तै ना सै नई पौध तै  जुआरी निर्माण म iPad भौत सहायता करदो। 
Siri ? हां  Siri  बि  च ज्वा  बुल्दि = में आइ  हेल्प यू ?
पेन्सिल - हाँ हां  मिल जाली।
शेष बथ  दस  मिनट  म नि  सिखाये सक्यांद। iPad उपयोग कारो बार बार उपयोग कारो सब कुछ सीख जैल्या।
हैं  ? चीनी स्मार्ट फोन अर  iPad म क्या अंतर च ? उन  यि प्रश्न लोअर लोअर क्लास  मेंटलिटी वळ करदो इख तलक कि लोअर मिडल क्लास वळ बि इ प्रश्न नि करद कि iPad अर  चीनी स्मार्ट फोन म क्या अंतर हूंद।
तुम जन लुइस फिलिप्स या रियर रैबिट कमीज अर  फुटपाथ म रेडीमेड कमीज म अंतर नि पुछदा तनि iPad अर  चीनी स्मार्ट फोन म अंतर नि  पुछण चयेंद।  जन  गूंगा अमृत अर कड़ो क्वाथ  क स्वाद अंतर  नि  बतै  सकद  तनि iPad अर  चीनी स्मार्ट फोन म अंतर नि  बताये सकेंद।


Cpyright@ Bhishma  Kukreti, 
व्यंग्य म कथा काल्पनिक च।   हास्य श्रृंखला आगे भी जारी रहेगी

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अल्मोड़ा बजार के भवन (संख्या  १६ , संदर्भ सं ३०  ) के छाज की  काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन
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Traditional House Wood Carving art of, Almora, Kumaon   
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, के भवन  में ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )   कुमाऊं की    ' काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण, उत्कीर्णन - 

प्रस्तुत अल्मोड़ा बजार के भवन संख्या १६ (संदर्भ ३०  )  के छाज उत्तम व उत्कृष्ट प्रकार का छाज (झरोखा )  हैं । 
छज्जों में निम्न स्तर पर काष्ठ कला की चर्चा होगी
१ स्तम्भों में काश्त कला
२- छाजों के भिन्न भिन्न ढक्क्नों में काष्ठ कला.
३ भिन्न दो प्रलर के छाज तल स्तर के ढक्क्नों में काष्ठ कला
४ -जालीदार ढक्क्नों में काष्ठ कला
५- तोरणम
स्तम्भ दो प्रकार के हैं।  एक सपाट कड़ियों से निर्मित स्तम्भ।  और कुम्भी युक्त स्तम्भ।  कुम्भियाँ अधोगामी पद्म पुष्प दल , ड्यूल व उर्घ्वगामी पद्म पुष्प से निर्मित हुए हैं।
छाजों के ढक्क्न सपाट भी हैं।  कुछ ढक्क्न जालीदार छेदयुक्त हैं।  कुछ ढक्क्न में XX  नुमा कला कटी हुयी है।  एक दो घ्ककनों में हुक्के की ननई  जैसे आकृतियां स्थापित हुयी हैं। 
तोरणम छाजों के ढक्क्नों के ऊपरी भागों में हैं।  तोरणम के स्कंधों  में बेल बूटों का उत्कीर्णन हुआ है। 
अल्मोड़ा बजार के  प्रस्तुत भवन सह्य 16  (संदर्भ सं 30  ) के छाज उत्कृष्ट व आकर्षक प्रकार की हैं व कला में अद्वितीय कला है।  कला में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण तो दृष्टिगोचर हो रही है किन्तु  मानवीय  अलंकरण के दर्शन नहीं होते हैं।  तोरणम में भी कोई देव मूर्ती नहीं लगी हैं। 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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सूचना व फोटो आभार :   गजेंद्र बिष्ट संग्रह

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 बनि  बनि यूथ (रस्सा , रस , सूप ):  गुण व चरित्र
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चरक संहितौ सर्व प्रथम  गढ़वळि  अनुवाद   
 खंड - १  सूत्रस्थानम , 27th  सत्ताइसवां  अध्याय   ( अन्नपान विधि   अध्याय   )   पद २५६    बिटेन  २६०  तक
  अनुवाद भाग -३३३   
गढ़वाळिम  सर्वाधिक पढ़े  जण  वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य  भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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      !!!  म्यार गुरु  श्री व बडाश्री  स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं  समर्पित !!!
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भली प्रकार से धुयां , मांड गड्यां , गळायां  चौंळ  (भात )  लघु हूंदन।  गळयां अर ठंड भात गुरु हूंद।  कृत्रिम विष अर कफजन्य रोगम भून्युं  चौंळुं भात हितकारी हूंद।  पूर  नि  धुयां , बिन मांड उतार्यूं  ,मांस , शाक , वसा , तेल , घी , मज्जा , अर फल मिलैक चौंळ बलकारक , संतर्पक , हृदय प्रिय , गुरु , अर पौष्टिक हूंद।  इनि उड़द , तिल , दूध , मूंग क योग से बणयूं  भात बि गुणकारी हूंद।
जौ  थोड़ा पकायुं  गुरु , रुखो , वायुकारी व रेचक हूंद।  भाप देकि त्यार वस्तु , जु उड़द , मूंग , ग्युं  , जौ  क पीठ से बणये जाव त  जै  बि वस्तु से पकाये जावन  स्यू  इ गुण  वे अंतिम वस्तु म हूंदन अर्थात अवयव का गन ही अंतिम वस्तु म गुण  हूंदन।
  बिन धन्य मसले से संस्कारित नि  होयुं  यूथ  , मसलाअओं से संकरित यूथ , पतळो अर मांस से संस्कारित यूथ , मांस रस , खट्टी दाल /खट्टा सूप , यी उत्तरोत्तर भारी छन।  तनुमांस रस से संस्कारित , मांस रस भारी च।  अमलसूप से अनअम्ल रस भारी च।  २५६ -२६०। 


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*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी  थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ   ३५९ -३६०
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2022
शेष अग्वाड़ी  फाड़ीम ,चरक संहिता कु  एकमात्र  विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता  क गढवाली अनुवाद , चरक संहिता म   रोग निदान , आयुर्वेदम   रोग निदान  , चरक संहिता क्वाथ निर्माण गढवाली  , चरक संहिता का प्रमाणिक गढ़वाली अनुवाद , हिमालयी लेखक द्वारा चरक संहिता अनुवाद , जसपुर (द्वारीखाल ) वाले का चरक संहिता अनुवाद , आधुनिक गढ़वाली गद्य उदाहरण, गढ़वाली में अनुदित साहित्य लक्षण व चरित्र उदाहरण   , गढ़वाली गद्य का चरित्र , लक्षण , गढ़वाली गद्य में हिंदी , उर्दू , विदेशी शब्द, गढ़वाली गद्य परम्परा में अनुवाद , सरल भाषा में आयुर्वेद समझाना।  आयुर्वेद के सिद्धांत गढ़वाली भाषा में ; आयुर्वेद सिद्धांत उत्तराखंडी भाषा में, गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद तथ्य , गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद सिद्धांत व स्वास्थ्य लाभ

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देहरादून क मानक सिद्ध मंदिर
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सरोज शर्मा क जनप्रिय लेखन श्रंखला
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मानक सिद्ध बाबा सहसपुर ब्लाक क शिमला बायपास रोड म कारबारी ग्रांट म स्थित च,
कारबारी ग्रांट कभि ठाकुर दास क जमींदारा छा,जौंल ई जमींदारा डुमराव स्टेट का रामारण विजय सिंह थैं बेच द्या, स्थानीय निवासी अमर बहादुर शाही बतदंन कि राणा जय-विजय सिंह थैं साथ लेकि बढ़ आन्दोलन चल जैमा ग्राम वासियों कि जीत ह्वै, अमर बहादुर शाही अगनै बतंदीन कि मानक सिद्ध मंदिर जख आज स्थित च यख ऐकि स्थापना 1930 क लगभग ह्वै, ऐ से पैल मानक सिद्ध क स्थान ऐ मंदिर से लगभग द्वी ढाई किलोमीटर दूर जंगल मा छाई, सहूलियत क हिसाब से और मंदिर क विस्तार खुण जंगल बटेन कुछ शिलाओं थैं यख लैकि स्थापना किऐ ग्या।
ई काफी रमणीक स्थान च, यख ईंटो क एक चबूतरा म एक शिला पीतल कु नाग, व शिवलिंग रखयां छन। जंजीरो क साथ त्रिशूल भि च, साल का घैणा जंगल क बीच यख बड़ा बड़ा आमुका डाला भि छन। जु निश्चित तौर म कै आदिम न हि लगै ह्वाला, एक आमु क डाला कि तना कि मोटैय साढ़े चार मीटर छै ऐ से ई जगा कि प्राचीनता क पता चलद। यखी से कुछ पाषाण शिला और मूर्ति नया मानक सिद्ध मंदिर का गर्भ गृह म रखीं छन। ऐ मंदिर म साधु रैंदिन, आज भि ई स्थान ग्रामीणो कि आस्था क केन्द्र च। हर साल द्विया मंदिरो मा भंडारा हुंदिन, बड़ी संख्या मा स्थानीय लोग शामिल हूंदिन।

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Duties of a Chief Judge
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Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer -36   
Judiciary System in the Organization /Country


Guidelines for Chief Officers (CEO) Series –444       
       Bhishma Kukreti (Marketing Strategist)
s= आधी –अ    
धर्मासनमधिष्ठाय         कार्यदर्शनI
पूर्वोत्तरसमो भुत्वा राजा पृच्छोद्विवादिनौII
The King should proceed further after taking the seat of Justice. The King (judge ) should ask questions to bth the parties by being equal to the both parties (Neutral position) .
 (Shukraniti, Raj dharma Nirupan or “The Duties of a King” –44, 45   )
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Reference:
Shukraniti, Manoj Pocket Books, Delhi pp258
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2021
Strategies for Executive for marketing warfare
Tactics for the Chief Executive Officers responsible for Marketing
Approaches   for the Chief Executive Officers responsible for Brand Image
Strategies for the Chief Executive Officers responsible for winning Competitors
Immutable Strategic Formulas for Chief Executive Officer
(CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for successful Chief executive Officer
Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer   








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मांड  आदि वर्ग गुण -लक्षण व उपयोग
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चरक संहितौ सर्व प्रथम  गढ़वळि  अनुवाद   
 खंड - १  सूत्रस्थानम , 27th  सत्ताइसवां  अध्याय   ( अन्नपान विधि   अध्याय   )   पद २४९   बिटेन २५५   तक
  अनुवाद भाग - 
गढ़वाळिम  सर्वाधिक पढ़े  जण  वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य  भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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      !!!  म्यार गुरु  श्री व बडाश्री  स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं  समर्पित !!!
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कृतान्न  (मांडो आदि ) वर्ग
एया (१ गुणो पाणिम बणी कांजी ) भूक -तीस , ग्लानि , दुर्बलता , उदर रोग तैं  नष्ट करदी, स्वेदकारी , अग्निवर्धक , वायु अर मल क अनुलोमन कारी हूंद । 
विलेयी  (चार गुणो पाणि म बणयिं  कांजी ) तृप्तिकारी , संग्राही , लघु व हिंदी क अनुकूल हूंद। 
मंड (चार गुणो पाणिम बणी कांजी ) अग्नि दीपन अर वायु क अनुलोमन करद, सूत्रों तैं  बंद करद  अर पसीना लांद ।  उपवास , विरेचन का बाद, संगहण जीर्ण हूण पर , तीस लगण पर अग्निदीपक अर लघु हूण से
 मंड हितकारी हूंद। 
लाजपेय (खील से बण्यु पेय ) श्रमनाशी गौळौ  सुकण म हितकारी हूंद। 
आजमंड  अग्निवर्धक ,दाह -मूर्छा नाशी हूंद।  मंदाग्नि अर विषमाग्नि  वळ व्यक्तियों कुण , बच्चा , वृद्ध , कोमल प्रकृति वळ तैं आजमंड  पकैक दीण चयेंद .
जु  भूक तीस सहन नि  कौर  साकन तौं  तै पथ्य  सेवन करदा होवन , वमन विरेचन से जु शुद्ध होवन ,किन्तु थोड़ा सी मल वमन रुक्यूं हो तो  यिं अवस्था म अनारदाना , पिप्पली , सोंठ से बणयूं अजमंड हितकारी हूंद जु  अग्निवर्धक व वायु तै अनुलोमन करद ।  २४९ -२५५। 
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*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी  थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ   ३५९ -
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2022
शेष अग्वाड़ी  फाड़ीम ,चरक संहिता कु  एकमात्र  विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता  क गढवाली अनुवाद , चरक संहिता म   रोग निदान , आयुर्वेदम   रोग निदान  , चरक संहिता क्वाथ निर्माण गढवाली  , चरक संहिता का प्रमाणिक गढ़वाली अनुवाद , हिमालयी लेखक द्वारा चरक संहिता अनुवाद , जसपुर (द्वारीखाल ) वाले का चरक संहिता अनुवाद , आधुनिक गढ़वाली गद्य उदाहरण, गढ़वाली में अनुदित साहित्य लक्षण व चरित्र उदाहरण   , गढ़वाली गद्य का चरित्र , लक्षण , गढ़वाली गद्य में हिंदी , उर्दू , विदेशी शब्द, गढ़वाली गद्य परम्परा में अनुवाद , सरल भाषा में आयुर्वेद समझाना।  आयुर्वेद के सिद्धांत गढ़वाली भाषा में ; आयुर्वेद सिद्धांत उत्तराखंडी भाषा में, गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद तथ्य , गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद सिद्धांत व स्वास्थ्य लाभ

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Definition of a Judicial Court
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Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer -35   
Judiciary System in the Organization /Country

Guidelines for Chief Officers (CEO) Series –443       
       Bhishma Kukreti (Marketing Strategist)
s= आधी –अ
धर्मंशास्त्रानुसारेण ह्यर्थशास्त्र विवेचनम् I
यत्राधिक्रियते स्थाने धर्माधिकरणम हि तत् II
A judicial court is where there the analysis /study/investigation about social, economic and interest of political interest takes place as per the doctrine of Dharma Shastra (Constitution – written or oral)
(Shukraniti, Raj dharma Nirupan or “The Duties of a King” –42   )
As per Britannica Encyclopaedia, “the court is a body of persons or person having judicial authority to hear and resolve the disputes in civil, criminal, ecclesiastical or military cases.”

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Reference:
Shukraniti, Manoj Pocket Books, Delhi pp258
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2022
Strategies for Executive for marketing warfare
Tactics for the Chief Executive Officers responsible for Marketing
Approaches   for the Chief Executive Officers responsible for Brand Image
Strategies for the Chief Executive Officers responsible for winning Competitors
Immutable Strategic Formulas for Chief Executive Officer
(CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for successful Chief executive Officer
Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer   










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