वनस्पतिक महायज्ञ अपने आप में एक ऐसी ऊर्जा प्रदान करता है जिससे जीव की स्मरण शक्ति तेज होती है। मनुष्य को अनेक प्रकार की व्याधियों से मुक्ति मिलती है। यही नहीं यज्ञ में विधि पूर्वक शामिल होने पर अकाल मृत्यु जैसी स्थिति को टाला जा सकता है।
ऐसे में आदिबद्री आश्रम में 15 सौ साल बाद हो रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का महत्व और बढ़ जाता है। इस महायज्ञ में 24 लाख श्री सुक्त और पुरु सुक्त की मंत्रों का जाप व हवन होगा। जिससे अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी।
नाना प्रकार के रोग व्याधि, भूत-प्रेत, काल सर्प, अकाल मृत्यु, गृह बाधा, आपसी कलह और भी संपूर्ण व्याधियों का इस वनस्पतिक यज्ञ के गंध से निवृत्ति होगी। आदिबद्री आश्रम के ब्रह्मचारी श्री विनय स्वरूप महाराज का कहना है कि योनि मूलक सिंधु वन की स्वर्णिम तपो भूति सदैव से जीव के लिए आशीर्वादित रही है। आदिबद्री में आपको नंगे पांव चलने से सूर्य की ऊर्जा का लाभ होता है। यहां की रेत में सोना की मात्रा होती है। वहीं वसुधारा जल का सेवन निरोग बनाती है और केदार नाथ मनुष्य जीवन को शांति प्रदान करते है।
वनस्पतिक महायज्ञ अपने आप में एक ऐसी ऊर्जा प्रदान करता है जिससे जीव की स्मरण शक्ति तेज होती है। अकाल मृत्यु की स्थिति के बारे में कहे कि जो भी जीव ऐसी स्थिति में हो वह केवल सरस्वती के जल का आचमन व वसुधारा का स्नान कर हवन करे तो अकालमृत्यु जैसी स्थिति से छुटकारा मिल सकता है।
उन्होंने कहा कि इस वनस्पतिक महायज्ञ में सांसों के बीमार आदमी भी हवन में बैठ सकते है। उनको भी हवन की सुगंध आराम प्रदान करेगा। यह यज्ञ प्रकृति के साथ-साथ जीव जन्तु को भी एक विशेष बल प्रदान करेगा। ब्रह्मचारी का कहना है कि भूमंडल के सर्वश्रेष्ठ संत दंडी स्वाती के संरक्षण में यह यज्ञ संपादित होगा। आचार्य शंकर ने बताया है कि यज्ञ क्रिया अगर प्रणव जाप करने वाले यती दंडी साधु अगर यज्ञ की संरक्षण करते है वह यज्ञ संपूर्ण रोगों से मुक्ति देता है।
इस महायज्ञ में 24 लाख श्री सुक्त और पुरु सुक्त की मंत्रों का जाप व हवन होगा। जिससे अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी। यज्ञ में शामिल होने के पूरे देश से दशनाम साधुओं को जमावड़ा शुरू हो गया है।