चंडिका मंदिर -
चंडिका देवी जिन्हें यह मंदिर समर्पित है, वह पास के नंदप्रयाग सहित सात गांवों की ग्राम देवी हैं। गर्भगृह में स्थापित चांदी की प्रतिमा प्रभावशाली है और स्वाभाविक तौर पर महान भक्ति का श्रोत है। परिसर के अन्य मंदिर भगवान शिव, भैरव, हनुमान, गणेश तथा भूमियाल को समर्पित हैं।
कहा जाता है कि नवरात्र समारोह के दौरान वर्तमान पुजारी के एक पूर्वज को स्वप्न आया कि अलकनंदा देवी की एक मूर्ति नदी में तैर रही है। इस बीच वहां मवेशियों को चराने गये कुछ चरवाहों ने उसे देखा और उसे निकालकर एक गुफा में छिपा दिया। वे शाम तक घर नहीं लौटे तो गांव वासियों ने उनकी खोज की और उन्हें गुफा में छिपायी मूर्ति की बगल में अचेतावस्था में पाया। पुजारी मूर्ति को घर ले गया और फिर उसके बाद एक दूसरा स्वप्न श्रीयंत्र की खोज करने का आया जो एक खेत में छिपा था। उसने ऐसा ही किया। उसे और आगे यह आदेश मिला कि किस प्रकार मूर्ति के लिये उपयुक्त ढ़ांचे का निर्माण शहतूत की पेड़ की लकड़ी से किया जाय। यह स्थल लगभग 300 वर्ष पुराना है एवं मंदिर की देखभाल एक स्थानीय मंदिर समिति द्वारा होती है। यहां बड़े हर्षोल्लास से नवरात्र मनाया जाता है। परंपरागत रूप से देवी को पसुआ की बांहों में उठा सकता है, पर अब एक डोली में ले जाया जाता है।