"कुमाऊं का इतिहास" में जागेश्वर के बारे में निम्न वर्णन है-
कूर्मांचल में जागीश्वर सबसे बड़ा मंदिर है, जिसमें बहुत सी गूंठें हैं। मानसखंड में भी इसका वर्णन है, यहां अनेक देवता हैं, जिनके मंदिर अन्यत्र भी हैं, यथा तरुण जागीश्वर, वृद्ध जागीश्वर, भांडेश्वर, मृत्युंजय, डंडेश्वर, गडारेश्वर, केदार, बैजनाथ, वैद्यनाथ, भैरवनाथ, चक्रवक्रेश्वर, नीलकंठ, बालेश्वर, विमेश्वर, बागीश्वर, बाणीश्वर, मुक्तेश्वर, डुंडेश्वर, कमलेश्वर, हाटेश्वर, पाताल भुवनेश्वर, भैरवेश्वर, लक्ष्मीश्वर, पंचकेदार, बह्रकपाल, क्षेत्रपाल या समद्यो तथा यह शक्तियां भी पूजीं जाती हैं- पुष्टि, चंडिका, लक्ष्मी, नारायणी, शीतला एवं महाकाली।
वृद्ध जागीश्वर ऊपर चोटी में चार मील पर है और क्षेत्रपाल लगभग ५ मील पर है। यह मंदिर अल्मोड़ा और गंगोली के बीच में है। अल्मोड़ा से उत्तर की ओर १६ मील पर यह मंदिर है। यहां महादेव ज्योर्तिलिंग के रुप में पूजे जाते हैं। सबसे बड़े मंदिर जागीश्वर, मृत्युंजय और डंडेश्वर हैं, कहा जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य ने मृत्युंजय का मंदिर वहां आकर बनवाया था तथा सम्राट शालिवाहन ने जागीश्वर का मंदिर बनवाया। पश्चात में शंकराचार्य ने आकर इन तमाम मंदिरों की फिर से प्रतिष्ठा करवाई तथा कत्यूरी राजाओं ने भी इसका जीर्णोद्धार किया।..............जारी