गाड़िया जी धन्यवाद,
मैंने bhi माँ भगवती इस मंदिर के बारे बहुत सुना है, मेरे गाव से लोग हर बार इस मेले आयोजन में जाते है! मंदिर परागण के शायद एक शिला है जिसे लोग मेले के दिन उठाते है!
मेहता जी आपने सही सुना है | यहाँ मंदिर में ०२ बड़े-बड़े पत्थर के गोले हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में "च्यव" कहते हैं | ये पत्थर के गोले सालों पुराने है, जिन्हें मंदिर के संस्थापक द्वारा कहीं दूसरी जगह द्वारा लाया गया था | बोलते हैं कि वे इन्हें कम्बल की गादी में डालकर लाये थे (पहले ज़माने में लोग अपने शरीर को वस्त्र न होने के कारण कम्बल से ढकते थे जिन्हें गादी लगाना कहते थे) |
भक्त लोग यहाँ आकर इन पत्थर के गोलूं को उठाते हैं | कहते हैं कि ये गोले ताकत से नहीं उठते हैं, इन्हें उठाने के लिए माँ से शक्ति की याचना करनी पड़ती है | जिसने सच्चे दिल से माँ से याचना की होती है इन गोलों को उठा लेता है | इन गोलों को आदमी अपने कंधे तक उठा लेता है