Author Topic: Mahakumbh-2010, Haridwar : महाकुम्भ-२०१०, हरिद्वार  (Read 152076 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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                                   भगदड़ के बाद बिरला पुल पर अपना सामान तलाशते श्रद्धालु।
                                 

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                       कुंभ: बिछुड़े, फिर मिल भी गये अपनों से
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उनके हाथ कंपकंपाते हैं, पांव डगमगाते हैं, निगाह भी दूर तक साथ नहीं देती, फिर भी उम्र के आखिरी पड़ाव पर कुंभ का मोह उन्हें गंगा तट तक खींच लाता है। शारीरिक अशक्तता के चलतेभारी भीड़ में कई बुजुर्ग अपनों से बिछुड़ जाते हैं। इस बार कुंभ में रिकार्ड 20 हजार श्रद्धालु अपनों से बिछुड़े। इनमें बुजुर्गो की संख्या ही ज्यादा रही।

सदी के पहले महाकुंभ में पांच से छह करोड़ लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई। देश के हर कोने से हर उम्र के श्रद्धालु यहां पहुंचे। चार महीने तक आस्था के सैलाब में कुंभनगरी डूबी रही। शाही वैभव का समापन तो हो गया, पर भीड़ के रेले में कई श्रद्धालु अपनों से बिछुड़ गये। बच्चे, जवान और बुजुर्ग का हाथ अपनों से छूटा तो छूटा, फिर भीड़ के रेले में ये नहीं मिले।

 मेला पुलिस के खोया-पाया केन्द्रों पर जब आंकड़े जुटाए गए तो बिछुड़े श्रद्धालुओं की संख्या 20 हजार मिली। इनमें अस्सी प्रतिशत बुजुर्ग महिलाएं हैं। पांच से दस प्रतिशत बच्चे भी बिछुडे़ पर उन्हें परिजनों से मिला दिया गया। कुंभकाल के दौरान अपनों से बिछड़ने वालों में बिहार के सीतामढ़ी, मधुबनी, मध्यप्रदेश के मुरैना, दमोह और राजस्थान के कोटा के अधिकांश श्रद्धालु शामिल थे। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के श्रद्धालुओं के नाम भी मेले में खोने वालों के रजिस्टर में दर्ज हैं।

यह दीगर बात है कि जितने श्रद्धालु बिछुड़े, उनमें से अधिकांश को मेला पुलिस ने भरपूर प्रयास कर उनके परिजनों से मिलाया। खोया-पाया केन्द्र के प्रभारी ओमकांत भूषण बताते हैं कि चार महीने के कुंभकाल के दौरान 20 हजार बिछुड़ों को सोमवार की रात तक उनके घर भेज दिया गया है या फिर उनके परिजनों से मिलवा दिया गया है। खोया-पाया केन्द्र में अब कोई बिछुड़ा शेष नहीं रह गया है। हरिद्वार कुंभ में आया अब कोई भी श्रद्धालु मिसिंग नहीं है। सभी बिछुड़ों को उनके गंतव्य तक पहुंचा दिया गया है।

 इनमें से अस्सी ऐसे थे जिन्हें दो-तीन दिन तक कोई लेने नहीं आया। ऐसे में उनसे जुटाई गई जानकारी पर उन्हें ट्रेन से उनके घर भेज दिया गया। रास्ते का खाना भी पैक कर मेला पुलिस ने दिया। चार छोटे बच्चों को पिछले दिनों भेजा गया, जिनके साथ पुलिस के जवान मौके के लिए रवाना हुए। जो बेहद बुजुर्ग महिलाएं थीं, उनके साथ भी पुलिस को भेजा गया। खोया-पाया केन्द्र के प्रभारी ने बताया कि बिछुड़ने वाले अधिकांशत: ग्रामीण परिवेश के लोग थे

। इनमें वे अधिक शामिल थे जो अपने गांव या शहर के ग्रुप के साथ पहुंचे और बिछुड़ गए। परिवार के साथ आने वाले कम बिछुड़े। उन्होंने बताया कि पुलिसिया पूछताछ की तरह इनके गांव, आसपास की कोई जगह, स्टेशन, बस अड्डा, बाजार सहित अन्य चीजों की जानकारी जुटाने के बाद रजिस्टर में नाम दर्ज किया गया। इस आधार पर इन्हें उनके घर रवाना किया गया।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6352140.html

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                              आज पूरी होगी ब्रह्मकुंड पर डुबकी की मुराद
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हरिद्वार। महाकुंभ के अंतिम स्नान पर श्रद्धालु ब्रह्मकुंड पर पूरे दिन डुबकी लगा सकेंगे। पूर्व में महाकुंभ के चार शाही स्नानों पर अखाड़ों के लिए ब्रह्मकुंड रिजर्व होने की वजह से लाखों श्रद्धालु यहां पर स्नान नहीं कर सके थे। कुछ अन्य स्नान पर्वो पर इतनी अधिक संख्या में श्रद्धालु उमड़े कि कई श्रद्धालुओं ने खुद को ब्रह्मकुंड पर आने से रोक लिया।

कुंभ का अंतिम स्नान 28 अप्रैल को है और ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाने का मौका भी मिल रहा है। ऐसे में यहां आकर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की मुराद पूरी हो सकती है। इतना जरूर है कि ट्रैफिक प्लान और भीड़ की वजह से ब्रह्मकुंड पहुंचने में श्रद्धालुओं को कई किमी का फासला पैदल तय करना पड़ेगा।

महाकुंभ के लिए शासन ने 11 स्नान घोषित किए। इनमें चार शाही स्नान शामिल थे। शाही स्नान पर्वो पर परंपरा अनुसार सुबह आठ बजे से शाम करीब सात बजे तक अखाड़ों के लिए ब्रह्मकुंड रिजर्व रहता था। इस समयावधि में आम श्रद्धालु ब्रह्मकुंड पर स्नान नहीं कर पाते थे। ऐसे में लाखों श्रद्धालुओं की ब्रह्मकुंड पर डुबकी लगाने की आस पूरी नहीं हो सकी।

 अब कुंभकाल का अंतिम स्नान बुधवार को है। ज्योतिषियों के मुताबिक इस अंतिम स्नान का फल भी कई गुना अधिक मिलेगा, लिहाजा श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। ब्रह्मकुंड पर इस बार अखाड़ों का स्नान नहीं होगा, इसलिए ब्रह्मकुंड पर श्रद्धालु पूरे दिन किसी भी समय डुबकी लगाकर पुण्य के भागीदार बन सकेंगे।

हालांकि इसके लिए श्रद्धालुओं को थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। पिछले शाही स्नान पर हादसे को देखते हुए मेला प्रशासन और मेला पुलिस ट्रैफिक में कोई राहत नहीं देने वाली। इसलिए ब्रह्मकुंड तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को सात से दस किलोमीटर तक का सफर पैदल तय करना पड़ सकता है। हालांकि मेला प्रशासन प्रयास कर रहा है कि सिटी बसें चलाई जाएं, लेकिन यह भी भीड़ की स्थिति पर ही निर्भर करेगा।

हेम पन्त

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Source -Hindustan
 
देहरादून - प्रयागराज इलाहाबाद में होने वाले अगले महाकुंभ के समय को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है। कुछ विद्वानों के मुताबिक यह महाकुंभ 2013 में होना चाहिए, तो वहीं कुछ का दावा है कि इसके आयोजन का सही योग 2012 में बनता है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने कहा कि इलाहाबाद महाकुंभ के योग को लेकर भ्रम की स्थिति है। उन्होंने कहा कि सामान्यतया महाकुंभ 12 साल में आता है। पिछला महाकुंभ 2001 में हुआ था, तो इस लिहाज से अगला 2013 में होना चाहिए। लेकिन खगोलीय घटना के हिसाब से यह 11 साल में भी हो सकता है।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा कि हरिद्वार का अगला कुंभ 2021 में ही होने वाला है। उन्होंने बताया कि इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए इलाहाबाद के कलेक्टर ने उन्हें प्रयाग बुलाया है। उन्होंने कहा कि वह जल्द ही इलाहाबाद जाकर काशी के विद्वानों से इस संबंध में चर्चा करेंगे।
 
Kumbh - Prayag, Allahabad

Kiran Rawat

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Uttarancah Sadbhavana Yatra on 16th April 2010
 
Some of the photos from Uttaranchal Sadbhavana Yatra in Haridwar Maha Kumbh 2010
 

Kiran Rawat

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Our own Uttrakhand Police wearing latest combat gear  8)

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