जनपद पौड़ी गढ़वाल के रिखणीखाल विकासखण्ड से लगभग पच्चीस किलोमीटर बांज तथा बुरांश की जंगलों के बीच चखुलियाखांद से लगभग सात किलोमीटर उत्तर पूर्व में स्थित है ताड़केश्वर महादेव मंदिर।
कहते हैं कि ताड़कासुर का वध करने के बाद भगवान शिव ने यहां विश्राम किया था जब माता पार्वती ने देखा कि भगवान शिव को सूर्य की गर्मी लग रही है तो माता पार्वती ने स्वयं देवदार के वृक्षों का रूप धरा और भगवान शिव को छाया प्रदान की। भगवान शिव मंदिर के प्रांगण में आज भी वे सात ताड़ के पेड़ विराजमान हैं। रामायण में भी ताड़केश्वर का वर्णन एक पवित्र तीर्थ के रूप् में मिलता है। यहां बाबा ताड़केश्वर के पास लोग यहां अपनी मुरादें लेकर आते हैं। और भोलेनाथ अपने भक्तों को कभी निराश नही करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब किसी की मनोकामना पूरी होती है तो वे यहां मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं। यहां मंदिर में चढ़ाई गई हजारों घंटियां इस बात का प्रमाण हैं कि यहां बाबा की शरण में आने वाले मनीषियों का कल्याण होता है।