आपको नन्दा राजजात के बारे मेँ बहुत कुछ जानकारियाँ देँगे
जो आपसे बहुत दूर रखी जाती हैँ राजजात चमोली जनपद के घाट(नन्दप्रयाग से मात्र 18 किमी आगे) "कुरुड़" गाँव से नन्दादेवी की नवीँ सदी पूर्व राजराजेश्वरी नन्दा देवी तथा दशौली क्षेत्र की ईष्ट साक्षात नन्दा भगवती की दो स्वर्णमयी डोलियाँ जाती हैँ ।
इसके पीछे से चौसिँग्योँ को ले जाया जाता है ।
नन्दा देवी राजजात के मुख्य दो मुख्य रास्ते हैँ आज एक रास्ते की बात करेँगे जिसे सबसे पवित्र पड़ाव माना जाता है लोगोँ को इस रास्ते की जानकारी से बहुत दूर रखा गया है
घाट क्षेत्र के नन्दा देवी धाम से 20 अगस्त को नन्दा देवी की डोली सर्वप्रथम
20 अगस्त कुरुड़ से रात्रि लुन्तरा,
21 अगस्त रात्रि लामसोड़ा लाटूखाल ,
22 अगस्त
माणखी,चोपड़ा कोट.चॉरी रात्रि काण्डई।
23 अगस्त खलतरा,मोठा चाका,सेमा रात्रि बैराशकुण्ड 24 अगस्त रात्रि
पगना देवी मन्दिर
25 अगस्त भौदार,चरबंग रात्रि रात्रि ल्वाणी
26 अगस्त सुंग,रात्रि रामणी 27 अगस्त रात्रि आला,
28 अगस्त जोखना,रात्रि कनोल
29 अगस्त रात्रि वाण लाटू देवता।
29 अगस्त वाण मेँ कुरुड़ से ही चलने वाली नन्दा देवी राजराजेश्वरी तथा काँसुवा नौटी कुमाऊँ की छतोलियोँ का मिलन होता है।
30 अगस्त रात्रि गैरोली पातल
31 अगस्त रात्रि वेदिनी बुग्याल
01 सितम्बर रात्रि पातर नचौड़ियाँ
02 सितम्बर शिला समुद्र
03 सितम्बर होमकुण्ड मेँ पुजा कर चौसिंग्या खाड़ू को छोड़ कर वापसी रात्रि चन्दनायाँ घट
04 सितम्बर रात्रि सुतोल
05 सितम्बर रात्रि नारंगी
06 सितम्बर को नन्दा देवी अपने थान सिद्धपीठ कुरुड़ मेँ पहुँचेगी तथा महायज्ञ तथा राजजात का समापन।26 अगस्त को रामणी में विशाल भव्य मेला लगेगा है रामणी मेँ आते आते कुरुड़ नन्दा देवी डोली के साथ कुरुड़ कीनन्दामय लाटू, हिण्डोली, दशमद्वार की काली, मोठा का लाटू, केदारु पौल्यां, नौना , नौली का लाटू, बालम्पा देवी, कुमजुग से ज्वाल्पा देवी की डोली, ल्वाणी से लासी का जाख, खैनुरी का जाख, मझौटी की नन्दा, फर्सवाण फाट के जाख, जैसिंग देवता, काण्डई लांखी का रुप दानू, बूरा का द्यौसिंह, जस्यारा, कनखुल, कपीरी, बदरीश पंचायत, बदरीनाथ की छतोली, उमट्टा, डिम्मर, द्यौसिंह, सुतोल, स्यारी, भेंटी की भगवती, बूरा की नन्दा, रामणी का त्यूण, रजकोटी, लाटू, चन्दनिय्यां, पैनखण्डा लाता की भगवती आदि २०० से अधिक देवी-देवताओं का मिलन होता है।88सालोँ बाद लाता की भगवती भी रामणी मे शामिल होगी। वहीँ 24 अगस्त को बंड के भूम्याल चलेँगे जो 26 तारीख को 24छतोलियोँ के साथ रामणी मे कुरुड़ की नन्दा देवी से मिलेगी अतः रामणी एक पवित्र स्थल है ।रामणी मेँ जाख देवता का अद्भुत कटार भेद दर्शन भी होता है।28 अगस्त को राजजात कनोल पहुँचेगी कनोल2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित जनपद चमोली के घाट ब्लाक का कनोल गांव न केवल अपनी बेपनाह सुदरता के लिए बिख्यात है अपितु इस बार नंदा देवी राजजात में यहाँ पर २८ अगस्त को लोकसंस्कृति की अनूठी छटा देखने को भी मिलेगी यहाँ पर सुतोल गांव के ईस्ट देवता द्यो सिंह से लेकर लाता की नंदा देवी, किरुली का बंड भुमियाल,लासी का जाख,रामणी का भुमियाल से लेकर अन्य देवीदेवताओ का हुजूम जब यहाँ पर आएगा तो यहाँ के लोग पारम्परिक परम्पराओ के अंतर्गत सबका स्वागत करेगे जिसमे पौराणिक जागर से लेकर लोकगीत प्रमुख होंगे
यहां से आगे कुरुड़ की नन्दा के पीछे पीछे चलते वाण पहुँचते हैँ जहाँ पर राजजात के दोनो रास्ते मिलकर एक हो जाते हैँ वाण मेँ स्वर्का का केदारु, मैखुरा की चण्डिका, घाट कनोल होकर तथा रैंस असेड़ सिमली, डुंगरी, सणकोट, नाखाली व जुनेर की छलोलियां चार ताल व चार बुग्यालों को पार करके वाण में राजजात में शामिल होती हैं।
सुतोल गांव राजजात यात्रा का वापसी का अंतिम पड़ाव का गांव है, हिमालय की तलहटी में बसा यह खुबसूरत गांव चमोली के घाट ब्लाक का अति दूरस्थ गांव है हिमलय की गोद बसे इस गांव के लोगो ने बरसो से अपनी सांस्कृतिक बिरासत को अक्षुण रखा हुआ है जिसकी बानगी हमें राजजात के दौरान मिल जाएगी आजकल यहाँ पर हर कोई नंदा राजजात को लेकर बेहद उत्साहित है जिसे लेकर यहाँ खासा उमंग, उत्साह, जोरो पर है द्योसिंह ईस्ठ देवता की इस पवित्र भूमि पर इस बार राजजात में संस्कृति का अधभुत संगम देखने को मिलेगा जब यहाँ के महिलाये परम्परागत परिधानों और आभूषण से लकदक होकर श्रदालु और अन्य लोगो का स्वागत करेंगी जब हम इन महिलाओ को शीशफूल, कर्णफूल, बुलाक, नथुली, गुलबन्द, लौकेट, चरयो, हंसुली, कंठीमाला, मुंगो की माला, धागुला, पौंछि,गोंखले, तगड़ी, झिविरा, पोटा, जेवरी, बिछुवा, चंरहार, अतारदान, पुलिया, झड्तर, इत्यादि, परम्परागत आभूषण से सजी धजी पहाड़ की मात्रशक्ति जब कतारबद, लयबद होकर परम्परागत नृत्यों, गीतों और जागरो से सांस्कृतिक बिरासत से रुबरू करायेंगे तो हर किसी की नजर बरबस ही इनकी और खिची चली आएगी ..तो ऐसे अनमोल पलो को कौन नहीं सहेजना चाहेगा सदा के लिए .
06 सितम्बर को यात्रा कुरुड़ पहुँचेगी जहाँ महायज्ञ होगा तथा नन्दा देवी राजजात का समापन होगा तथा समय इस इतिहास को पुन: दोहराता रहेगा।
write by vipin chandra gaur (srinagar)