मां भुवनेश्वरी सिध्द पीठ सांगुड़ा
सरोज शर्मा क जनप्रिय लेखन श्रंखला
बिलखेत सतपुली,पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल क बिलखेत, सागुंडा स्थित मां भुवनेश्वरी सिध्द पीठ पौंछण खुण राष्ट्रीय राजमार्ग 119 पर कोटद्वार पौड़ी क मध्य कोटद्वार से लगभग 54 किलोमीटर और पौड़ी से 52 किलोमीटर कि दूरी म स्थित एक सतपुली पौंछण पव्ड़द, सतपुली से बांघाट, ब्यास चट्टी, देवप्रयाग, मार्ग म लगभग आठ किलोमीटर कि दूरी म प्राकृतिक सुन्दरता और भव्यता न परिपूर्ण सांगुड़ा नामक स्थान म मां भुवनेश्वरी क सिध्द पीठ स्थित च।
लोकश्रुतियो क अनुसार जब विदेशी आक्रमणकारियों न पूजा स्थान थैं अपवित्र और खंडित कैर त पांचो देवियों न वीर भैरव क दगड़ केदारखण्ड कि तरफ प्रस्थान कार,
मां आदिशक्ति, भुवनेश्वरी, मां ज्वालपा, मां बाला सुंदरी, मां बालकुंवरी, और मां राजराजेश्वरी अपण यात्रा क दौरान नजीबाबाद पौंछिन, नजीबाबाद वै समय भौत बड़ी मंडी हूंद छै, संपूर्ण गढ़वाल म यखी बटिक सामान जांद छा,
पौड़ी जनपद का मनियारस्यूं पट्टी ग्राम सैनार का नेगी बंधु नजीबाबाद सामान लीण कु अयां छा, थकान क कारण मां भुवनेश्वरी मातृ लिंग क रूप म लूणकि बोरी म प्रविष्ट ह्वै गैं, अपण अपण समान लेकि नेगी बंधु कोटद्वार दुगड्डा ह्वैकि सांगुड़ा पौंछिन, सांगुडा म भगवान सिंह नेगी न दयाख वैकि लूण कि बोरी म एक पिण्डी च जै थैं ऊन ढुंग समझिक चुटा द्या, रात्री म मां भुवनेश्वरी न नेगी थैं सुपिणां म दर्शन दीं और आदेश दयाई कि मातृलिंग थैं सांगुड़ा म स्थापित किए जा,
नैथाना गौं का श्री नेत्रमणि नैथानी थैं भि ई आदेश ह्वा, तत्पश्चात विधि-विधान से मंत्रोच्चार सहित मां कि पिंडी कि स्थापना सांगुड़ा म करै गै,
मंदिर क भूमि क बार मा मतभेद च कुछ बव्लदिन मंदिर कि भूमि नैथना गौं कि ही च,कुछ बव्लदिन ई भूमि रावतों की च।
खूबसूरत घाटी सांगुड़ा म स्थित श्री भुवनेश्वरी सिध्द पीठ क एक ओर नयार और दूसर ओर हरा भरा खेत और समणि पहाड़ियो क दृष्य अनुपम सौंदर्य प्रदान करद, गर्भ गृह छोड़िक मंदिर क जीर्णोद्धार 1981 तथा1983 म ह्वाई, ऐ मंदिर क पुजरी ग्राम सैली का सेलवाल छन,
मंदिर क प्रबंधन एवं व्यवस्था नैथानी जाति क लोग करदिन, श्री भुवनेश्वरी ग्राम नैथाना, धारी कुण्ड, बिलखेत, दैसंण, सैली, सैनार, गोरली, आदि गौं का प्रमुख मंदिर छन। मकर संक्रांति क दिन यख गिन्दी क मेला भि लगद, जु भौत प्रसिद्ध च, सिध्द पीठ क उचित प्रबंधन खुण वर्ष 1991 मा एक समिती कि स्थापना करै ग्या, जीर्णोद्धार क अलावा सौंदर्यीकरण खुण भि योजनाएं चलयै गैन।सरया साल दर्शनार्थ मंदिर खुलयूं रैंद, पर अगस्त से मार्च तक मनोरम वातावरण रैंद, मंदिर परिसर म श्रद्धालुओ खुण धर्मशाला कि व्यवस्था च, पर भोजन जलपान कि व्यवस्था अफ्वी करण पव्ड़द। मंदिर से आठ किलोमीटर दूर सतपुली बजार च वख होटल रेस्टोरेंट व ठैरणा कि व्यवस्था आराम से ह्वै जांद