सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह की तपस्थली श्री हेमकुण्ड साहिब हिमाच्छादित सात पर्वत चोटियों के बीच 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि गुरुजी को खालसा ग्रंथ लिखने की प्रेरणा यहीं मिली। इसका उल्लेख गुरुजी के विचित्र नाटक में भी वर्णित है-
अब मैं अपनी कथा बखानों, तप साधत जिहि, विधि इह आनों, हेमकुंड परबत है जहां, सप्त श्रृंग शोभित है तहां।
गुरु गोविंदसिंह जी कि तपस्थली हेमकुण्ड साहिब गुरुद्वारा व पवित्र सरोवर में एक बार दर्शन एवं स्नान करने से पुण्य लाभ व स्वर्गीय आनंद की प्राप्ति होती है। इसके लिए प्रतिवर्ष लाखों श्रद्घालु यहां दर्शन एवं पवित्र सरोवर में स्नान को पहुंचते हैं। सर्वप्रथम हेमकुण्ड को ढूढ़ने का श्रेय हवलदार सोहन सिंह को जाता है। एक किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हेमकुंड सरोवर सात बर्फीली पहाडि़यों से घिरा मनमोहक स्थल है। शीतकाल में यह सरोवर बर्फ के मैदान में परिवर्तित हो जाता है। श्री हेमकुण्ड साहिब के कपाट प्रतिवर्ष पहली जून को खुलते हैं और अक्तूबर प्रथम सप्ताह में बंद हो जाते हैं।
कैसे पहुंचें
अलकनंदा और लक्ष्मण गंगा नदियों के संगम स्थल पर स्थित गोविंदघाट श्री हेमकुण्ड साहिब यात्रा का मुख्य पड़ाव है। हरिद्वार से गोविंदघाट तक सीधी बस सेवा है। जबकि दिल्ली से देहरादून तक के लिए सीधी हवाई, बस व रेल सेवा है।