कैसे करें सेममुखेम की यात्रा
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दिल्ली से पहले पौडी और फिर श्रीनगर होते हुए गडोलिया नाम के छोटे से कस्बे में। यहां से एक रास्ता नई टिहरी के लिए जाता है तो दूसरा लंबगांव। हमने लंबगांव वाला रास्ता पकडा क्योंकि सेम नागराजा के दर्शनों के लिए लंबगांव होते हुए ही जाया जाता है। घुमावदार सडकों पर टिहरी झील का विस्तृत फलक साफ दिखाई दे रहा था।
पुरानी टिहरी नगरी इसी झील के नीचे दफन हो चुकी है। हल्की धुंधली यादें पुरानी टिहरी की ताजा हो उठी, और मैं चारों और पसरी झील के पानी में पुराने टिहरी को देखने की कोशिश करने लगा।
रास्ता जैसे-जैसे आगे बढता जा रहा था, मैं इस झील के पानी में पुरानी टिहरी की संस्कृति को ढूंढने की कोशिश कर रहा था। अतीत में खोए हुए मुझे पता नहीं चला कि कब में टिहरी झील को पीछे छोड आया और लंबगांव पहुंच गया। खैर मेरे ड्राइवर ने मेरी तंद्रा तोडी।