Author Topic: Folk Gods Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के स्थानीय देवी-देवता  (Read 97374 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सिधुआ देवता - सिधिनाथ के नाम से भी पूजा जाते है



रमोल -   रमोल देवता भी उत्तराखंड के कई भागो मे पूजे जाते है ! खासतौर से अल्मोड़ा, बागेश्वर आदि जगहों पर.. सिधुआ और विधुआ दो भाई ( देवता हो रमोल ने नाम के जाने जाते है) ! ये एक प्रकार के गावाला देवता है !


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड के देव भूमि कई देवता है... अब जानिए .. .

अजंडी बूबू -   अजंडी बूबू " धिनायी" यानी दूध दही से संबंधित देवता ! जब किसी आदमी की गाय एव भैस दूध देने वाली नही होती है, लोग अजंडी बूबू की पूजा करते है ! इन देवता की पूजा भी दूध दही के साथ ही होती है

छुल्मल -  छुल्मल देवता की कहानी भी लगभग same है.

पंकज सिंह महर

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मां भगवती

शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के रुप को उत्तराखण्ड में भगवती के नाम से पूजा जाता है। भगवती दो रुपों में पूजी जाती हैं, एक सात्विक रुप में, इनके मन्दिर में बलि नहीं दी जाती है और दूसरी भगवती के मन्दिर में बलि दी जाती है, चैत्र और दशहरे की नवरात्रियों में इनकी पूजा की जाती है और इनके मन्दिरों में नौ दिन तक नौर्त भी बैठते हैं।

पंकज सिंह महर

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सैम जी

शिव जी के रुप को सैम के नाम से उत्तराखण्ड में पूजा जाता है, सती जी की मृत्यु के बाद तपस्यारत शिवजी का यह एक रुप है। इनके मन्दिर में चन्दन चढ़ता है और इसके डंगरिया भी जोगी रुप में रह्ते हैं, इनका सबसे बड़ा मन्दिर गरुड़ाबांज (अल्मोड़ा) में झांकर सैम के रुप में अवस्थित है।

पंकज सिंह महर

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मलयनाथ जी की भी पूजा होती है, किसी को इनके बारे में जानकारी है?

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Source: http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_4355625_1.html

विषपत संक्राति पर पवित्र घाटों में श्रद्धालुओं ने किया स्नान

पिथौरागढ़। विषपत संक्रांति और अष्टमी पर्व के अवसर पर जनपद भर के पवित्र घाटों में हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया। इस अवसर पर जनपद मुख्यालय सहित विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों में पूजा अर्चना की गयी। गंगोलीहाट के महाकाली मंदिर और पाताल भुवनेश्वर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सीमान्त क्षेत्र धारचूला में परम्परा के अनुसार स्नान के बाद एक दूसरे को बिच्छू घास लगायी गयी।

अष्टमी पर्व पर जिला मुख्यालय के महादेव, शिव मंदिर, कपिलेश्वर, चण्डिका मंदिर, मोस्टामांणू, कामाक्षा देवी और कौशल्या देवी के मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। इन मंदिरों में हजारों श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा अर्चना की गयी।

गंगोलीहाट। अष्टमी पर्व पर क्षेत्र के प्रसिद्ध महाकाली मंदिर, पाताल भुवनेश्वर गुफा, चामुण्डा मंदिर, श्यामा देवी सहित तमाम मंदिरों में पूजा अर्चना की गयी। इस अवसर पर गंगोलीहाट बाजार में मेले का आयोजन भी किया गया। हजारों श्रद्धालुओं के यहां पहुंचने के कारण देर शाम तक नगर में भारी भीड़ जुटी रही।

कनालीछीना। अष्टमी पर्व पर क्षेत्र के प्रसिद्ध ध्वज मंदिर, बेतालेश्वर सहित अन्य देवस्थलों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने मंदिरों में पूजा अर्चना की। इसके अतिरिक्त डीडीहाट में भी अष्टमी पर्व पर मलयनाथ सहित अन्य देवस्थलों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा अर्चना की गयी।


मलयनाथ जी की भी पूजा होती है, किसी को इनके बारे में जानकारी है?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चनड़ी देवता

जैसे के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है की ये देवता चंदन लगाते है !  ये देवता मेरे कुल देवता भी है ! चनड़ी देवता ( चनड़ी वाण) के रूप मे माने जाते है ! ये भगवती माता के साथ उनकी डोली की ले जाने वाले देवता है !  खासतौर से इन देवताओ का वास हिमालय मे ही होता है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड मे नाग देवता भी कई जगह पर पूजे जाते है जैसे :-

 १)    धौली नाग
२)    फेडी नाग
३)   हरी नाग
४)  वाशुकी नाग

Risky Pathak

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Kaali Naag Bhi....

Pungarau Patti me inkaa 1 bdaa mandir hai


उत्तराखंड मे नाग देवता भी कई जगह पर पूजे जाते है जैसे :-

 १)    धौली नाग
२)    फेडी नाग
३)   हरी नाग
४)  वाशुकी नाग


Risky Pathak

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Ajendi Bubu Bhi HUmaare Gaanv me bhi Pooje Jaate hai...

Ye Dyaalu kisam ke Devtaa Hai...
Esaa Khte hai jab bhagwati mata ki doli jab baan ke saath jaati hai to un baano ko control karna inke hi haath me hota hai....

Ye Safed rang ke vastra me hote hai.. Raat me haath me 1 laalten prakaar ki liye.. devi ki doli ki braat me aakhiri me chalte hai....

Humaare gaanv me kai logo ne inhe bhot pehle dekhaa hua hai....




उत्तराखंड के देव भूमि कई देवता है... अब जानिए .. .

अजंडी बूबू -   अजंडी बूबू " धिनायी" यानी दूध दही से संबंधित देवता ! जब किसी आदमी की गाय एव भैस दूध देने वाली नही होती है, लोग अजंडी बूबू की पूजा करते है ! इन देवता की पूजा भी दूध दही के साथ ही होती है

छुल्मल -  छुल्मल देवता की कहानी भी लगभग same है.


 

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