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माझेरा (नैनीताल ) में भवन ( संख्या १   )  काष्ठ कला अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन

   Traditional House Wood Carving Art in  Majhera , Nainital; 
   कुमाऊँ, गढ़वाल, केभवन ( बाखली,तिबारी,निमदारी, जंगलादार मकान,  खोली, )  में कुमाऊं शैली की  काष्ठ कला, अंकन,अलंकरण, उत्कीर्णन  - 619

संकलन - भीष्म कुकरेती
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माझेरा से तीन भवनों की सूचना मिली है।  प्रस्तुत भवन भहु कोणित आयातकार है , ढैपुर  अथवा तिपुर  व बहुखंडी भवन है।  भवन कुमाऊं की पारम्परिक शैली व ब्रिटिश शैली का मिश्रण है। 
भवन के आधारिक तल (ground floor ) में भंडार व  गोठ  (दान /daan  )  के द्वार सपाट हैं।  प्रथम तल (पहली मंजिल ) में बरामदे को बाहर से ढकने हेतु जंगला बंधा है।  जंगले में सपाट आयताकार स्तम्भ स्थापित हैं। स्तम्भ सरल कला के हैं।  बरामदे के अंदर बरामदे में जाने हेतु  बड़े बड़े तख्तों से द्वार बने हैं कला सपाट हैं ।   
इस भवन में सपाट ज्यामितीय कटान की कला दृष्टिगोचर होती है। 
सूचना व फोटो आभार: रचना पांडे (द्वारा रत्ना  मेहरा )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022 
नैनीताल के भवनों में लकड़ी नक्कासी , नैनीताल के मकानों में पारम्परिक काष्ठ कला

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गन्ना , गुड़ , शक्कर , राव , मधु गुण  व यूंसे उपचार
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चरक संहितौ सर्व प्रथम  गढ़वळि  अनुवाद   
 खंड - १  सूत्रस्थानम , 27th  सत्ताइसवां  अध्याय   ( अन्नपान विधि   अध्याय   )   पद २३६   बिटेन २४८    तक
  अनुवाद भाग -  ३३१
गढ़वाळिम  सर्वाधिक पढ़े  जण  वळ एकमात्र लिख्वार-आचार्य  भीष्म कुकरेती
s = आधी अ
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      !!!  म्यार गुरु  श्री व बडाश्री  स्व बलदेव प्रसाद कुकरेती तैं  समर्पित !!!
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अयेक्षु  वर्ग -
इक्षुविकार वर्ग- गन्ना  तैं दांतुं न चूसि खयूं रस वीर्यवर्धक ,शीतल , रेचक , स्निग्ध , पौष्टिक , मधुर , अर कफकारी हूंद। 
कुलड़ो पेल्युं  गन्ना रस विदाहयुक्त  ह्वे जांद , छिलका अर  गाँठ क योग से विदाह उतपन्न हूंद , अर  भैर वायु  अर  घामक  योग से बि  विदाह उतपन्न ह्वे जांद।  नरम छिलका गणना रस बिंडी शीतल , बिंडी निर्मल (प्रसन्नता दायी ) , बिंडी  मिट्ठु हूंद।  बांस गन्ना यांसे  अधिक खसखसो हूंद।
गुड़ - अतिशय , कृमि , मज्जा , रक्त , मेद , अर मांस वर्धक हूंद , काळ रंगो गुड़ क्षुद्र , गुड़ चार भाग से निर्मित गुड़ से अर  चार भाग क गुड़ तीन भागक गुड़ से बिंडी  गुरु हूंद।  साफ़ याने कम मल(गंदगी मिटटी आदि )  से निर्मित गुड़ कम हानिकारक हूंद।  राव , खांड , शक्कर उत्तरोत्तर स्वच्छ हूंदन।  जन जन यूंमा स्वछता बढ़दि तन्नि शीतलता बि।  अर्थात राव से खांड, खंड से शकरर अधिक शीतल हूंद। 
 गुड़ निर्मित शक्कर वीर्यवर्धक ,क्षीण , उर:क्षत रोगी कुण हितकारी व स्नेहयुक्त हूंद।
 घमसा क क्वाथ से निर्मित  शक्कर कषाय मधुर रस , शीतल , अर कुछ तिक्त हूंद।
मधु क शक्कर रूखो , वमन , अतिसार , नाशक , कफ तोडू हूंद। 
तीस , रक्तपित्त , अर जलन म सब शक्कर हितकारी।
मधु क गुण -
मधुक चार जाति  छन -
१- रिंगाळ (बड़ी मधुमक्खी ) अर  या चिमुल्ठों  निर्मित
२-भौंर (मधुमक्खी ) क निर्मित मधु
३-क्षौद्र )छुटि  मधुमक्खी से निर्मित
४- पीली मधुमक्खी निर्मित श्वेत मधु
यूं मदे माक्षिक मधु सर्वश्रेष्ठ हूंद। भौंरों निर्मित शहद गुरु हूंद। 
मधु -वायुकारक , गुरु , शीतल ,रक्तपित्त , कफनाशी , व्रणों  तै जुड़न वळ , कफ-मेद आदि तै उखाड़न वळ , रुखो , कषाय व मधुर  हूंद।
मधु बनि बनि प्रकारौ फूलों से विषैली मधुमखियों द्वारा निर्माण हूंद।  इलै गर्म अवश्था म दीणन मार्क हूंद।
मधु गुरु , कषाय रस, शीतल, रूखो  हूण से कम मात्रा ही ठीक मात्रा च। 
मधु बिंडी  सेवन से जु  रोग उत्प्पन्न हूंदन वो असाध्य ही हूंदन किलैकि एकी चिकित्सा म विरोध हूंद , इलै  विष जन मनुष्य मार दीन्दो । किलैकि आम रोग म उष्ण उपचार करण पड़द  जु मधुम विरुद्ध च,  अर  शीतल हूण से रोग उपचार म अड़चन च।  इलै मधु जन्य रोग दुसाध्य छन जु  विष जन मनिख तै मार दींदन । 
नाना प्रकारौ ऊर्जा वीर्य युक्त  औषधियों युक्त पुष्पों से मधु निर्मित हूंद त  मधु म भौत सि  शक्ति हूंदन। 
इलै अर प्रभावक कारण मधु योगबाही अर्थात वमन कारी , आस्थापन या वृष्य कर्म करण वळ , जै द्रव्य दगड़ दिए जावो स्यु उनी कार्य करद।
ये अनुसार इक्षुविकार वर्ग समाप्त। २३६ -२४८।

 -
*संवैधानिक चेतावनी : चरक संहिता पौढ़ी  थैला छाप वैद्य नि बणिन , अधिकृत वैद्य कु परामर्श अवश्य लीण
संदर्भ: कविराज अत्रिदेवजी गुप्त , भार्गव पुस्तकालय बनारस ,पृष्ठ   ३५७-३५८
सर्वाधिकार@ भीष्म कुकरेती (जसपुर गढ़वाल ) 2022
शेष अग्वाड़ी  फाड़ीम ,चरक संहिता कु  एकमात्र  विश्वसनीय गढ़वाली अनुवाद; चरक संहिता कु सर्वपर्थम गढ़वाली अनुवाद; ढांगू वळक चरक सहिता  क गढवाली अनुवाद , चरक संहिता म   रोग निदान , आयुर्वेदम   रोग निदान  , चरक संहिता क्वाथ निर्माण गढवाली  , चरक संहिता का प्रमाणिक गढ़वाली अनुवाद , हिमालयी लेखक द्वारा चरक संहिता अनुवाद , जसपुर (द्वारीखाल ) वाले का चरक संहिता अनुवाद , आधुनिक गढ़वाली गद्य उदाहरण, गढ़वाली में अनुदित साहित्य लक्षण व चरित्र उदाहरण   , गढ़वाली गद्य का चरित्र , लक्षण , गढ़वाली गद्य में हिंदी , उर्दू , विदेशी शब्द, गढ़वाली गद्य परम्परा में अनुवाद , सरल भाषा में आयुर्वेद समझाना।  आयुर्वेद के सिद्धांत गढ़वाली भाषा में ; आयुर्वेद सिद्धांत उत्तराखंडी भाषा में, गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद तथ्य , गढ़वाली भाषा में आयुर्वेद सिद्धांत व स्वास्थ्य लाभ

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मां भुवनेश्वरी सिध्द पीठ सांगुड़ा
सरोज शर्मा क जनप्रिय लेखन श्रंखला

बिलखेत सतपुली,पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल क बिलखेत, सागुंडा स्थित मां भुवनेश्वरी सिध्द पीठ पौंछण खुण राष्ट्रीय राजमार्ग 119 पर कोटद्वार पौड़ी क मध्य कोटद्वार से लगभग 54 किलोमीटर और पौड़ी से 52 किलोमीटर कि दूरी म स्थित एक सतपुली पौंछण पव्ड़द, सतपुली से बांघाट, ब्यास चट्टी, देवप्रयाग, मार्ग म लगभग आठ किलोमीटर कि दूरी म प्राकृतिक सुन्दरता और भव्यता न परिपूर्ण सांगुड़ा नामक स्थान म मां भुवनेश्वरी क सिध्द पीठ स्थित च।
लोकश्रुतियो क अनुसार जब विदेशी आक्रमणकारियों न पूजा स्थान थैं अपवित्र और खंडित कैर त पांचो देवियों न वीर भैरव क दगड़ केदारखण्ड कि तरफ प्रस्थान कार,
मां आदिशक्ति, भुवनेश्वरी, मां ज्वालपा, मां बाला सुंदरी, मां बालकुंवरी, और मां राजराजेश्वरी अपण यात्रा क दौरान नजीबाबाद पौंछिन, नजीबाबाद वै समय भौत बड़ी मंडी हूंद छै, संपूर्ण गढ़वाल म यखी बटिक सामान जांद छा,
पौड़ी जनपद का मनियारस्यूं पट्टी ग्राम सैनार का नेगी बंधु नजीबाबाद सामान लीण कु अयां छा, थकान क कारण मां भुवनेश्वरी मातृ लिंग क रूप म लूणकि बोरी म प्रविष्ट ह्वै गैं, अपण अपण समान लेकि नेगी बंधु कोटद्वार दुगड्डा ह्वैकि सांगुड़ा पौंछिन, सांगुडा म भगवान सिंह नेगी न दयाख वैकि लूण कि बोरी म एक पिण्डी च जै थैं ऊन ढुंग समझिक चुटा द्या, रात्री म मां भुवनेश्वरी न नेगी थैं सुपिणां म दर्शन दीं और आदेश दयाई कि मातृलिंग थैं सांगुड़ा म स्थापित किए जा,
नैथाना गौं का श्री नेत्रमणि नैथानी थैं भि ई आदेश ह्वा, तत्पश्चात विधि-विधान से मंत्रोच्चार सहित मां कि पिंडी कि स्थापना सांगुड़ा म करै गै,
मंदिर क भूमि क बार मा मतभेद च कुछ बव्लदिन मंदिर कि भूमि नैथना गौं कि ही च,कुछ बव्लदिन ई भूमि रावतों की च।
खूबसूरत घाटी सांगुड़ा म स्थित श्री भुवनेश्वरी सिध्द पीठ क एक ओर नयार और दूसर ओर हरा भरा खेत और समणि पहाड़ियो क दृष्य अनुपम सौंदर्य प्रदान करद, गर्भ गृह छोड़िक मंदिर क जीर्णोद्धार 1981 तथा1983 म ह्वाई, ऐ मंदिर क पुजरी ग्राम सैली का सेलवाल छन,
मंदिर क प्रबंधन एवं व्यवस्था नैथानी जाति क लोग करदिन, श्री भुवनेश्वरी ग्राम नैथाना, धारी कुण्ड, बिलखेत, दैसंण, सैली, सैनार, गोरली, आदि गौं का प्रमुख मंदिर छन। मकर संक्रांति क दिन यख गिन्दी क मेला भि लगद, जु भौत प्रसिद्ध च, सिध्द पीठ क उचित प्रबंधन खुण वर्ष 1991 मा एक समिती कि स्थापना करै ग्या, जीर्णोद्धार क अलावा सौंदर्यीकरण खुण भि योजनाएं चलयै गैन।सरया साल दर्शनार्थ मंदिर खुलयूं रैंद, पर अगस्त से मार्च तक मनोरम वातावरण रैंद, मंदिर परिसर म श्रद्धालुओ खुण धर्मशाला कि व्यवस्था च, पर भोजन जलपान कि व्यवस्था अफ्वी करण पव्ड़द। मंदिर से आठ किलोमीटर दूर सतपुली बजार च वख होटल रेस्टोरेंट व ठैरणा कि व्यवस्था आराम से ह्वै जांद
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Qualities of Writer and Statistician
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Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer -33 
Judiciary System in the Organization /Country

Guidelines for Chief Officers (CEO) Series –441       
       Bhishma Kukreti (Marketing Strategist)
s= आधी –अ
शब्दाभिधानत्त्वज्ञौ गणनाकुशलौ शुची I
नानालिपिज्ञौ कर्तव्यौ राज्ञा गणकलेखकौ II41II
The accountant and clerks should be expert in  mathematics , words respectively. They both must be honest, well up to accounts and should have knowledge of other subjects too.
 (Shukraniti, Raj dharma Nirupan or “The Duties of a King” –41   )
-
Reference:
Shukraniti, Manoj Pocket Books, Delhi pp257
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2021
Strategies for Executive for marketing warfare
Tactics for the Chief Executive Officers responsible for Marketing
Approaches   for the Chief Executive Officers responsible for Brand Image
Strategies for the Chief Executive Officers responsible for winning Competitors
Immutable Strategic Formulas for Chief Executive Officer
(CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for successful Chief executive Officer
Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer   









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ट्युसन संबंधी प्रहसन (जोक्स )
-
ट्युसन संबंधी   हास्य , प्रहसन , खौंख्याट , जोक्स , चबोड़, मजाक , ठट्टा , मसखरी , लतीफा
-
इकबटोळ - गढ़वळिम सर्वाधिक व्यंग्य रचयिता - भीष्म कुकरेती   'चबोड़ाचार्य'   
-
जैन मेरी मुंगरी चुरेन टैक बच्चो तैं  भल कोचिंग क्लास नि मिलेन।  मिलन  त  फीस बिंडी हो आर पढ़ाणम मास्टर गळ्या ह्वावन। 
XX
बामण पतड़ा दिखद दिखद - जजमान ये बच्चा का भाग तो राजशी छन।  विद्या म बेस्ट कोचिंग क्लास लिख्युं च।  किन्तु दगड़म कोचिंग फीसक  बान   तुमर कूड़ौ बिकणो जोग बि छन।
XX
मेरो विश्व विद्यालय न जनि  मेरी फीस , बुक क खर्चा ले तनि  लोक डाउन लगाई दे।
XX
  जजमान - पंडि जो  म्यार नौनान दस कॉलेजों फॉर्म भ रयूं च।  कैमा प्रवेश मीलल।
पंडीजी - यु महत्वपूर्ण नी  कै  कॉलेज म प्रवेश मीलल।  तेकुण महत्वपूर्ण या च  कि कु बैंक कम से कम व्याज पर  त्वे उधार द्याल। 
XX
ये युग म कॉलेज फीस मंहगी ह्वे गेन।
अब कॉलेज फीस ना ब्वे  बाबु दिवाला निकाळणो  संस्थान ह्वे गे  शिक्षा
XX
प्रिंसिपल  बच्चा क पिता से - हमर ट्यूशन फीस का यि मतलब नि  तुम बचा तै भैर ट्यूशन नि पढ़ैल। 
XX
प्रिंसिपल बच्चा क मां से मिड दे मील १ लाख, फीस , ३ लाख , स्पोर्ट्स ४ लाख फीस भर द्यावो ऐडमिशन ह्वे जाल।
मां - अर  पढ़ाई ?
प्रिंसिपल - बगल म इ  कोचिंग क्लास च उख पढ़ाई। 

Copyright April 2022

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मसूरी में ला विला बेथानी   भवन  में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन

Traditional House Wood Carving Art of,  La  Villa  Benthany  House , Mussorie , Dehradun     
गढ़वाल, देहरादून सह ,  भवनों (तिबारी, जंगलेदार निमदारी, बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल ) में पारम्परिक गढवाली शैली की काष्ठ  कला, अलकंरण, उत्कीर्णन, अंकन-   618

संकलन - भीष्म कुकरेती 
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मसूरी में धीरे धीरे गढ़वाली, ब्रिटिश- गढ़वाली , ब्रिटिश शैली के प्राचीन भवन ध्वस्त होते जा रहे हैं व नवीन शैली के भवन सामने आ रहे हैं।  ला विला बेथानी  का अगर भाग  ओल्ड इंग्लिश कॉटेज नाम से  भीप्रसिद्ध है जहाँ रस्किन बॉन्ड  ने कई कहानियां लिखीं थीं।
प्रस्तुत ला विला बेथानी भवन जौनसार की आदि कालीन काष्ठ भवन व ब्रिटिश (छत टिन की ) शैली का संगम है। 

प्रस्तुत ला विला बेथानी  भवन की दीवारें सपाट काष्ठ पट्टियों  (तख्तों ) से निर्मित हुयी हैं व ज्यामितीय कटान का उत्तम उदाहरण हैं।
 भवन के मार्ग में लकड़ी की फट्टों  से जंगलेदार  आकृति से बाड़ /fence  निर्मित हुईं हैं व फट्टे भी सपाट  लघु स्तर के स्तम्भ हैं। 
  पूरा ला विला बेथानी  भवन ज्यामितीय अलंकरण कटान का उत्तम उदाहरण है। 
.
 
  सूचना व फोटो आभार: देवेंद्र मैठानी     
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2022
देहरादून में भवन काष्ठ कला , देहरौन परम्परागत भवनों में  काष्ठ कला

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Objectives of each Tool for Judiciary
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Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer -32 
Judiciary System in the Organization /Country

Guidelines for Chief Officers (CEO) Series –440       
       Bhishma Kukreti (Marketing Strategist)
s= आधी –अ
स्मृतिर्विनिर्णय ब्रूते जयं दानं दमं तथा II39
शापथार्थे हिरणयाग्नी अंबु तृषित क्षुब्धयो I
गणको गणयेदर्थ लिखेन्न्याय्यं च लेखक
II40II
Smriti (code of conduct granthas) tells about the code of conduct, punishment, award, penance, Jap, etc.
The fire is for swearing the oath and water is for reducing the anger.
The Accountant is for counting money.
The accountant and clerks are for writing details. The writer should be well versed with words for writing decision (Shubh or Ashubh)

(Shukraniti, Raj dharma Nirupan or “The Duties of a King” –39, 40  )
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Reference:
Shukraniti, Manoj Pocket Books, Delhi pp257
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2022
Strategies for Executive for marketing warfare
Tactics for the Chief Executive Officers responsible for Marketing
Approaches   for the Chief Executive Officers responsible for Brand Image
Strategies for the Chief Executive Officers responsible for winning Competitors
Immutable Strategic Formulas for Chief Executive Officer
(CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for a successful Chief executive Officer
Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer   








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आम व अन्य  फल सबंधी प्रहसन (जोक्स )

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आम व अन्य  फल संबंधी   हास्य , प्रहसन , खौंख्याट , जोक्स , चबोड़, मजाक , ठट्टा , मसखरी , लतीफा
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इकबटोळ - गढ़वळिम सर्वाधिक व्यंग्य रचयिता - भीष्म कुकरेती   'चबोड़ाचार्य'   
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मेरि   ब्वेन बोलि बल वा आम कारम  बिसर गे अर  मि  तैं लाणो ब्वाल . पैथर ज्ञात ह्वे बल वीन  आम लेइ नि  छौ।  फोकट म बेकार क फलहीन (fruitless )  खोज ह्वे .
XX
नौनी (ऍम विक्रेता से ) - भया जी यी आम लंगड़ा इ छन ना ?
आम विक्रेता - आम लंगड़ा नि  हून्द  त  ठेला म बुकद क्या ?
XX
मास्टर जी - पप्पू १२ फलों नाम बता -
पपू - आम , बेदु , तिमल , हिस्र। ....
मास्टर जी १२ हौर फलों नाम बता ?
पप्पू - एक दजन आम।
XX
सुबर सुबर एक महिला अंग्रेजी म फल मंगणी  छे - आई  वांट डिस्टरवाइड हजबैंड, आई  वांट डिस्टरवाइड हजबैंड
फल बिचण वळ क बिंगण  म द्वी घंटा लगिन कि  वा नाशपति मंगणी  छे।
XX
मि आम खरीदणो  चौराह म ग्यों त  द्याख  एक बुडड़ी एक बच्ची पैथर दौड़नी छे अर  धै लगाणी  छे - ये डिग्री ! ये डिग्री !
मीन बुडडी पूछ - तुम यिं  तै  डिग्री किलै  बुलणा  छा ?
बुडड़ी  - मीन अपण  बेटी यूनवर्सिटी भेज तो उख  बिटेन  व यिं  तैं  लेकि आई  गे।

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copyright 2022 
संबंधी   हास्य , प्रहसन , खौंख्याट , जोक्स , चबोड़, मजाक , ठट्टा , मसखरी , लतीफा

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Exclusive  Characteristics of Tools for Judiciary -1
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Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer -32 
Judiciary System in the Organization /Country

Guidelines for Chief Officers (CEO) Series –440       
       Bhishma Kukreti (Marketing Strategist)
s= आधी –अ
दशानामपि चैतेषां कर्म प्रोक्तं पृथक् पृथक् II38II
वक्ताsध्यक्षो नृप: शास्ता सभ्या: कार्यपरीक्षका: I
The functions of the above ten are separate and being discussed separate.
The authorized person speaks about the case.The King is the president of the  court and councillors investigate the case. 
 (Shukraniti, Raj dharma Nirupan or “The Duties of a King” –38 , 39 (first )  )
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Reference:
Shukraniti, Manoj Pocket Books, Delhi pp257
Copyright@ Bhishma Kukreti, 2021
Strategies for Executive for marketing warfare
Tactics for the Chief Executive Officers responsible for Marketing
Approaches   for the Chief Executive Officers responsible for Brand Image
Strategies for the Chief Executive Officers responsible for winning Competitors
Immutable Strategic Formulas for Chief Executive Officer
(CEO-Logy, the science of CEO’s working based on Shukra Niti)
(Examples from Shukra Niti helpful for Chief executive Officer)
Successful Strategies for successful Chief executive Officer
Duties (Raj dharma) of the Chief Executive Officer   







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  जखोल (मोरी उत्तरकाशी ) के  भवन  संख्या ६  में   गढवाली शैली  की    काष्ठ  कला,  अलकंरण, अंकन उत्कीर्णन
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  Traditional House wood Carving Art in , Jakhol (Mori ),  Uttarkashi   
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गढ़वाल,  कुमाऊँ ,  के भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में पारम्पपरिक    गढवाली शैली  की    काष्ठ  कला,  अलकंरण, अंकन उत्कीर्णन - 617

 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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  जखोल (मोरी , उत्तरकाशी )  के भवन संख्या ६ की काष्ठ कला पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत  भवन आम पर्वत उच्च श्रेणियों के गाँवों वाला ही है अर्थात जिसमें लकड़ी अधिक है व छत सीधी छोड़ शेष भवन कार्य काष्ठ से ही हुआ है।  प्रस्तुत भवन दुपुर है व भवन की दीवारें लकड़ी के तख्तों से निर्मित दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  पहले तल में बालकोनी /छज्जे पर जंगल बंधा है जिसके स्तम्भ व रेलिंग सपाट लकड़ी की कड़ियों से निर्मित हुए हैं। 
सम्पूर्ण भवन में सपाट काष्ठ की कला दर्शित हो रही है।  भवन आदिकालीन शैली व कला अनुसार निर्मित हुआ है व हिम बचाव हेतु लकड़ी प्रयोग हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार : आशीष सेमवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2021     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari, Uttarkashi Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi,  Garhwal,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;  पारम्परिक   उत्तरकाशी मकान काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  , भटवाडी मकान   ,  पारम्परिक , रायगढी    उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन, चिनियासौड़  पारम्परिक  उत्तरकाशी मकान  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन  श्रृंखला जारी    उत्तरकाशी में भवन शैली

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