राम ने त्यागा तो सीता ने यहां बनाया था ठिकाना
राम के राजा बनने के बाद जो घटना हुई थी उसमें सबसे प्रमुख है धोबी के कहने पर राम द्वारा सीता का त्याग करना। भगवान राम ने जिस सीता को पाने के लिए समुद्र पर पुल का निर्माण करवाया और रावण का वध किया उस सीता को राम भला किस प्रकार असुरक्षित छोड़ सकते थे। इसलिए सीता का त्याग करने के बाद भी राम ने उनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा।
मान्यता है कि भगवान राम ने लक्ष्मण जी से सीता को उत्तराखंड की देवभूमि में छोड़कर आने के लिए कहा था। राम की आज्ञा का पालन करते हुए लक्ष्मण जी ने सीता को देव प्रयाग से चार किलोमीटर आगे छोड़ा था। यह स्थान पुराने बद्रीनाथ मार्ग पर स्थित है। इस स्थान को 'सीता विदा' गांव के नाम से जाना जाता है।
इस स्थान पर सीता को छोड़ने का कारण यह था कि जब धरती पर गंगा उतरी तब सबसे पहले यहीं प्रकट हुई थी। गंगा के साथ उस समय 33 करोड़ देवता भी यहां एकत्रित हुए थे। यह तपस्वियों की भूमि थी जिससे इस स्थान पर पाप का प्रभाव नहीं था। सीता जी ने यहां पर अपनी कुटिया बनायी थी जिसे सीता कुटि और सीता सैंण के नाम से जाना जाता है।
यहां से सीता बाल्मिकी आश्रम चली गयी जो वर्तमान में कोट महादेव मंदिर के पास है। केदारखंड नामक ग्रंथ में उल्लेख आया है कि कुछ समय तक राज-काज देखेने के बाद भगवान राम और लक्ष्मण देवप्रयाग आये थे।
यहां पर राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ रावण वध के कारण लगे ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए तपस्या और विश्वेश्वर लिंग की स्थापना की। भगवान राम प्रतिदिन देवप्रयाग से आगे श्रीनगर नामक स्थान में सहस्र कमल फूल से कमलेश्वर महादेव की पूजा किया करते थे।http://www.amarujala.com/news/