Deepak Benjwal a
दहकते आंगारो पर जाख राजा का नृत्य
दस्तक ...ठेठ पहाड़ से
जाखधार ( गुप्तकाशी )
केदारघाटी के जाखधार में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले दो दिवसीय जाख मेले का बुधवार को भव्य रूप से समापन हो गया। भगवान जाख के पश्वा ने दहकते अंगारों के बीच नंगे पांव नृत्य किया। मेले में हजारों की संख्या में मौजूद भक्तों के जयकारे से माहौल भक्तिमय हो गया।
केदारघाटी के जाखधार में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाले जाख मेले का इस बार भी भव्य रूप से आयोजन किया गया। नारायणकोटी, कोठेडा, नाला, देवशाल समेत अन्य गांवों के सहयोग से 13 अप्रैल से मेले की तैयारियां शुरू हो गई थी। बीते मंगलवार की सुबह प्रत्येक परिवार से एक-एक व्यक्ति ने मंदिर पहुंचकर मंदिर में लकड़ियों को एकत्रित किया। मंदिर परिसर में करीब 15 फीट ऊंची पवित्र मूंडी का निर्माण किया गया, जिसकी विधिवत पूजा अर्चना की गई। संक्रांति के दिन शाम को भगवान जाख के गृह स्थान देवशाल से भगवान की डोली गाजे बाजे के साथ मंदिर परिसर पहुंची। यहां पूजा अर्चना के बाद फिर से जाख देवता की मूर्ति स्थापना कर उनका श्रृंगार किया गया। चारों कोनों पर विधिवत पूजा अर्चना के बाद अग्नि प्रज्ज्वलित की गई। रात्रि को नारायण भगवान ने पश्वा में अवतरित होकर मूंडी के शिखर पर आग जलाई। जल व दूध से स्नान कर करीब ढाई बजे पश्वा ने अग्निकुंड में प्रवेश किया। जहां उन्होंने दहकते अंगारों के बीच नृत्य किया। वहा हजारों की संख्या में मौजूद भक्तों ने जाख राजा के जयकारे किए। इससे पूरा माहौल भक्तिमय बन गया। इस मौके पर भारी संख्या में भक्तगण मौजूद थे।