MeraPahad Community Of Uttarakhand Lovers
Welcome,
Guest
. Please
login
or
register
.
1 Hour
1 Day
1 Week
1 Month
Forever
Login with username, password and session length
News:
Home
Help
Search
Calendar
Login
Register
MeraPahad Community Of Uttarakhand Lovers
»
Tourism in Uttarakhand
»
Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां
(Moderator:
सुधीर चतुर्वेदी
) »
Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
Send this topic
Print
Pages: [
1
]
2
3
4
5
...
15
Author
Topic: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान (Read 67016 times)
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
on:
October 31, 2009, 07:51:45 AM »
गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है।
यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है। गंगा मैंया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था।
प्रत्येक वर्ष मई से अक्टूबर के महीनो के बीच पतित पावनी गंगा मैंया के दर्शन करने के लिए लाखो श्रद्धालु तीर्थयात्री यहां आते है। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है।
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #1 on:
October 31, 2009, 07:54:23 AM »
गंगोत्री का पौराणिक संदर्भ
ऋगवेद में गंगा का वर्णन कहीं-कहीं ही मिलता है पर पुराणों में गंगा से संबंधित कहानियां अपने-आप आ गयी। कहा जाता है कि एक प्रफुल्लित सुंदरी युवती का जन्म ब्रह्मदेव के कमंडल से हुआ। इस खास जन्म के बारे में दो विचार हैं। एक की मान्यता है कि वामन रूप में राक्षस बलि से संसार को मुक्त कराने के बाद ब्रह्मदेव ने भगवान विष्णु का चरण धोया और इस जल को अपने कमंडल में भर लिया।
दूसरे का संबंध भगवान शिव से है जिन्होंने संगीत के दुरूपयोग से पीड़ित राग-रागिनी का उद्धार किया। जब भगवान शिव ने नारद मुनि ब्रह्मदेव तथा भगवान विष्णु के समक्ष गाना गाया तो इस संगीत के प्रभाव से भगवान विष्णु का पसीना बहकर निकलने लगा जो ब्रह्मा ने उसे अपने कमंडल में भर लिया। इसी कमंडल के जल से गंगा का जन्म हुआ और वह ब्रह्मा के संरक्षण में स्वर्ग में रहने लगी।
ऐसी किंबदन्ती है कि पृथ्वी पर गंगा का अवतरण राजा भागीरथ के कठिन तप से हुआ, जो सूर्यवंशी राजा तथा भगवान राम के पूर्वज थे। मंदिर के बगल में एक भागीरथ शिला (एक पत्थर का टुकड़ा) है जहां भागीरथ ने भगवान शिव की आराधना की थी। कहा जाता है कि जब राजा सगर ने अपना 100वां अश्वमेघ यज्ञ किया (जिसमें यज्ञ करने वाले राजा द्वारा एक घोड़ा निर्बाध वापस आ जाता है तो वह सारा क्षेत्र यज्ञ करने वाले का हो जाता है) तो इन्द्रदेव ने अपना राज्य छिन जाने के भय से भयभीत होकर उस घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम के पास छिपा दिया।
राजा सगर के 60,000 पुत्रों ने घोड़े की खोज करते हुए तप में लीन कपिल मुनि को परेशान एवं अपमानित किया। क्षुब्ध होकर कपिल मुनि ने आग्नेय दृष्टि से तत्क्षण सभी को जलाकर भस्म कर दिया। क्षमा याचना किये जाने पर मुनि ने बताया कि राजा सगर के पुत्रों की आत्मा को तभी मुक्ति मिलेगी जब गंगाजल उनका स्पर्श करेगा। सगर के कई वंशजों द्वारा आराधना करने पर भी गंगा ने अवतरित होना अस्वीकार कर दिया।
अंत में राजा सगर के वंशज राजा भागीरथ ने देवताओं को प्रसन्न करने के लिये 5500 वर्षों तक घोर तप किया। उनकी भक्ति से खुश होकर देवी गंगा ने पृथ्वी पर आकर उनके शापित पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति देना स्वीकार कर लिया। देवी गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के वेग से भारी विनाश की संभावना थी और इसलिये भगवान शिव को राजी किया गया कि वे गंगा को अपनी जटाओं में बांध लें। (गंगोत्री का अर्थ होता है गंगा उतरी अर्थात गंगा नीचे उतर आई इसलिये यह शहर का नाम गंगोत्री पड़ा।
भागीरथ ने तब गंगा को उस जगह जाने का रास्ता बताया जहां उनके पूर्वजों की राख पड़ी थी और इस प्रकार उनकी आत्मा को मुक्ति मिली। परंतु एक और दुर्घटना के बाद ही यह हुआ। गंगा ने जाह्नु मुनि के आश्रम को पानी में डुबा दिया। मुनि क्रोध में पूरी गंगा को ही पी गये पर भागीरथ के आग्रह पर उन्होंने अपने कान से गंगा को बाहर निकाल दिया। इसलिये ही गंगा को जाह्नवी भी कहा जाता है।
बर्फीली नदी गंगोत्री के मुहाने पर, शिवलिंग चोटी के आधार स्थल पर गंगा पृथ्वी पर उतरी जहां से उसने 2,480 किलोमीटर गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक की यात्रा शुरू की।
इस विशाल नदी के उद्गम स्थल पर इसका नाम भागीरथी है जो उस महान तपस्वी भागीरथ के नाम पर है जिन के आग्रह पर गंगा स्वर्ग छोड़कर पृथ्वी पर आयी। देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलने पर इसका नाम गंगा हो गया।
माना जाता है कि महाकाव्य महाभारत के नायक पांडवों ने कुरूक्षेत्र में अपने सगे संबंधियों की मृत्यु पर प्रायश्चित करने के लिये देव यज्ञ गंगोत्री में ही किया था।
गंगा को प्रायः शिव की जटाओं में रहने के कारण भी आदर पाती है। एक दूसरी किंबदन्ती यह है कि गंगा मानव रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुई और उन्होंने पांडवों के पूर्वज राजा शान्तनु से विवाह किया जहां उन्होंने सात बच्चों को जन्म देकर बिना कोई कारण बताये नदी में बहा दिया।
राजा शांतनु के हस्तक्षेप करने पर आठवें पुत्र भीष्म को रहने दिया गया। पर तब गंगा उन्हें छोड़कर चली गयी। महाकाव्य महाभारत में भीष्म ने प्रमुख भूमिका निभायी।
http://hi.wikipedia.org
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #2 on:
October 31, 2009, 07:57:28 AM »
गंगोत्री का इतिहास
गंगोत्री शहर धीरे-धीरे उस मंदिर के इर्द-गिर्द विकसित हुआ जिसका इतिहास 700 वर्ष पुराना हैं, इसके पहले भी अनजाने कई सदियों से यह मंदिर हिदुओं के लिये आध्यात्मिक प्रेरणा का श्रोत रहा है। चूंकि पुराने काल में चारधामों की तीर्थयात्रा पैदल हुआ करती थी तथा उन दिनों इसकी चढ़ाई दुर्गम थी इसलिये वर्ष 1980 के दशक में गंगोत्री की सड़क बनी और तब से इस शहर का विकास द्रुत गति से हुआ।
गंगोत्री शहर तथा मंदिर का इतिहास अभिन्न रूप से जुड़ा है। प्राचीन काल में यहां मंदिर नहीं था। भागीरथी शिला के निकट एक मंच था जहां यात्रा मौसम के तीन-चार महीनों के लिये देवी-देताओं की मूर्तियां रखी जाती थी इन मूर्तियों को गांवों के विभिन्न मंदिरों जैसे श्याम प्रयाग, गंगा प्रयाग, धराली तथा मुखबा आदि गावों से लाया जाता था जिन्हें यात्रा मौसम के बाद फिर उन्हीं गांवों में लौटा दिया जाता था।
गढ़वाल के गुरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने 18वीं सदी में गंगोत्री मंदिर का निर्माण इसी जगह किया जहां राजा भागीरथ ने तप किया था। मंदिर में प्रबंध के लिये सेनापति थापा ने मुखबा गंगोत्री गांवों से पंडों को भी नियुक्त किया। इसके पहले टकनौर के राजपूत ही गंगोत्री के पुजारी थे। माना जाता है कि जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने 20वीं सदी में मंदिर की मरम्मत करवायी।
ई.टी. एटकिंस ने दी हिमालयन गजेटियर (वोल्युम III भाग I, वर्ष 1882) में लिखा है कि अंग्रेजों के टकनौर शासनकाल में गंगोत्री प्रशासनिक इकाई पट्टी तथा परगने का एक भाग था।
वह उसी मंदिर के ढांचे का वर्णन करता है जो आज है। एटकिंस आगे बताते हैं कि मंदिर परिवेश के अंदर कार्यकारी ब्राह्मण (पुजारी) के लिये एक छोटा घर था तथा बाहर तीर्थयात्रियों के लिये लकड़ी का छायादार ढांचा था।
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #3 on:
October 31, 2009, 08:18:04 AM »
गंगोत्री की सभ्यता
यहां कई कुंड या तालाब हैं जिनके नाम, ब्रह्मकुंड, विष्णु तथा अन्य मिलते जुलते कुंड हैं। इनमें तीर्थयात्रियों के लिये, डुबकी लगाना कर्मकांडों का एक महत्वपूर्ण अंश होता है जो यहां आते हैं। डुबकी के साथ पुजारियों को दिया गया दान सभी पाप कर्मों से मुक्ति दिलाता है।
गंगोत्री के पुजारी ब्राह्मण गंगोत्री इतिहास से जुड़े हैं। गंगोत्री के कार्यकारी पंडा मुखबा गांव के सेमवाल ब्राह्मण हैं तथा उनकी नियुक्ति अमर सिंह थापा ने की थी। वे गढ़वाल ब्राह्मणों के सरोला सब-डिविजन के होते हैं। गढ़वाल के सभी ब्राह्मण सामान्य रूप से गंगारी श्रेणी के होते है (वे लोग जो गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के साथ रहते हैं) पर बेहतर वर्ग अपने को सरोला श्रेणी का मानते हैं,
वे जो गढ़वाल के राजाओं के रसोईयों के पूर्वजों के वंशज होते है और इसीलिये यह नाम है। दूसरा यह कि जब सैनिक रखना आवश्यक हो गया तो राजा अभय पाल द्वारा उन्हें युद्ध स्थलों में सैनिकों के लिये भोजन बनाने के लिये नियुक्त किया गया और फिर यह आदेश जारी किया गया कि राजा द्वारा नियुक्त ब्राह्मणों की रसोई के एक ही बर्त्तन से सभी भोजन करें - जिस रिवाज जो आज भी कायम है।
यात्रा के मौसम के समय गंगोत्री में रहने वाले ब्राह्मणों-पुजारियों के अलावा गंगोत्री में देश के विभिन्न भागों से तीर्थयात्रियों का तांता लगा होता है तथा सदियों से यहां की आबाजाही आबादी को बढ़ाता रहा है और आज भी है। गंगोत्री शहर तक सड़क बनने से पहले लोगों के लिये यहां घर बसाना प्रायः असंभव सा होता था तथा इस निर्जन स्थान तक पहुंचने में भारी कठिनाईयां आती थी।
इसके बाद पर्यटन एवं यात्रा मौसम से संबद्ध छोटे व्यापारी एवं देश के विभिन्न भागों से साधु यहां आकर बस गये। इन व्यापारियों में से कुछ ब्राह्मण परिवार हैं पर इनके कई राजपूत भी है।
पारिवारिक बंधन यहां बहुत गहरे है तथा अपेक्षाकृत थोड़े से लोग ही इस स्थल का नियंत्रण करते हैं। गंगोत्री की अर्थव्यवस्था मौसमी है क्योंकि लोग अप्रैल से अक्टूबर तक ही तीर्थयात्रा करते हैं और जाड़े में कम ऊंचाई की जगहों पर चले जाते हैं।
गंगोत्री में धर्म तथा अर्थशास्त्र अभिन्न रूप से जुड़े हैं जैसा कि सभी हिंदु तीर्थस्थलों में है। पंडों का अपने यजमानों के साथ परिवार जैसा ही संबंध होता है। पंड़े अपने यजमानों के भोजन, आवास, परिवहन एवं कर्मकांड़ों का पूरा ख्याल रखते हैं जबकि यजमान इसके बदले पारिश्रमिक तथा उपहार देते हैं।
इस नमूने को गंगोत्री के विकास ने बदल दिया है और पंड़ों का स्थान गौण हो गया है क्योंकि लोगों के लिये आवासीय विकल्प उपलब्ध हो गये हैं अब कई पंडा-परिवार दूकानें या होटल खोलकर व्यवसाय में लग गये हैं पर मोटे तौर पर उनकी आर्थिक अवस्था बदल गई है।
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #4 on:
October 31, 2009, 08:33:33 AM »
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #5 on:
October 31, 2009, 08:34:53 AM »
गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी की दूरी पर स्थित है।
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #6 on:
October 31, 2009, 08:35:34 AM »
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #7 on:
October 31, 2009, 08:36:51 AM »
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #8 on:
October 31, 2009, 08:38:22 AM »
Logged
Devbhoomi,Uttarakhand
MeraPahad Team
Hero Member
Posts: 13,048
Karma: +59/-1
Re: Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
«
Reply #9 on:
October 31, 2009, 08:39:44 AM »
gangotri mandir ka raat ka najaaraa
Logged
Send this topic
Print
Pages: [
1
]
2
3
4
5
...
15
MeraPahad Community Of Uttarakhand Lovers
»
Tourism in Uttarakhand
»
Religious Places Of Uttarakhand - देव भूमि उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध देव मन्दिर एवं धार्मिक कहानियां
(Moderator:
सुधीर चतुर्वेदी
) »
Gangotri, the Source of the River Ganga,गंगोत्री गंगा नदी का उद्गगम स्थान
Sitemap
1
2
3
4
5
6
7
8
9
10
11
12
13
14
15
16
17
18
19
20
21
22