Author Topic: Kedarnath Dham Uttarakhand- कर लो दर्शन केदारनाथ धाम के  (Read 36264 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 Kedarnath, Uttarakhand Oct 6-9 2011 444 height=427         Kedarnath, Uttarakhand Oct 6-9 2011 444Photo- Himashu Dutt

 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 Kedarnath, Uttarakhand Oct 6-9 2011 070 height=427         Kedarnath, Uttarakhand Oct 6-9 2011 070 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kedarnath, Uttarakhand Oct 6-9 2011 066 height=427        Kedarnath, Uttarakhand Oct 6-9 2011 066           Kedar Dome / Massif of Sumeru
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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On Way to Kedar Nath..
photo Himanshu Dutt

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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विनोद सिंह गढ़िया

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हिमालय पर्वत की गोद में स्थित केदारनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिग में शामिल होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है। यहां की प्रतिकूल जलवायु के कारण यह मंदिर अप्रैल से नवंबर माह के बीच ही दर्शन के लिए खुलता है। पत्थरों से कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जन्मजेय ने कराया था। यहां स्थित शिवलिंग अति प्राचीन है। आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया।

इतिहास

बद्रीनाथ और केदारनाथ-ये दो प्रधान तीर्थ हैं, दोनों के दर्शनों का बड़ा ही माहात्म्य है। केदारनाथ के संबंध में लिखा है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है, उसकी यात्रा निष्फल जाती है और केदारनाथ सहित नर-नारायण-मूर्ति के दर्शन का फल समस्त पापों के नाश के साथ-साथ जीवन मुक्ति प्रदान करता है।

इस मंदिर की आयु के बारे में कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, पर एक हजार वर्षो से केदारनाथ एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा रहा है। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये 12-13वीं शताब्दी का है। ग्वालियर से मिली एक राजा भोज स्तुति के अनुसार उनका बनवाया हुआ है जो 1076-99 काल के थे। एक मान्यतानुसार वर्तमान मंदिर 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा बनवाया गया जो पांडवों द्वारा द्वापर काल में बनाए गए पहले के मंदिर के बगल में है। मंदिर के बड़े धूसर रंग की सीढि़यों पर पाली या ब्राह्मी लिपि में कुछ खुदा है, जिसे स्पष्ट जानना मुश्किल है। फिर भी इतिहासकार मानते हैं कि शैव लोग आदि शंकराचार्य से पहले से ही केदारनाथ जाते रहे हैं। 1882 के इतिहास के अनुसार साफ अग्रभाग के साथ मंदिर एक भव्य भवन था जिसके दोनों ओर पूजन मुद्रा में मूर्तियां हैं। पीछे भूरे पत्थर से निर्मित एक टावर है इसके गर्भगृह की अटारी पर सोने का मुलम्मा चढ़ा है। मंदिर के सामने तीर्थयात्रियों के आवास के लिए पंडों के पक्के मकान है। जबकि पूजारी या पुरोहित भवन के दक्षिणी ओर रहते हैं।


वास्तुशिल्प

यह मंदिर एक छह फीट ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मंदिर में मुख्य भाग मंडप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नंदी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मंदिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी।

मंदिर की पूजा श्री केदारनाथ द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक माना जाता है। प्रात:काल में शिव-पिंड को प्राकृतिक रूप से स्नान कराकर उस पर घी-लेपन किया जाता है। तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर आरती उतारी जाती है। इस समय यात्री-गण मंदिर में प्रवेश कर पूजन कर सकते हैं, लेकिन संध्या के समय भगवान का श्रृंगार किया जाता है। उन्हें विविध प्रकार के चित्ताकर्षक ढंग से सजाया जाता है। भक्तगण दूर से केवल इसका दर्शन ही कर सकते हैं। केदारनाथ के पुजारी मैसूर के जंगम ब्राह्मण ही होते हैं।


 

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