Author Topic: Kashi Of Uttarakhand: Uttarkashi - उत्तराखण्ड की काशी: उत्तरकाशी  (Read 36886 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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SUNSET OSLA VILLAGE UTTARKASHI


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BARAGADIGAD FROM NAGANI TANK TRAIL


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हेम पन्त

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उत्तरकाशी के निकट गंगा नदी का प्रवाह..
 

फोटो - साकेत बहुगुणा

हेम पन्त

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बर्फबारी के बाद उत्तरकाशी शहर..
 
Photo Courtesy - Mr. Saket Bahuguna

हेम पन्त

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Joshiyada, Uttarkashi
 

 
Photo - Saket Bahuguna

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सिकुड़ रहा गंगा का आंचल

   उत्तरकाशी,  गंगा भागीरथी के तटों पर अतिक्रमण बदस्तूर जारी है। कायदे कानूनों को ताक पर रखकर तैयार हो रही बहुमंजिला इमारतों को लेकर प्रशासन संजीदा नहीं है। अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्रवाई न होने से उनके हौसले बुलंद हो रहे हैं।
तेजी से विस्तार लेते उत्तरकाशी जिला मुख्यालय की बस्तियां गंगा भागीरथी की छाती पर सवार होती जा रही हैं। आवासीय भवनों से लेकर होटल व आश्रम नदी के तटों के पास बनाने की होड़ मची है, जबकि वर्ष 1998 में जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक गंगा भागीरथी के तटों पर दो सौ मीटर तक के क्षेत्र में भवन निर्माण प्रतिबंधित है। तब भी गंगा भागीरथी के तटों पर अंधाधुंध निर्माण जारी है।
हालत यह है कि उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से लेकर भटवाड़ी तक 40 किमी के क्षेत्र में अधिकांश बड़े भवन गंगा के तटों से सटाकर ही बनाए गए हैं। भूकंप के लिहाज से जोन फाइव में ऐसे भवनों के निर्माण पर पहले भी सवालिया निशान लगते रहे हैं, लेकिन प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। अतिक्रमण की शिकायतों पर दो वर्ष पूर्व प्रशासन ने 15 लोगों को नोटिस तो जारी किए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।


Source Dainik jagran

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पांच हजार श्रद्धालुओं ने की वरुणावत की परिक्रमा

 
पौराणिक व धार्मिक  महत्व की पंचकोसी वारुणी यात्रा में इस बार करीब पांच हजार श्रद्धालुओं ने वरुणावत पर्वत की परिक्रमा की। पंचकोसी यात्रा के प्रथम पड़ाव बड़ेथी में भागीरथी तट पर डुबकी लगाकर श्रद्धालु अपनी यात्रा शुरू कर परिक्रमा पथ के विभिन्न मंदिरों में पूजा करते हुए गंगोरी पहुंचे।

शुक्रवार को अनादि काल से चली आ रही प्रसिद्ध पंचकोसी यात्रा के लिए सुबह चार बजे ही वरूणा व भागीरथी के संगम स्थल बड़ेथी में स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी। इसके बाद बंसूगा की खड़ी चढ़ाई के रास्तों होते हुये श्रद्धालुओं का जत्था प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर गमदिड़गांव, दुर्गा मंदिर साल्ड आदि मंदिरों में जलाभिषेक के साथ मन्नतें मांगते हुये ज्ञाणजा गांव में ज्ञानेश्वर महाराज के दर्शन के बाद चीड़ के जंगलों के बीच रास्ता तय करते हुये वरुणावत की चोटी पर पहुंचे।

यहां स्थित पौराणिक शिखरेश्वर महादेव में पूजा अर्चना के बाद बिमलेश्वर महादेव के दर्शन किये। अंतिम पड़ाव संग्राली गांव में प्रसिद्ध कंडार देवता के दर्शन के लिए भीड़ जुटी रही।

इसके बाद सभी भक्तजनों ने भगीरथी व असीगंगा के संगम स्थल गंगोरी में स्नान के साथ ही जलभर कर शिवनगरी उत्तरकाशी के विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक कर शुख शांति के लिए मन्नतें मांग कर अपनी यात्रा के पूर्ण की।
श्रद्धालुओं के लिये रही व्यवस्था

उत्तरकाशी : वारुणी यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले गांवों में श्रद्धालुओं के लिये चाय पानी व फलाहार की व्यवस्था जुटाई गई। इस दौरान श्रद्धालुओं को पारंपरिक चौलाई के लड्डू, आलू के गुटके, बुरांश का जूस आदि खूब वितरित किये गये। असी वारुणा पर्यटन विकास समिति की ओर से भी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिये स्टाल लगाए गये थे।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7521604.html

   

 

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