किंकालेश्वर महादेव-कंडोलिया पौड़ी
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सरोज शर्मा- जनप्रिय लेख
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सम्पूर्ण उत्तराखंड देवभूमि क नाम से विख्यात च। ऋषि मुनियो की या पुण्य भूमि आज भि देव द्यपतो क नाम पर प्रतिष्ठित मंदिरो थैं अपणि गोद मा आश्रय देकि भारतीय संस्कृति थैं पोषित कनी च। पुरण जमना से ही भक्त गण अपण निष्ठा और भावना से अपण ईष्ट देव कि उपासना करदा छन।यख क जन-मानस शाक्त और शैव धर्म थैं मनणवल राई।ई कारण च कि ऐ तपोभूमि मा सर्वत्र शक्ति पीठ शिवालय विधमान छन।
उत्तराखंड क यूं मुक्ती धामों मा किंकालेश्वर महादेव कि महत्ता अद्वितीय च।
सिध्द पीठ किंकालेश्वर मंदिर गढ़वाल मुख्यालय पौड़ी म लगभग 2200 मीटर क ऊंचै मा घंणा देवदार, बांज, बुरांस, सुरै आदि क वृक्षो से सुशोभित च।
पौड़ी से कार, टैक्सी से लगभग 2.5 किलोमीटर क सफर तय कैरिक पौछदा छन। यख क हिमालय कि लम्बी पर्वत श्रंखलाओ कि हिमाच्छादित चोटी जैमा चौखम्बा, त्रिशूल, हाथी पर्वत, नंदा देवी, त्रिजुगी नारायण, श्री बद्री केदार क्षेत्र प्रमुख छन। जु कि स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर हुंदिन।
ऐ पवित्र स्थल क विषय म स्कन्दपुराण का केदार खण्ड मा लिख्यूं च कि ई स्थान कीनाश पर्वत पर स्थित च यख यमराज न भगवान शिव कि घोर तपस्या कैर तदुपरांत शिवजी न वर द्या कि कलयुग म मि गुप्त रूप से प्रकट हूंल और म्यांर नौ किंकालेश्वर, मुक्तेश्वर आदि ह्वाल।
मि कलयुग म भक्तो थैं मुक्ति प्रदान करलू। वर्तमान म कंकालेश्वर क अपभ्रंश किंकालेश्वर या क्यूंकालेश्वर च।
मंदिर क महंत चैतन्यान्नद जी न मठ थैं नै रूप द्या। जै क अंतर्गत पर्यटको थैं ठैरणा कि उचित व्यवस्था च। मंदिर कि सुन्दरता यख आणवल पर्यटको खुण आश्चर्य से कम नी, पैल मंदिर से अतिरिक्त रैणा कि व्यवस्था मंदिर परिसर से हटिक 200 गज ऊंची पहाड़ी म छै, जैक भग्नावेश आज भि छन। मंदिर क नजदीक धूनि भवन क अतिरिक्त क्वी भि अतिरिक्त भवन नि छाई, ई भवन लगभग 205 वर्ष पुरण बतयै जांद, हरि शर्मा मुनी जी ऐ क्षेत्र का प्रकांड विद्वान मा गिणै जांद छा, ऊंकि विद्वता क कारण किंग जार्ज पंचम क समय ऊंथैं महामहोपाध्याय कि उपाधि से विभूषित किऐ ग्या।
ब्वलेजांद कि वै समय मा क्वी वैदिक व्यवस्था,शिक्षण संस्थान नि छा, वैदिक शिक्षा कि आवश्यकता क अनुभव कैर क षडांग वेद शिक्षा प्रदान कनकि महंत हरि शर्मा मुनि जी न गंगा दशहरा बृहस्पतिवार 9 जून 1870 म गुरूकुल पद्धति अनुरूप संस्कृत विद्यालय की स्थापना कैर,
महंत श्री धर्मान्नद शर्मा मुनि जी क योगदान से ऐथैं 1928 मा क्वींस कालेज (वर्तमान म संपूर्णान्नद संस्कृत विधालय) वाराणसी से संबद्ध करवै, आज भि ई संस्था निशुल्क शिक्षा, भोजन, और आवास कि सुविधा छात्रों थैं दींद। मंदिर जाणक द्वी मार्ग छन, पैल कंडोलिया-रांसी-किंकालेश्वर मार्ग जु कि हल्का वाहनो खुण ठीक च, दूसर पैदल मार्ग जु एजेन्सी से आरंभ ह्वै कि मंदिर तक जांद, ऐकि लम्बाई द्वी किलोमीटर च। यख जन्माष्टमी और शिव रात्री मा श्रधालुओ कि भीड़ लगीं रैंद। श्रावण मास म भि भक्त जन शिवलिंग म दूध और जल चढाण कु अंदिन। ई पौराणिक स्थल धार्मिक पर्यटन कि दृष्टि से महत्वपूर्ण च।