Author Topic: Badrinath Temple - भारतवर्ष के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम  (Read 61838 times)

हेम पन्त

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स्थानीय लोककलाकारों द्वारा लोकनृत्य, कलाकारों के साथ प्रसिद्ध लोकगायिका श्रीमती बसन्ती बिष्ट भी दिखायी दे रही हैं.


धनेश कोठारी

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Kapat khulne se purv sadhya mein Basanti bisht ne mandir parisar mein jagar ki prastuti di

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अनीमठ में वृद्धबद्री
कर्णप्रयाग से आगे की यात्रा में जोशीमठ से 8 किमी पहले अनीमठ है। यहां स्थित वृद्धबद्री इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन मंदिर है। इसका निर्माण आदि शंकराचार्य के यहां आने से कई सदी पूर्व का माना जाता है। कहते हैं कि यहां प्रतिष्ठित भगवान बद्रीनाथ की प्रतिमा स्वयं विश्वकर्मा ने बनाई थी। कलियुग आते ही वह प्रतिमा लुप्त हो गई। बाद में वही प्रतिमा आदि शंकराचार्य को नारदकुंड में मिली, जिसे उन्होंने बद्रीविशाल में स्थापित किया। वृद्धबद्री में दूसरी प्रतिमा स्थापित की गई। वृद्धबद्री समुद्रतल से 1380 मीटर की ऊंचाई पर है, जहां शीतऋतु में हिमपात नहीं होता। आदिबद्री के समान यह मंदिर भी वर्ष भर खुला रहता है।
 
http://www.jagranyatra.com/2010/04/adi-badr-himalaya-religious-tourism-cultural-tourism/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भविष्यबद्री की यात्रा

भविष्यबद्री मंदिर जोशीमठ से 25 किमी दूर है। इसके दर्शन के लिए तपोवन के मार्ग पर बढ़ते हैं। 19 किमी दूर सलधार से आगे 6 किमी पैदल चलना पड़ता है। कहते हैं कि जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में भगवान नृसिंह की प्रतिमा की एक भुजा धीरे-धीरे क्षीण हो रही है। जब यह भुजा स्वत: खंडित होगी तो किसी प्राकृतिक घटना से बद्रीनाथ जाने का मार्ग बंद हो जाएगा। तब भगवान बद्रीनाथ की पूजा यहीं होगी। यही कारण है कि यहां भगवान की पूजा भविष्यबद्री के रूप में होती है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के नृसिंह रूप की प्रतिमा विराजमान है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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योगध्यान बद्री


जोशीमठ से बद्रीनाथ की ओर 20 किमी आगे पांडुकेश्वर नामक स्थान पर योग ध्यान बद्री मंदिर है। मुख्य मार्ग से ढलान पर थोड़ा उतरते ही हरे-भरे वृक्षों से घिरे परिसर में यहां मुख्यत: दो मंदिर हैं। परीक्षित को राजकार्य सौंप कर जब पांडव स्वर्गारोहण के लिए चले तो पांडुकेश्वर नामक स्थान पर उन्होंने कुछ समय तप किया था। पांडवों ने यहां भगवान के योगध्यान रूप की पूजा की थी। इसलिए इन्हें योगध्यान बद्री कहा गया। एक किमी आगे हनुमानचट्टी पर हनुमान मंदिर भी दर्शनीय है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"श्री बद्रीनाथजी की आरती " पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम,श्री   निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम, शेष सुमिरन करत निशिदिन,   धरत ध्यान महेश्वरम, श्री वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ   विश्वम्भरम,इन्द्र, चन्द्र, कुबेर, दिनकर धूप दीप प्रकाशिनम, सिद्ध म...ुनिजन   करत जय जय, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम, शक्ति,गौरी,गणेश, शारदा, नारद मुनि   उच्चारणं, योगध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम,यक्ष किन्नर करत   कौतुक, ज्ञान गन्धर्व प्रकाशितम, श्री लक्ष्मी कमला चंवर डोले, श्री   बद्रीनाथ विश्वम्भरम, कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम,राजा   युधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम, श्री बद्रीनाथजी की पडत   स्तुति, होत पाप विनाशनम,, कोटि तीरथ भयो पुण्य, प्राप्त ये   फलदायकम......"बद्रीनाथजी उत्तराखंड

Devbhoomi,Uttarakhand

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पांच दिन बाद खुला बदरीनाथ राजमार्ग
                                पांच दिन बाद खुला बदरीनाथ राजमार्ग                                                                                                                                           रुद्रप्रयाग-श्रीनगर के मध्य सिरोबगड़ में अवरुद्ध बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग ठीक पांच दिन बाद शुक्रवार को पांच बजे खुल पाया।
   पहाड़ी  से लगातार मलबा गिरने के बावजूद बीआरओ को राजमार्ग खोलने में सफलता मिली  है। भले ही राष्ट्रीय राजमार्ग पांच दिन के बाद यातायात के लिए खुल तो गया  लेकिन कब फिर मार्ग बंद हो जाए यह कहा नहीं जा सकता है। पहाड़ी से लगातार  गिर रहे पत्थरों से बीआरओ के डोजर को कार्य करने में काफी मशक्कत करनी पड़  रही है।

बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए सिरोबगड़ नासूर बन गया  है। पिछले पांच दिन से पहाड़ी से मलबा गिरने का क्रम रुकने का नाम नहीं ले  रहा था। ऐसे में बीआरओ राजमार्ग खोलने में असमर्थ दिखाई दे रहा था।  शुक्रवार सुबह भी पहाड़ी से धूल उड़ने के साथ भारी मलबा राजमार्ग पर आ गया।  पत्थर गिरने का क्रम थमते ही बीआरओ ने राजमार्ग से मलबा साफ करने का काम  शुरू किया।

राहत की बात यह रही कि सायं तक पहाड़ी से मलबा नहीं  गिरा जिस कारण बीआरओ के जेसीबी और डोजर राजमार्ग के दोनों छोर से  युद्धस्तर पर मलबा हटाने में जुट गये और सायं पांच बजे राजमार्ग खुल पाया।  बीआरओ के अधिकारियों का कहना है कि पहाड़ी से पत्थर न गिरे तो आवाजाही  सुचारू रहेगी।

राजमार्ग अवरुद्ध रहने से पूर्व की भांति  खांकरा-खेड़ाखाल मोटरमार्ग से ही वाहनों की आवाजाही हुई। वाहन चालकों ने  यात्रियों से रुद्रप्रयाग से श्रीनगर तक का किराया सौ रुपये वसूला। जबकि  रुद्रप्रयाग से ऋषिकेश तक किराये के रूप में तीन सौ रुपये वसूले गये।  बीआरओ के कमान अधिकारी पीके आजाद का कहना है कि सिरोबगड़ में राजमार्ग पर  गिरे मलबे को साफ कर दिया गया है। परिस्थितियों को देखते हुए सिरोबगड़ में  हर समय जेसीबी व डोजर मौजूद रहेगा।


http://www.samaylive.com/regional-hindi/uttarakhand-hindi/101704.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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काशी महोत्सव मनाया जायेगा धूमधाम से



                                                                         

            धूमधाम से मनेगा काशी महोत्सव                               
काशी महोत्सव


                                                                                                          केदारनाथ-काशी महोत्सव समिति ने ऐलान किया है कि काशी महोत्सव धूमधाम से मनेगा।
उत्तराखण्ड में बीते दिनों आई प्राकृतिक आपदा का दंश अब राज्यवासियों के जेहन से उतरता दिख रहा है।
नवरात्र एवं विजयदशमी की खुमार से उभरने के बाद प्रदेश इन दिनों पुरी तरह से धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सवों में सराबोर है।
जगह-जगह आयोजित हो रहे मेलों एवं धार्मिक उत्सवों में आ रहे स्थानीय  लोगों के उत्साह को देखकर लगता है कि आपदा के दंश पर उत्तराखंडवासियों ने  विजय प्राप्त कर ली है।
इस बीच केदारनाथ-काशी महोत्सव समिति ने ऐलान किया है कि काशी महोत्सव धूमधाम से मनेगा।
केदारनाथ-काशी महोत्सव समिति के अध्यक्ष विपिन सेमवाल ने बताया कि हम इस बार महोत्सव को अति धूमधाम एवं भव्य रूप से मनायेंगे।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने पर जब भगवान की डोली  गुप्तकाशी में प्रवेश करेगी तो दो दिवसीय इस मेले की शुरुआत हो जाएगी।
उन्होंने बताया कि काशी महोत्सव 8 व 9 नवम्बर को दो दिनों तक गुप्तकाशी में चलेगा।
गौरतलब हो कि भगवान केदारेश्वर की डोली गुप्तकाशी पहुंचने के अवसर पर  लम्बे समय से स्थानीयों द्वारा महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा है।
जिसमें स्थानीय कलाकार, सांस्कृतिक मंडलियों सहित भारी संख्या में भजन मंडलियां अपने कार्यक्रम प्रस्तुत करती हैं।
   

Kiran Rawat

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Pranam,
It was a delited experience to witness the Badrinath door closing ceremany on 18th Nov 2010, 1545 IST

Beautifuly decorated temple at night


 
 
 
Fresh snowfall in the valley
 

Devbhoomi,Uttarakhand

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बद्रीनाथ के शीतकालीन पूजा स्थल में श्रद्धालुओं की कमी
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हिन्दुओं की आस्था के केन्द्र श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बन्द होने के बाद शीतकाल के दौरान नवम्बर से अप्रैल तक छ: माह भगवान बद्रीविशाल की पूजा पाण्डुकेश्वर स्थित योगध्यान बद्री मंदिर में डिमरी पुजारी संपन्न कराते हैं। पूजा के लिए सभी व्यवस्थाएं श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति करती है, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी के कारण यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आती जा रही है।

दरअसल जनपद चमोली में श्री बदरीनाथ समेत योगबदरी, ध्यान बदरी, वृद्ध बदरी व भविष्य बदरी मंदिर पंच बदरी में गिने जाते हैं। इन सभी मंदिरों की पूजा व्यवस्था श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा की जाती है। यूं तो सभी मंदिरों का महत्व बराबर है, लेकिन योगध्यान बद्री मंदिर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यहां शीतकाल के दौरान नवम्बर से लेकर अप्रैल तक भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि भगवान नारायण शीतकाल के दौरान श्रद्धालुओं को इसी मंदिर में दर्शन देते हैं। बद्री विशाल के कपाट बंद होने के पश्चात भगवान की उत्सव मूर्ति उद्धव जी एवं कुबेर जी को शीतकाल में पूजा के लिए पाण्डुकेश्वर में स्थापित किया जाता है। शीतकाल के दौरान भी भगवान नारायण की पूजा डिमरी पुजारी ही करते हैं और उनके साथ हकहकूकधारी मेहता, भण्डारी एवं कमदीथोक के बारीदार श्री बदरीनाथ की भांति निभाते हैं। प्रचार-प्रसार के अभाव में यहां श्रद्धालुओं की आवाजाही ना के बराबर है। पूर्व प्रधान बलदेव सिंह मेहता का कहना है कि मंदिर समिति बद्रीनाथ के कपाट बंद के बाद इस महत्वपूर्ण धार्मिक स्थान की उपेक्षा करती आ रही है। पांण्डुकेश्वर के ग्राम प्रधान बख्तावर सिंह पागती का कहना है कि मंदिर में नित्य श्री बदरीनाथ धाम की भाति पूजा-अर्चना वेद मंत्रोच्चार के साथ वेद पाठियो द्वारा की जाय, जिससे पाण्डुकेश्वर भी तीर्थ के रूप में विकसित हो सके। उन्होंने यात्राकाल के दौरान पांडुकेश्वर में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राज मार्ग पर प्रचार प्रसार के लिए मंदिर समिति का कार्यालय खोलने की मांग की है।

Jagran news

 

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