Author Topic: Mahakumbh-2010, Haridwar : महाकुम्भ-२०१०, हरिद्वार  (Read 152113 times)

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                 होली का रंग  होली का रंग विदेशियों के सिर चढ़कर बोला। कुछ इस अंदाज में नजर आए विदेशी युगल।

                   

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                                     रिक्शा ही सही हरिद्वार में रिक्शे पर विचरण करते साधु।

                                   

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महाकुंभ- खींचती है सनातन को जानने की चाह


कुछ तो ऐसा है सनातन धर्म में जो इसे जानने, समझने और महसूस करने के लिए सारी दुनिया लालायित है। भौतिक सुखों को छोड़कर लोग अभौतिक आत्मा की तलाश में क्यों भटक रहे हैं। आखिर वह आत्मा कहां निवास करती है और उसका रहस्य क्या है? ऐसे तमाम सवालों के जवाब तलाशने देश-दुनिया से लोग कुंभ में पहुंच रहे हैं और धर्मग्रंथों का अध्ययन कर रहे हैं।

सनातन धर्म कहता है कि हर जीव में एक अभौतिक आत्मा का निवास है, जो सनातन और अमर है। इसमें पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, यानि हर जीव शामिल है। कहते हैं कि मानव जन्म में अपनी आजादी से किए गए कर्मो के मुताबिक आत्मा अगला शरीर धारण करती है।

अच्छे कर्म करने पर आत्मा कुछ समय के लिए स्वर्ग जा सकती है या गंधर्व का रूप धारण कर सकती है अथवा नव योनि में अच्छे कुलीन घर में जन्म ले सकती है। ऐसी भी मान्यता है कि बुरे कर्म करने पर आत्मा को कुछ समय के लिए नरक जाना पड़ता है और इसके बाद वह निकृष्ट पशु योनि में जन्म लेती है। व्याकरणाचार्य स्वामी दिव्येश्वरानंद कहते हैं कि जन्म-मरण का सांसारिक चक्र तभी खत्म होता है, जब व्यक्ति को मोक्ष मिलता है।

उसके बाद आत्मा अपने वास्तविक सत-चित-आनंद यानि सच्चिदानंद स्वरूप को सदा के लिए पा लेती है। मानव योनि ही अकेला ऐसा जन्म है, जिसमें मानव के पाप और पुण्य, दोनों कर्म अपने फल देते हैं और जिसमें मोक्ष की प्राप्ति मुमकिन है। आत्मा के इसी अविनाशी स्वरूप को जानने का रहस्य हिंदू धर्मग्रंथों में उजागर हुआ है।




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                   शंखनाद वैरागी कैंप में ध्वजारोहण से पूर्व शंखनाद करते वैरागी संत।

                     

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खुशी के पल जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की नीलधारा स्थित शंकराचार्य शिविर में पुन: वापसी हुई। इस दौरान उनके शिष्यों ने मानव श्रृंखला बनाकर खुशी जताई।


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आस्था की डुबकी हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित और गंगा सभा की ओर से आयोजित धर्म ध्वजा संकल्प यात्रा के दौरान हरकी पैड़ी पर हेमाद्रि स्नान करते समाज के लोग।

                           

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भ्रमणशील जमात बग्घियों में विराजमान श्री पंच दिगंबर अणी अखाड़ा की भ्रमणशील जमात के महंत-श्रीमहंत।

         

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कब होगा मेरा सशक्तीकरण धर्मनगरी में महिला दिवस पर सड़क के किनारे बनी दीवार के पत्थरों को रंगने में मशगूल ये महिलाएं नारी सशक्तीकरण का अर्थ नहीं जानती, इनकी चिंता सिर्फ यह है कि काम नहीं मिला तो चूल्हा कैसे जलेगा।

                     

 

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