केदारनाथ धाम का प्रसाद
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उत्तराखंड के किसी पावन धाम का दर्शन करने जा रहे हैं। हो सकता है कि बदरीनाथ के साथ गंगोत्री भी जाना चाहते हों और समय व जेब इसकी इजाजत नहीं दें। लेकिन अब फिक्र की बात नहीं। उत्तराखंड के किसी भी धाम पर जाइए।
वहीं पर बाकी तीनों धाम का प्रसाद मिल जाएगा। पवित्र नदियों के तराशे पत्थर भी सुलभ होंगे। उत्तराखंड के चारों धाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री में हर साल लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। हर धाम का अपना महत्व है। भक्त सब स्थानों पर जाना चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर नहीं जा पाते।
उनकी इसी अधूरी इच्छा को ध्यान में रखकर उत्तराखंड के महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक अभिनव प्रयोग किया है। धार्मिक आवश्यकताएं पूरी करने के साथ योजना का दूसरा उद्देश्य स्थानीय समितियों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिलाना भी है। क्योंकि पत्थरों पर रेखाएं तो महिलाएं ही उकेरेंगी।
इसके अलावा आसपास के विद्यालयों के चित्रकला विभाग को भी यह जिम्मेदारी दी जाएगी। योजना की समन्वयक संस्था हैस्को के निदेशक पद्मश्री डा. अनिल बताते हैं कि चारों धाम में मिलने वाले प्रसाद को रिंगाल [काफी ऊंचाई पर पाया जाने वाला वृक्ष] की टोकरी में रखा जाएगा। इसी टोकरी में विशेष रूप से नदियों के पावन पत्थर भी शामिल होंगे। पत्थरों पर गणेश व अन्य देवी-देवता व मंदिरों के चित्र अंकित होंगे।
हैस्को की डा. किरण बताती हैं कि श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ पत्थर देने की योजना पर अमल शुरू है। बदरीनाथ में नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व की सहायता से योजना चलेगी।
BY HARISH LAMBA