Author Topic: Bhadrakali Temple, Bageshwar Uttarakhand- भद्रकाली मंदिर जनपद बागेश्वर  (Read 5200 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

Dosto,

We are posting Exclusive Information about 'Bhadrakali Mata Temple, from our Sr Member Naveen Joshi's blog. This temple is situated in District Bageshwar Uttarakhand.

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

कहते हैं आदि-अनादि काल में सृष्टि की रचना के समय आदि शक्ति ने त्रिदेवों-ब्रह्मा,


     
माता भद्रकाली मंदिर
माता भद्रकाली मंदिर
माता भद्रकाली के मंदिर का गर्भगृह
माता भद्रकाली के मंदिर का गर्भगृह
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

कहते हैं आदि-अनादि काल में सृष्टि की रचना के समय आदि शक्ति ने त्रिदेवों-ब्रह्मा, विष्णु व महेश के साथ उनकी शक्तियों-सृष्टि का पालन व ज्ञान प्रदान करने वाली ब्रह्माणी यानी माता सरस्वती, पालन करने वाली वैष्णवी यानी माता लक्ष्मी और बुरी शक्तियों का संहार करने वाली शिवा यानी माता महाकाली का भी सृजन किया। सामान्यतया अलग-अलग स्थानों पर प्रतिष्ठित रहने वाली यह तीनों देवियां कम ही स्थानों पर एक स्थान पर तीनों के एकत्व स्वरूप् में विराजती हैं। ऐसा एक स्थान है माता का सर्वोच्च स्थान बताया जाने वाला वैष्णो देवी धाम। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं अंचल में भी एक ऐसा ही दिव्य एवं अलौकिक विरला धाम मौजूद है, जहां माता सरस्वती, लक्ष्मी और महाकाली एक साथ एक स्थान पर वैष्णो देवी की तरह ही स्वयंभू लिंग या पिंडी स्वरूप में आदि-अनादि काल से एक साथ माता भद्रकाली के रूप में विराजती हैं, और सच्चे मन से आने वाले अपने भक्तों को साक्षात दर्शन देकर उनके कष्टों का हरती तथा जीवन पथ पर संबल प्रदान करती हैं। इस स्थान को माता के 51 शक्तिपीठों में से भी एक माना जाता है। शिव पुराण में आये माता भद्रकाली के उल्लेख के आधार पर श्रद्धालुओं का मानना है कि महादेव शिव द्वारा आकाश मार्ग से कैलाश की ओर ले जाये जाने के दौरान यहां दक्षकुमारी माता सती की मृत देह का दांया गुल्फ यानी घुटने से नीचे का हिस्सा गिरा था।

https://navinsamachar.wordpress.com/2016/01/17/bhadrakali/

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
माता भद्रकाली का यह धाम बागेश्वर जनपद में महाकाली के स्थान, कांडा से करीब 15 और जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी की दूरी पर सानिउडियार होते हुए बांश पटान, सेराघाट निकालने वाली सड़क पर भद्रकाली नाम के गांव में स्थित है। यह स्थान इतना मनोरम है कि इसका वर्णन करना वास्तव में बेहद कठिन है। माता भद्रकाली का प्राचीन मंदिर करीब 200 मीटर की चौड़ाई के एक बड़े भूखंड पर अकल्पनीय सी स्थिति में अवस्थित है। इस भूखंड के नीचे भद्रेश्वर नाम की सुरम्य पर्वतीय नदी 200 मीटर गुफा के भीतर बहती है। गुफा में बहती नदी के बीच विशाल ‘शक्ति कुंड’ कहा जाने वाला जल कुंड भी है, जबकि नदी के ऊपर पहले एक छोटी सी अन्य गुफा में भगवान शिव लिंग स्वरूप में तथा उनके ठीक ऊपर भूसतह में माता भद्रकाली माता सरस्वती, लक्ष्मी और महाकाली की तीन स्वयंभू प्राकृतिक पिंडियों के समन्वित स्वरूप में विराजती हैं।



[/size]

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
इस तरह देखें तो यहां तीन सतहों पर तीनों लोकों-नीचे नदी के सतह पर पाताल लोक, बीच में शिव गुफा और ऊपर धरातल पर माता भद्रकाली के दर्शन एक साथ होते हैं। इसके साथ ही पहाड़ के नीचे गुफा में बहने वाली नदी का मुहाना और गुफा का दृश्य बेहद मनोरम और रोमांचक है, तथा देवलोक की कल्पना को साकार करता प्रतीत होता है। गुफा के निचले मुहाने पर ऊपर से एक जलधारा माता महाकाली की जिह्वा के आकार के प्रस्तर पर शिव जटा से जल प्रपात के रूप में गिरती हुयी गंगा सी प्रतीत होती है। बाहर जल कुंड और जल प्रपात पर श्रद्धालु मंदिर में प्रवेश से पूर्व स्नान करते हैं। भीतर गहरी अंधेरी गुफा में साहसी युवक नदी के शीतल जल में प्रवेश करते हैं। गुफा में माता की सवारी शेर, बाघ व जंगली भालुओं के साथ ही चमगादड़ सहित अनेक हिंसक वन्य जीवों, पशु-पक्षियों की भी उपस्थिति बतायी जाती है, लेकिन यह कभी भी श्रद्धालुओं को नुक्सान नहीं पहुंचाते हैं।


source - https://navinsamachar.wordpress.com/2016/01/17/bhadrakali/

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
स्थानीय लोगों के अनुसार माता भद्रकाली का यह अलौकिक धाम करीब दो हजार वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है। भद्रकाली गांव के जोशी परिवार के लोग पीढ़ियों से इस मंदिर में नित्य पूजा करते-कराते हैं। वर्ष में चैत्र एवं शारदीय नवरात्रों के साथ ही अनेक पुण्य तिथियों पर यहां विशाल मेले लगते हैं। श्रीमद देवी भागवत के अतिरिक्त शिव पुराण और स्कन्द पुराण के मानस खंड में भी इस स्थान का जिक्र आता है,कहते हैं कि माता भद्रकाली ने स्वयं इस स्थान पर छः माह तक तपस्या की थी. यहाँ नवरात्र की अष्टमी तिथि को श्रद्धालु पूरी रात्रि हाथ में दीपक लेकर मनवांछित फल प्राप्त करने के लिए तपस्या करते हैं. कहते हैं इस स्थान पर शंकराचार्य के चरण भी पड़े थे.  मंदिर में ही पिछले करीब डेढ़ दशक से साधनारत बाबा निर्वाण चेतन उदासीन मुनि बताते हैं कि अंग्रेजी दौर से ही यह स्थान कर रहित रहा है। अंग्रेजों ने भी इस स्थान को अत्यधिक धार्मिक महत्व का मानकर गूठ यानी कर रहित घोषित किया था। आज भी यहां किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता है। माता सरस्वती की भी यहां मौजूदगी होने की वजह से यहां माता को बलि से प्रसन्न करने का प्राविधान नहीं है। वह केवल फूलों से ही प्रसन्न हो जाती हैं। वह बताते हैं कि माता भद्रकाली भगवान श्रीकृष्ण की कुलदेवी यानी ईष्टदेवी थीं। उनका एक मंदिर कुरुक्षेत्र हरियाणा, दूसरा झारखंड एवं तीसरा नेपाल के भद्रकाली जिले में भी स्थित है, जबकि गढ़वाल और महाराष्ट्र सहित अन्य स्थानों पर भी कई अन्य मंदिर हैं, और सभी की अपनी-अपनी महत्ता है, लेकिन उत्तराखंड के बागेश्वर जनपद स्थित मंदिर अपनी अलौकिक प्रकृति एवं पर्यावरण से देवत्व की अनुभूति कराता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

माता भद्रकाली के मंदिर के नीचे की गुफा का प्रवेश द्वार, जिसके बाहर है महाकाली की जिह्वा सरीखे प्रस्तर खंड से गिरती गंगा की जल धारा

By - Naveen Joshi

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22