धरती पर देवता और स्वर्ग में मन
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लोस्तु(कीर्तिनगर)
स्वस्तिन इंद्रो वृदसर्वाहा, स्वस्तिन.. मंदिर में स्वस्तिनवाचन मंत्र की गूंज, बाहर परिसर में ढोल दमाऊं की गर्जना, घंटों के स्वर, भंकोरों की दिव्य ध्वनियां, शंखनाद व चारों ओर घंटाकर्ण के जयकारे। इस बीच देवता अवतरण और श्रद्धालुओं को अक्षत का आशीर्वाद देना। ऐसा है इन दिनों घंटाकर्ण (घंडियाल)देवता की महाजात का दिव्य वातावरण। सैकड़ों किमी से लोग यहां पहुंचकर मन्नत मांग रहे हैं। कोई मनोरथ पूरा होने पर घंटे और छत्र भेंट चढ़ा रहा है तो कोई वांछित फल मिलने पर यहां दोबारा आने का संकल्प ले रहा है। घंटाकर्ण देवता के प्रति भक्तों की प्रगाढ़ आस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पांच दिनों में ही यहां करीब ढ़ाई सौ घंटे, दो सौ छत्र और करीब चार लाख रुपये की नगदी भेंट स्वरूप एकत्र हो चुकी है। लोस्तु पट्टी के प्रसिद्ध घंडियालधार मंदिर में बीती 11 जनवरी से शुरू हुई महाकुंभीय महाजात का शनिवार को पांचवां दिन था। तीस गांवों के करीब बारह सौ परिवारों औश्र अठारह जातियों के इस संयुक्त आयोजन में चिकित्सा, यातायात व मनोरंजन की समुचित व्यवस्था है। सैकड़ों साल पहले स्थापित इस सिद्धपीठ में औश्र नौ रात्रि तक लगातार महायज्ञ चल रहा है। चारों प्रहर पूजन होता है और देवता अवतरित होते हैं। इनमें घंटाकर्ण के अतिरिक्त कैलापीर, देवी, नागराजा, हूणिया, कालिंका, हनुमान आदि हैं। कई परेशानियों से पीड़ित लोग दूर-दूर से आकर देवता से समस्याएं बताते हैं देवता समस्या का कारण औश्र उपाय बताता है। घंटाकर्ण, कैलापीर और देवी मिलकर तंत्र शक्तियों का शमन करते हैं। इस महामेले में इन गांवों के अतिरिक्त चंडीगढ़, दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों के श्रद्धालु भाग ले रहे हैं।
बारिश भी नहीं डिगा पाई कदम
लोस्तु(कीर्तिनगर): कल से लगातार हो रही बारिश और हल्की बर्फबारी से भले ही क्षेत्र में तापमान में गिरावट आई हो लेकिन भक्तों की आस्था बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हो पाई है। भारी बारिश व ठंड के बावजूद भी टोला, ग्वाड़, रिंगोली, खोंगचा आदि गांवों से लोग मेले में पहुंच रहे हैं। भेंट चढ़ाने के लिए लोगों को घंटों तक लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है।
Dainik jagran