उत्तराखंड के अल्मोडा जिले से लगभग दस किलोमीटर दूर चितई के पास गोल्यूजी न्याय देवता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भारी संख्या में पीतल की छोटी बड़ी घंटियों को बंधा देखा जा सकता है।
मंदिर की देखरेख के कार्य में लगे शंकर सिंह गैरोला ने विशेष बातचीत के दौरान बताया कि जिन लोगों के पक्ष या विपक्ष में भी गोल्यूजी ने न्याय किया है उन लोगों ने कोर्ट फीस के रूप में ये घंटियां बांधी हैं। उन्होंने बताया कि उनको खुद यह याद नहीं है कि कब से यह प्रथा चली आ रही है लेकिन इनमें से काफी घंटियों का पचास से लेकर साठ साल पुराना होना तो मामूली बात है।
गैरोला ने बताया कि मंदिर की खासियत यह है कि लोग यहां अन्य मंदिरों की तरह आमतौर पर अपनी मन्नतें नहीं मांगते हैं बल्कि वे लोग न्याय की अपील करते हैं। न्याय की अपील के लिए मंदिर परिसर में लाखों की संख्या में कागजों पर लिखे पत्र देखे जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को सामान्य न्यायालयों से न्याय नहीं मिलता, वे लोग गोल्यूजी के मंदिर में आकर बाकायदा 10 रुपए से लेकर 100 रुपए तक के गैर न्यायिक स्टांप पेपर पर लिखित में अपनी-अपनी अपील करते हैं और जब उनकी अपील पर सुनवाई हो जाती है तो वे कोर्ट फीस के रूप में यहां आकर अपनी-अपनी सुविधानुसार घंटियां तथा घंटे बांधते हैं।
उन्होंने बताया कि यहां लगी इन घंटियों को न तो बेचा जाता है और न ही उसे गलाया जाता है। घंटियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए मंदिर परिसर के पास बडे़-बडे़ हॉल बनाए गए हैं जहां इन घंटियों को रखा गया है।
चितई के 45 वर्षीय निवासी रूपचंद चौहान ने बताया कि उनके दादा ने भी इस मंदिर में घंटी बंधवाई थी और उन्हें न्याय मिला था। हालांकि उन्हें यह नहीं मालूम है कि किस समस्या को लेकर गोल्यूजी न्याय देवता ने न्याय किया था। उन्होंने बताया कि पूरे उत्तराखंड के लोगों को आज भी अन्य प्रशासनिक न्यायालयों की तुलना में गोल्यूजी न्यायालय पर अधिक विश्वास है। लोग अपनी जमीन की समस्या से लेकर आपसी तकरार तक का फैसला गोल्यूजी से कराने के लिए अपील लिखते हुए देखे जा सकते हैं।
संवाददाता ने मंदिर परिसर का भ्रमण कर देखा कि लाखों की संख्या में लोगों ने गैर न्यायिक स्टांप पेपर पर अपनी-अपनी समस्याओं को खुलेआम लिख रखा है। किसी की समस्या आर्थिक है तो किसी की जमीन से संबधित है। किसी को व्यापार में साझीदार द्वारा धोखा मिला है तो उसने न्याय की गुहार लगा रखी है।