महाकुंभ: जूना के सात संन्यासी बने महामंडलेश्वर
वेद मंत्रोच्चारण के बीच श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के सात संन्यासियों के महामंडलेश्वर पद सुशोभित करते ही धर्मनगरी सनातन धर्म के जयकारों से गूंज उठी। इंद्रदेव ने भी रिमझिम फुहारों से इस पावन घड़ी का स्वागत किया। सभी नवनियुक्त महामंडलेश्वरों ने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और परंपराओं को अक्षुण्ण रखने का संकल्प लिया।
धर्मनगरी के लिए मंगलवार का दिन खास रहा। इस मौके पर भगवान आशुतोष की ससुराल कनखल स्थित श्री हरिहर आश्रम में सात संतों का श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक हुआ। ईष्टदेव की पूजा-अर्चना और हवन के उपरांत श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज ने सातों संन्यासियों के विधिवत रूप से महामंडलेश्वर बनने की घोषणा की। इसके पश्चात उन्होंने रशियन मूल के स्वामी विष्णुदेवानंद गिरि, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री कृष्ण प्रसाद भट्टराई की दत्ताक पुत्री स्वामी अमिता गिरि, पांडुकेश्वर बदरीनाथ धाम की स्वामी दुर्गागिरि, गंगोत्री धाम के योगेश्वरानंद अवधूत, महाराष्ट्र के कृष्णदेवानंद गिरि, रामकृष्ण गिरि व रमेशानंद गिरि का महामंडलेश्वर के रूप में पट्टाभिषेक किया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास व महासचिव हरि गिरि महाराज ने भी महामंडलेश्वरों का अभिनंदन किया।