Author Topic: Kailash Mansarovar - कैलाश मानसरोवर यात्रा:उत्तराखण्ड की प्रसिद्ध धार्मिक यात्रा  (Read 72456 times)

हेम पन्त

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  SAD NEWS..
 
धारचूला (पिथौरागढ़) । कैलास-मानसरोवर की परिक्रमा पूरी कर लौट रहे चौथे दल का एक सदस्य मालपा के निकट काली नदी में समा गया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और आईटीबीपी कर्मी यात्री की खोज में जुटे हुए हैं।
कैलास यात्रा पूरी कर चौथा यात्री दल सोमवार को बूंदी से धारचूला आ रहा था। सुबह साढ़े आठ बजे के आसपास जब दल लामारी और मालपा के बीच था तो दल में शामिल महाराष्ट्र के पुणे निवासी श्याम जगताप (44 वर्ष) मार्ग से फिसल कर काली नदी में जा गिरे। साथियों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया परन्तु कठिन रास्ता होने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। श्याम जगताप की पत्‍‌नी भी दल में शामिल हैं। दल को सोमवार की देर सायं आधार शिविर धारचूला पहुंचना था। पुलिस के वायरलैस द्वारा घटना की सूचना जिला प्रशासन को दी। सूचना मिलते ही तहसील मुख्यालय से एसडीएम नवनीत पांडे, थाना प्रभारी सहित अन्य अधिकारी और पुलिस बल रवाना हो चुके हैं। दूसरी तरफ आईटीबीपी के जवान भी यात्री को ढूंढने में जुटे हुए हैं। इधर एसएसबी, आईटीबीपी, पिथौरागढ़ और चम्पावत जनपदों की पुलिस को काली नदी में टनकपुर तक निगरानी रखने के निर्देश दिये गये हैं। घटना की जानकारी यात्री के परिजनों को दी जा चुकी है।
 
Source : Dainik Jagran

हेम पन्त

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इस वेबसाइट पर जाकर आप कैलाश मानसरोवर यात्रियों के प्रत्येक दल की ताजातरीन फोटो देख सकते हैं..
www.kumaonaurkailash.com

Devbhoomi,Uttarakhand

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वर्तमान में कैलाशमानसरोवर की यात्रा शासकीय आधार पर कई प्रतिबंधों लेकिन समुचित सुविधाओं के साथ दिल्ही से प्र्र्रम्भ होती है यहाँ से कैलाश मानसरोवर की कुल दूरी ८६५ किलोमीटर है!दिल्ही से चलकर मुरादाबाद,रामपुर,हल्द्वानी,काठगोदाम,भुवाली तथा अल्मोड़ा होते हुए रेलगाड़ी तथा सड़क मार्ग से बागेश्वर पहुचा जाता है !

बगेस्व्र से कांडा,विजयपुर,कोटमन्या होते हुए चाय बागानों के लिए प्रशिध चौकोड़ी,२०१० मीटर  पहुंचा जाता है चौकोड़ी से सरयू,रामगंगा गोरी नदियों को पार करते हुए डीडीहाट,अगोला तथा जौलजीवी होकर धारचूला ७००मितेर पहुँचते हैं !

यहीं पर यात्री  रात्री विश्राम करते हैं तथा यात्रियों का चिकित्स्यीय परिक्षण होता है धारचूला से १९ किलोमीटर आगे तवाघाट है जहां पर तीव्र वेग से गर्जन करती हुयी धौली तथा कलि नदी का संगम है !

त्वाघट से १७ किलोमीटर आगे मांगटी तथा चार किलोमीटर की दूरी पर गाला (२४४० मीटर )है जहां कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा निर्मित विश्राम कुटियों के साथ सिविर सुवुधएं उपलब्ध है !


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कैलास-मानसरोवर यात्रा मार्ग खुला
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धारचूला/मुनस्यारी/डीडीहाट: विगत कई दिनों से बंद कैलास-मानसरोवर यात्रा मार्ग और मुनस्यारी मार्ग यातायात के लिये खुल चुके हैं। अलबत्ता तवाघाट-सोबला मार्ग खेत के पास बंद होने से नारायणआश्रम मार्ग अभी भी बंद है। डीडीहाट के लोहाथल के खोला गांव में दोमंजिला मकान ध्वस्त हो गया। हादसे में एक वृद्ध घायल हो गया। मुनस्यारी के आपदा प्रभावित क्वीरीजीमिया गांव में अभी भी हालत सामान्य नहीं हुए हैं। आपदा क्षेत्र का निरीक्षण करने जिलाधिकारी मुनस्यारी पहुंचे हैं। भारी वर्षा से पिथौरागढ़-धारचूला मार्ग मलबा आने से रात भर बंद रहा।

विगत डेढ़ माह से बंद चल रहा कैलास-मानसरोवर यात्रा मार्ग तीन तोला और मांगती के पास यातायात के लिये खुल चुका है। विदित हो कि इन स्थानों पर मार्ग बंद रहने के कारण कैलास यात्रियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। एक दल को मार्ग बदल कर वाया नारायणआश्रम होते हुए भेजा गया था। मार्ग बंद होने के कारण समय पर यात्रा दल नहीं पहुंच पाये थे। इधर दो दिनों से वर्षा कम होने से मार्ग खुल चुका है। तहसील में ही तवाघाट से सोबला जाने वाला मार्ग खेत के पास बंद है। जिसके चलते सोबला और नारायणआश्रम नहीं पहुंचा जा रहा है। सोबला और झिमर गांव में खतरा बना हुआ है। रात को हो रही वर्षा से पहाड़ से मलबा गिर रहा है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6712417.html

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753 यात्रियों ने किये कैलास मानसरोवर के दर्शन
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पिथौरागढ़: इस वर्ष देश के विभिन्न राज्यों के 753 यात्रियों ने तिब्बत पहुंच कर कैलास मानसरोवर की परिक्रमा की। यात्री सोलह दलों में कैलास पहुंचे। सोलहवें दल के दिल्ली पहुंचते ही यात्रा का समापन हो जायेगा। इस वर्ष की यात्रा में एक यात्री की काली नदी में बहने से मौत हो गई थी। तीन यात्रियों को मार्ग में बीमार पड़ने से वापस लौटना पड़ा। कुल मिला कर इस वर्ष की यात्रा बिना किसी बड़ी घटना के सम्पन्न हुई।

एक जून से शुरू होने वाली कैलास-मानसरोवर यात्रा में इस वर्ष 16 दल गये थे। सोलहवें दल के कैलास-मानसरोवर परिक्रमा पूरी कर लौटते ही यात्रा का समापन हुआ। इस वर्ष सोलह दलों में देश के विभिन्न राज्यों से 753 यात्री कैलास मानसरोवर गये थे। जिसमें 172 महिलाएं और 581 पुरुष शामिल थे। यात्रा के तेरहवें और अंतिम सोलहवें दल को वापसी में मौसम का कहर झेलना पड़ा था। जबकि चौथे दल का एक सदस्य कैलास-मानसरोवर परिक्रमा पूरी कर वापस लौटने के दौरान लामारी और मालपा के बीच काली नदी में बहा। इसके अलावा तीन यात्री यात्रा में जाते समय पैदल मार्ग में बीमार पड़े थे, जो आधे में ही यात्रा छोड़कर वापस लौटे।

तिब्बत में कैलास-मानसरोवर की परिक्रमा पूरी कर वापसी में मौसम मात्र तेरहवें और सोलहवें दल के लिये बाधक बना। तेरहवें दल के बूंदी पहुंचने के बाद मालपा और नजंग में पुल बहने से यात्रियों को दो दिन बूंदी में रुकना पड़ा। वैकल्पिक पुलों की व्यवस्था करने के बाद दल को धारचूला लाया गया। उक्त दल जब धारचूला से काठगोदाम को रवाना हुआ तो चोपड़ा के पास मार्ग बंद होने से दल तीन दिन फंसा रहा। वहीं अंतिम दल को तो छ: रातें गुंजी में बितानी पड़ी। कड़ाके की ठंड के बाद यह दल शनिवार को हैलीकाप्टर से धारचूला लाया गया। इधर यात्रा का संचालन करने वाले कुमाऊ मंडल विकास निगम के पिथौरागढ़ पर्यटक आवास गृह के प्रबंधक दिनेश गुरुरानी और यात्राधिकारी बची राम आर्य ने इस वर्ष की यात्रा के शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होने पर यात्रा में तैनात निगम कर्मियों सहित अन्य संबंधित लोगों का आभार जताया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6755109.html

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कैलास-मानसरोवर यात्रा के पैदल मार्ग में फेरबदल
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पिथौरागढ़: कैलास-मानसरोवर यात्रा 2011 की तैयारियां शुरू होने लगी हैं। यात्रा के संबंध में गुरुवार को नई दिल्ली में पहली बैठक सम्पन्न हो गई है। इस वर्ष आधार शिविर धारचूला से आगे की पैदल यात्रा मार्ग में आंशिक परिवर्तन किया गया है। 7वीं वाहिनी भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सेनानी विश्वनाथ आनंद ने बताया कि अब यात्रा वाया पांगला के बजाय पांगू नारायणआश्रम होते हुए संचालित की जाएगी। यात्रा में जाते समय कालापानी पड़ाव नहीं रहेगा। यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए इस वर्ष व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा। यात्रा में 18 से 70 वर्ष तक के ही यात्री भाग ले सकेंगे।

विदेश मंत्रालय के निदेशक की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में वर्ष 2011 की कैलास-मानसरोवर यात्रा के लिए रूपरेखा तय की गई। धारचूला से आगे की यात्रा में पांगला मार्ग के अधिकांश बंद रहने के कारण इस बार यात्रा वाया नारायणआश्रम होते हुए संचालित होगी। जिसके चलते इस बार पांगू और सिर्खा दो पड़ाव बढ़ जाएंगे। तीसरे दिन का पड़ाव गाला होगा। मालूम हो कि अभी तक गाला प्रथम पैदल पड़ाव होता था। इस बार जाते समय कालापानी भी पड़ाव नहीं रहेगा। दल एक दिन गुंजी में विश्राम करने के बाद सीधे अंतिम भारतीय पड़ाव नाभीढांग पहुंचेगा। जहां से यात्री लीपूलेख दर्रा पार कर तिब्बत में प्रवेश करेंगे।

बैठक में शामिल 7वीं वाहिनी भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सेनानी विश्वनाथ आनंद ने बताया कि पांगू और सिर्खा पड़ावों के रखरखाव और मरम्मत के केएमवीएन को निर्देश दे दिए गये हैं। जनवरी माह में विदेश मंत्रालय की एक टीम पिथौरागढ़ पहुंच कर दोनों पड़ावों का निरीक्षण करेगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष से यात्रियों की संख्या बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया है। चीन के साथ हुए करार के अनुसार नौ सौ यात्री कैलास-मानसरोवर के दर्शन कर सकते हैं। जिसे देखते हुए इस बार यात्रा के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि यात्रा संचालक कुमाऊ मंडल विकास निगम को 27 सीटर नई बसें खरीदने को कहा गया है। इस वर्ष से यात्रियों को काठगोदाम से नारायणआश्रम तक इन्हीं बसों से पहुंचाया जाएगा। यात्रा प्रतिवर्ष की भांति एक जून से शुरू होगी और सोलह यात्रा दल यात्रा में जाएंगे। बैठक में पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी एनएस नेगी, एमडी केएमवीएन, 7वीं बटालियन मिर्थी के सेनानी एवं नोडल अधिकारी विश्वनाथ आनंद, दिल्ली हार्ट एवं लंग्स इंस्टीट्यूट के चिकित्सक, मुख्य अभियंता लोनिवि सहित विदेश मंत्रालय के अधिकारी उपस्थित थे।

:::::::इनसेट:::::

2011 में इस तरह रहेगा पैदल यात्रा का रूट

पिथौरागढ़: कैलास-मानसरोवर यात्रा 2011 के रूट में किए गये आंशिक परिवर्तन सेजहां दो पैदल पड़ावों में वृद्धि होगी वहीं एक पैदल पड़ाव कम हो जाएगा। नये निर्णय के अनुसार भारतीय क्षेत्र में रूट इस तरह रहेगा।

-पहला पड़ाव आधार शिविर धारचूला से पांगू

-दूसरा पड़ाव पांगू से सिर्खा

-तीसरा पड़ाव सिर्खा से गाला

-चौथा पड़ाव गाला से बूंदी

- पांचवां पड़ाव बूंदी से गुंजी

- छठा पड़ाव गुंजी से नाभीढांग


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6970216.html

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Kailash Mansarovar: lake
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Manasarovar Lake lies at 4,556 m above mean sea level. It is the highest fresh-water lake in the world[1]. Lake Manasarovar is relatively round in shape. The circumference of Manasarovar is 88 km, depth is 90 m and it occupies a total area of 320 km². The lake freezes in winter and melts only in the spring. The Sutlej River, the (Brahmaputra River), the Indus River, and the Karnali River all trace their sources to its close vicinity.

Like Mount Kailash, Lake Mansarovar is a place of pilgrimage, attracting religious people from India, Tibet and the neighboring countries. Bathing in the Manasa Sarovar and drinking its water is believed to cleanse all sins. Pilgrimage tours are organized regularly, especially from India, the most famous of which is the Kailash Mansarovar Yatra which takes place every year. Pilgrims come to take ceremonial bathes in the cleansing waters of the lake.

 

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